9 मिनट पहले
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शनिवार, 12 अक्टूबर को दशहरा है, इस दिन श्रीराम की विशेष पूजा करनी चाहिए। श्रीराम के साथ ही लक्ष्मण, सीता, हनुमान जी की प्रतिमाएं भी पूजा में जरूर रखें। श्रीराम का पूजन करने के साथ ही उनकी नीतियां जीवन में उतारेंगे तो सफलता के साथ ही सुख-शांति भी मिल सकती है। श्रीराम से सीखें मुश्किलों का सामना कैसे करना चाहिए…
जिस दिन श्रीराम का राज्याभिषेक होने वाला था, उससे ठीक एक रात पहले कैकयी ने राजा दशरथ से दो वरदान मांग लिए। पहला, भरत को राजपाठ और दूसरा, राम को 14 वर्षों का वनवास।
एक ही रात में पूरा दृश्य बदल गया था। पूरी अयोध्य श्रीराम के राज्याभिषेक की तैयारियों में लगी हुई थी, लेकिन हालात एकदम बदल गए। जब उत्सव मनना था, वहां पूरी अयोध्या श्रीराम के वनवास जाने से दुखी थी।
सब कुछ ठीक था, लेकिन रात में मंथरा ने कैकयी की बुद्धि दूषित कर दी थी। मंथरा ने कैकयी को अपनी बातों में ऐसा उलझाया कि वह भरत के लिए राजपाठ और राम को वनवास भेजने के लिए तैयार हो गई। कैकयी ने जिद करके दशरथ से अपनी दोनों इच्छाएं पूरी करवा लीं।
दशरथ ने जब राम को बुलाया और ये बातें बताईं तो वे राम ने धैर्य के साथ पूरी बातें समझीं। इसके अपने पिता के वचन को पूरे करने के लिए प्रसन्न होकर वनवास स्वीकार कर लिया।
राम वनवास जाने की तैयारी लग में गए तो दशरथ ने कैकयी को फिर से समझाने की कोशिश की। राजा ने कैकयी से कहा कि तुम राम को वनवास जाने से रोक लो, लेकिन कैकयी अपनी बात पर टिकी रहीं। जब राम वनवास जाने लगे तो लक्ष्मण और सीता भी उनके साथ चल दिए।
श्रीराम की सीख
श्रीराम ने इस प्रसंग में संदेश दिया है कि हमें मुश्किल परिस्थितियों के लिए तैयार रहना चाहिए। राम ने सकारात्मक सोच के साथ नई परिस्थितियों के स्वीकार किया और वनवास चले गए। हमें एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि जैसा हम सोचते हैं, वैसा ही हो, ये जरूरी नहीं है। कभी-कभी हमारी सोच से अलग बातें हो जाती हैं, हमें उन विपरीत बातों को भी सकारात्मकता के साथ अपनाना चाहिए, तभी जीवन में सुख-शांति के साथ ही सफलता भी मिल सकती है।