डीग जिले के 294 पीईओ एवं प्रधानाचार्य लाइन में खड़े होकर अपना नंबर आने के बाद एक बॉक्स को अपने कंधे पर उठाकर लाने को मजबूर हुए। यह दृश्य देखकर लगता है कि शिक्षकों को अव्यवस्थाओं के बोझ तले दबना पड़ रहा है। प्रदेश सहित जिले में कक्षा 9 से 12वीं तक इस
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लेकिन प्रश्न पत्र वितरण में अव्यवस्थाएं सामने आई हैं। ब्लॉक स्तर पर प्रश्न पत्र पहुंचने चाहिए थे, लेकिन भरतपुर मुख्यालय से प्रश्न पत्र लाने में शिक्षकों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। डीग जिला मुख्यालय तो बन गया, लेकिन शिक्षा विभाग अभी भी अपने रिकॉर्ड में भरतपुर को ही जिला मानता है। इसके कारण डीग जिले के पेपर भरतपुर से ही वितरित किए गए। कई कार्मिक 100 किमी दूरी तय करके पहुंचे, लेकिन वापसी के लिए शाम तक इंतजार करना पड़ा। कुछ शिक्षक बाइकों पर भी प्रश्न पत्रों को लेकर गए। पैसे के साथ शिक्षकों के समय की भी पूरी बर्बादी हो रही है।
यह थी पहले व्यवस्था, अब खर्चा भी जेब से
पहले की व्यवस्था में जिला मुख्यालय स्तर से एक वाहन द्वारा हर ब्लॉक लेवल पर प्रश्न पत्र पहुंचा दिए जाते थे, लेकिन इस बार जिला मुख्यालय पर पेपर लेने के लिए जिला मुख्यालय आना पड़ा। इससे शिक्षकों को वाहन किराए कर लाने का खर्चा भी जेब से भुगतना पड़ा। यह व्यवस्था शिक्षकों के लिए बहुत परेशानी भरी हो गई है, खासकर जब नया जिला बनने के बावजूद डीग के भी प्रश्न पत्र भरतपुर से ही वितरित किए गए।
गुर्जर ने कहा- पेपरों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठते हैं
जिला स्तर से प्रश्न पत्रों को एक बस के माध्यम से प्रत्येक पीईओ क्षेत्र पर आसानी से पहुंचाने से न केवल सुविधा मिलती है, बल्कि प्रश्न पत्रों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है। इससे किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न नहीं होती है। लेकिन भरतपुर से प्रश्न पत्र लाने में शिक्षकों को न केवल असुविधा का सामना करना पड़ता है, बल्कि प्रश्न पत्रों की सुरक्षा की भी बड़ी जिम्मेदारी होती है।
-प्रहलाद सिंह गुर्जर, पूर्व ब्लाक शिक्षा अधिकारी।
“निदेशालय की गाइडलाइन के अनुसार भरतपुर से ही प्रश्न पत्र मिल रहे हैं।डीग जिले के 485 स्कूलों के 57440 विद्यार्थियों परीक्षा में शामिल हैं प्रश्न पत्रों को संबंधित विद्यालय के थाने में सुरक्षा की दृष्टि से रखवाया गया है।”
-मनोज खुराना, डीईओ डीग।