शिक्षक चंद्रभुवन मांडले रिटायर होने के बाद भी स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
बलौदाबाजार जिले के पलारी ब्लॉक के ग्राम सलोनी के शिक्षक चंद्रभुवन मांडले रिटायर होने के बाद भी स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहे हैं। चंद्रभुवन मांडले 6 किलो मीटर दूर से आकर फ्री में पढ़ाते हैं। यहां तक की छुट्टी के दिनों में भी वे बच्चों को पढ़ाते हैं। च
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चंद्रभुवन मांडले ने 1998 में ग्राम सलोनी के प्राथमिक शाला में बतौर शिक्षक अपनी यात्रा शुरू की थी। उस समय दूरस्थ और अविकसित गांवों में जाकर पढ़ाना कोई आसान काम नहीं था, लेकिन मांडले ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया, बल्कि अपने समर्पण और निष्ठा से सलोनी गांव को अपना परिवार बना लिया।
सच्चा शिक्षक जीवनभर ज्ञान का प्रकाश फैलाता है- मांडले
चंद्र भुवन मांडले ने अपने सेवा के अंतिम दिन के रूप में स्कूल में अपनी नौकरी को अलविदा कहा। लेकिन उनके दिल में सेवा और शिक्षा का जुनून इतना प्रबल है कि सेवानिवृत्ति के बाद भी वे स्कूल के बच्चों को पढ़ाना जारी रखे हुए हैं। मांडले का मानना है कि एक सच्चा शिक्षक कभी रिटायर नहीं होता, बल्कि वह जीवनभर अपने ज्ञान का प्रकाश फैलाता है।
गांव के बच्चों के साथ गहरा रिश्ता
शिक्षक माडले का गांव स्कूल से 6 किलोमीटर दूर है, लेकिन उन्होंने कभी इस दूरी को अपनी सेवा में बाधा नहीं बनने दिया। जब अन्य शिक्षक इस गांव में आने से हिचकिचाते थे, तब मांडले ने इस गांव को चुना।उनकी निष्ठा और सेवा के कारण गांव के बच्चों के साथ उनका परिवार जैसा रिश्ता बन चुका है। बच्चों को न केवल किताबों का ज्ञान देते हैं, बल्कि उन्हें जीवन के मूल्यों और सिद्धांतों से भी अवगत कराते हैं।
समर्पण और निष्ठा का सम्मान- शिक्षक देवेंद्र डंडी
वहीं स्कूल के समन्वयक देवेंद्र डंडी ने कहा कि आज शिक्षक दिवस के इस विशेष अवसर पर, हम शिक्षक चंद्र भुवन मांडले जैसे समर्पित और निष्ठावान शिक्षकों का सम्मान करते हैं, जो जीवनभर शिक्षा की मशाल जलाए रखते हैं।
उन्होंने समाज को उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करते हुए कहा कि आज लोगों ने शिक्षा को व्यवसाय बना लिया है, लेकिन ऐसे में वे सेवानिवृत्ति के बाद भी निस्वार्थ भाव से सुदूर क्षेत्र में बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। यह बच्चों और शिक्षा के प्रति उनका समर्पण है।