Teach Hanuman Chalisa instead of Aurangzeb in schools, children will learn | औरंगजेब को पढ़ाएंगे तो बच्चे देश तोड़ने वाले बनेंगे: धीरेंद्र शास्त्री और रामभद्राचार्य ने हनुमान जयंती पर बताए जीवन में कामयाबी के 5 सबक – Madhya Pradesh News

आज हनुमान जयंती है। हनुमान के दो सबसे चर्चित भक्त जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य और बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री से दैनिक भास्कर ने खास बातचीत की। दोनों ने कहा कि स्कूलों में हनुमान चालीसा पढ़ाने की जरूरत है। ताकि बच्चे सीख सकें कि सफलता

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हनुमान जी की तरह बल और वैभव होने के बाद भी विनम्र बने रहना है। पंडित धीरेंद्र शास्त्री और स्वामी रामभद्राचार्य जी से जानिए हनुमान जी से आज की पीढ़ी कौन से सबक ले सकती है…

सबसे पहले पढ़िए बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री से हुई बातचीत

सवाल: हनुमान जयंती का आध्यात्मिक महत्व क्या है? हनुमान जन्मोत्सव धार्मिक जीवन में शिक्षा देता है कि हनुमान जी का जन्म ही सेवा के लिए हुआ है। उनका जन्म साधु-संतों की रक्षा के लिए हुआ है। हमें हमारे भीतर भी हनुमान जी को प्रकट करना है ताकि हम स्वामी भक्त बन सकें, धर्म और संतों के रक्षक बन सकें। सभी देवी देवताओं में हनुमान जी एकमात्र देवता हैं, जिन्होंने मां जानकी को राम जी से मिलवाकर अपनी मां के दूध का ऋण चुकाया है।

सवाल: आपके जीवन में हनुमान जी की भक्ति का सबसे बड़ा प्रभाव क्या रहा है? मेरे जीवन के हर पहलू में हनुमान जी की भक्ति का प्रभाव रहा है। मैंने किसी भी काम के प्रति लगन हनुमान जी से सीखी है। जैसे उनकी लगन राम जी में थी और उनके काम के लिए वह कभी भी डिगे नहीं, डरे नहीं। बड़े-बड़े राक्षसों से लड़ लिए। रावण की लंका में रावण के सामने राम जी के नाम का जयघोष किया।

सवाल: बच्चों में कैसे राम और हनुमान के संस्कार विकसित कर सकते हैं? स्कूल में बच्चों को हनुमान चालीसा और रामचरितमानस पढ़ाया जाना चाहिए। इससे बच्चों में राम जी की भावना प्रकट होगी। उनमें सद्विचार उत्पन्न होंगे। उनके जीवन में राम चरित्र उतरेगा। बाबर, अकबर या औरंगजेब को पढ़ाया जाएगा तो देश को तोड़ने वाले बच्चे बनेंगे। लेकिन अगर रघुवर के बारे में बच्चों को पढ़ाया जाएगा तो देश को जोड़ने वाले बच्चे बनेंगे।

सवाल: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा है? राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा और धार्मिक अनुष्ठानों का समाज पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। राम मंदिर बनने से राम भक्तों की विजय हुई है। लोगों को रोजगार मिला है। सबसे बड़ा प्रभाव यह कि लोगों में राम जी के प्रति श्रद्धा और निष्ठा दृढ़ हुई है। भारत को पहले अलग नजरों से देखा जाता था, लेकिन अब पूरा विश्व भारत को आस्था की वजह से देख रहा है।

सवाल: धर्म और परंपरा का सोशल मीडिया से प्रचार को कैसे देखते हैं? धर्म का प्रचार और प्रसार तो उसे आत्मसात करने से होता है। चरित्र में उतरने से होता है डिजिटल माध्यम से सोशल मीडिया के जरिए हमारी बात उन लोगों तक भी पहुंच जा रही है जो तथ्यों से वाकिफ नहीं थे। जो लोग कुतर्क करते थे, सोशल मीडिया से उनके कुतर्कों पर कुठाराघात हुआ है। सनातन के लिए सोशल मीडिया का बहुत बड़ा योगदान है।

अब जगतगुरू स्वामी रामभद्राचार्य जी से बातचीत

सवाल: राजनीति में धर्म को सम्मिलित करना चाहिए? धर्म राजनीति का आधार है और संस्कृति राजनीति का श्रृंगार है।

सवाल: क्या हनुमान जी केवल एक पौराणिक पात्र हैं या जीवंत प्रेरणा हैं? हनुमान जी साक्षात सेवा के प्रतीक हैं और श्रीराम में और राष्ट्र में कोई अंतर नहीं है, वे दोनों अभिन्न है। राम स्थापित राष्ट्रवाद का कैसे प्रतिस्थापन हो और इसका जनता में कैसे प्रयोग हो यह हनुमानजी से ही सीखना चाहिए। हनुमान जी ने पूरी लंका जला डाली पर राम जी को इसके बारे में थोड़ा सा भी नहीं बताया। आज थोड़ा सा काम करते हैं तो तब तक संतुष्ट नहीं होते जब तक पेपर में नहीं छप जाता।

सवाल: हनुमान जी की सबसे बड़ी विशेषता क्या है? हनुमान जी की भक्ति श्रेष्ठ है। जहां भक्ति होगी वहां शक्ति और विद्वता खुद-ब-खुद आ जाती है। हनुमान जी की भक्ति में ज्ञान, भक्ति और वैराग्य का समावेश है।

सवाल: क्या हनुमान जी को लेकर कोई नई रचना कर रहे हैं? मैंने हनुमान जी पर बहुत कुछ लिखा है। सबसे पहले हनुमान चालीसा पर महावीर टीका लिखी। हनुमान चालीसा सनातन धर्म का सबसे छोटा और सबसे प्रामाणिक ग्रंथ है। अब मेरी योजना है कि मैं हनुमान बाहु और हनुमान चालीसा पर भाष्य लिखूंगा। अभी तक इसकी संक्षिप्त व्याख्या की थी।

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