सतना जिले के चित्रकूट नगर पंचायत के वार्ड 15 स्थित थर पहाड़ के आदिवासी हर साल मानसून में चार महीने दुनिया से कट जाते हैं। शनिवार को एक और मामला सामने आया जब प्रसव पीड़ा से तड़प रही शोभा मवासी को डोली में लेकर जाना पड़ा।
.
बुनियादी सुविधाओं का अभाव
जानकारी के अनुसार, करीब 1500 की आबादी वाले इस पहाड़ी क्षेत्र में न सड़क है, न स्वास्थ्य सुविधा और न ही पानी की व्यवस्था। स्थानीय निवासी सुरेंद्र ने बताया कि रास्ता न होने से एंबुलेंस यहां नहीं पहुंच पाती।

बीमारों और गर्भवती महिलाओं को चादर में झोली बनाकर नीचे लाना पड़ता है। ग्रामीणाें ने बताया कि पिछले साल बरसात में पांच महिलाओं की डिलीवरी रास्ते में हुई और चार लोगों की इलाज न मिलने से मौत हो गई।
छोटी बावड़ी ही एकमात्र जलस्रोत
लोगों ने बताया कि पांच पीढ़ियों से एक छोटी बावड़ी ही यहां का एकमात्र जलस्रोत है। न सरकारी नल है, न कुआं और न बोरवेल। लोग जंगल से लकड़ी और पत्ते बेचकर गुजारा करते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि वोट तो मांगने आते हैं, लेकिन कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी उनका हाल जानने नहीं आता। नगर पंचायत सालाना शुल्क वसूलती है, पर कोई सुविधा नहीं देती।