मुंबई12 घंटे पहले
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टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टियों के बीच चला आ रहा विवाद खत्म होता नजर आ रहा है। यह विवाद ट्रांसपेरेंसी और सूचनाएं शेयर करने को लेकर उपजा था।
अब बोर्ड में वेणु श्रीनिवासन की दोबारा नियुक्ति के बाद ईमेल पर ट्रस्टियों के साथ उनकी बातचीत से साफ है कि इन मसलों पर सहमति बन गई है।
श्रीनिवासन ने लिखा, ‘मुझे उम्मीद है कि हम आपस में तालमेल बिठाकर काम करेंगे।’ जवाब में आजीवन ट्रस्टी के लिए नोमिनेटेड मेहली मिस्री ने लिखा,
हमारा हमेशा इरादा तालमेल का रहा है। जरूरी जानकारियां शेयर करने पर सहमति बन गई है। पुरानी चीजों को खत्म करें, रतन की अपेक्षा के अनुरूप एकजुट हों।

मेहली मिस्त्री को आजीवन ट्रस्टी बनाने का प्रस्ताव
21 अक्टूबर को ट्रस्ट्स में वेणु श्रीनिवासन को आजीवन ट्रस्टी बनाने के बाद अब मेहली मिस्त्री के नाम का प्रस्ताव दिया गया है। मिस्री उन चार ट्रस्टियों में हैं, जिन्होंने टाटा सन्स के बोर्ड में नियमों के उल्लंघन के आरोप लगाए थे।
नोएल के मामले में हितों के टकराव से विवाद बढ़ा
हितों के टकराव ने विवाद को भड़काया। नोएल टाटा पर सवाल उठे, जो ट्रस्ट के चेयरमैन होने के साथ-साथ टाटा ग्रुप की कई कंपनियों के चेयरमैन भी हैं। एक ट्रस्टी ने कहा, ‘मालिक के रूप में बोर्ड पर बैठकर अपनी कंपनी को फंडिंग पर वोट कैसे?’
मेहली मिस्री के टाटा पावर से लॉजिस्टिक्स बिजनेस को हितों का टकराव बताते हैं। रतन टाटा के निधन के बाद नोएल को चेयरमैन बनाने का प्रस्ताव मिस्री ने ही दिया। लेकिन पारदर्शिता में कमी की समस्या बनी रही।
ये है 38 लाख करोड़ के कारपोरेट ग्रुप में विवाद की जड़
4 ट्रस्टीज- मेहली मिस्री, डेरियस खंबाटा, एचसी जहांगीर और प्रमीत झावेरी ने 11 सितंबर को विजय सिंह की टाटा संस के बोर्ड में रिअपॉइंटमेंट का विरोध किया।
आरोप था कि नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह TSPL के आर्टिकल 121ए का उल्लंघन कर रहे हैं, जिसमें बोर्ड में हुए फैसलों की फौरन जानकारी ट्रस्ट को देना अनिवार्य है।
लेकिन, टाटा मोटर्स के इवेको अधिग्रहण (38,700 करोड़ रुपए) और टाटा इंटरनेशनल को 1,000 करोड़ रुपए की फंडिंग जैसे मामलों में देरी से जानकारी मिली।
टाटा ग्रुप में विवाद, सरकार को दखल देना पड़ा
रतन टाटा के निधन के बाद अक्टूबर 2024 में उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया। वहीं नवंबर 2024 में नोएल को टाटा संस के बोर्ड में भी शामिल किया गया। लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया यह फैसला ट्रस्ट के भीतर एकमत नहीं था।
इससे टाटा संस को कंट्रोल करने वाले टाटा ट्रस्ट्स में बोर्ड सीट को लेकर सीधा-सीधा बंटवारा हो गया। एक गुट बोर्ड मेंबर नोएल टाटा के साथ है, तो दूसरा गुट मेहली मिस्त्री के साथ। मिस्त्री का कनेक्शन शापूरजी पल्लोनजी फैमिली से है जिसकी टाटा संस में 18.37% हिस्सेदारी है।
टाटा संस की बोर्ड सीट को लेकर हुए विवाद के बीच 7 अक्टूबर 2025 को सीनियर लीडरशिप ने गृहमंत्री अमित शाह के घर पर 45 मिनट की मीटिंग की। एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने कहा कि घरेलू झगड़े को जल्द निपटा लिया जाए, ताकि कंपनी पर असर न हो।
मीटिंग में गृहमंत्री शाह, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के साथ टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस-चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन, टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन और ट्रस्टी डेरियस खंबाटा शामिल हुए।

5 पॉइंट में समझें टाटा ग्रुप का पूरा विवाद
- ये पूरा झगड़ा टाटा ट्रस्ट्स की 11 सितंबर को हुई मीटिंग से शुरू हुआ। इसमें टाटा संस के बोर्ड पर पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को नॉमिनी डायरेक्टर के तौर पर दोबारा अपॉइंट करने पर बात होनी थी। लेकिन मीटिंग में सिंह नहीं आए। टाटा ट्रस्ट्स के सिंह समेत कुल सात ट्रस्टी हैं।
- टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के 9 अक्टूबर 2024 को निधन के बाद ट्रस्ट्स ने फैसला लिया था कि टाटा संस बोर्ड पर नॉमिनी डायरेक्टर्स को 75 साल की उम्र के बाद हर साल दोबारा अपॉइंट करना पड़ेगा। 77 साल के सिंह 2012 से ये रोल निभा रहे थे।
- री-अपॉइंटमेंट का ये रेजोल्यूशन नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने रखा था। लेकिन बाकी चार लोग- मेहली मिस्त्री, प्रामित झावेरी, जहांगीर एचसी जहांगीर और डेरियस खंबाटा ने साफ मना कर दिया। चूंकि ये चारों मेजॉरिटी में थे तो रेजोल्यूशन रद्द हो गया।
- इसके बाद इन ट्रस्टीज ने मेहली मिस्त्री को ही टाटा संस बोर्ड पर नॉमिनी के तौर पर प्रपोज करने की कोशिश की। लेकिन नोएल टाटा और श्रीनिवासन ने रोक दिया। मीटिंग खत्म होते ही सिंह ने टाटा संस बोर्ड से खुद ही इस्तीफा दे दिया।
- मेहली मिस्त्री के नेतृत्व वाले चार ट्रस्टी शापूरजी पलोनजी फैमिली से जुड़े हैं। इस फैमिली की टाटा संस में 18.37% हिस्सेदारी है। पीटीआई के मुताबिक, मेहली ने महत्वपूर्ण फैसलों से बाहर रखे जाने पर नाराजगी जताई है। झगड़े का केंद्र टाटा संस में डायरेक्टरशिप के पद हैं।

नाराज ट्रस्टी बोले- बोर्ड बिना डिबेट के फैसले ले रहा
मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टीज के बीच बढ़ते झगड़े का एक बड़ा कारण टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड का 1,000 करोड़ रुपए का फंडिंग प्लान भी है। नोएल टाटा 2010 से इस कंपनी को चला रहे हैं। टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड 27 देशों में ऑपरेट करती है।
ट्रस्टीज प्रमित झावेरी, मेहली मिस्त्री, जहांगीर एच.सी. जहांगीर और डेरियस खंबाटा ने 11 सितंबर की टाटा ट्रस्ट बोर्ड मीटिंग में फंडिंग को पुश करने के तरीके पर सवाल उठाए। इश्यू ये नहीं कि TIL को फंड्स की जरूरत थी या नहीं, बल्कि फैसला कैसे लिया गया इस पर विवाद था।
ट्रस्टीज को लगता है कि इतने बड़े कैपिटल कमिटमेंट पर अच्छे से डिबेट होनी चाहिए थी। ट्रस्टीज ने टाटा मोटर्स के जुलाई में इवेको ग्रुप के नॉन-डिफेंस कॉमर्शियल व्हीकल बिजनेस को खरीदने का भी जिक्र किया। कहा कि उस ट्रांजेक्शन में भी उन्हें लेट स्टेज पर ही इन्फॉर्म किया गया था।
टाटा ग्रुप में टाटा संस की 66% हिस्सेदारी
टाटा ग्रुप की स्थापना जमशेदजी टाटा ने 1868 में की थी। यह भारत की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी है, 10 अलग-अलग बिजनेस में इसकी 30 कंपनियां दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में कारोबार करती हैं।
टाटा संस टाटा कंपनियों की प्रिंसिपल इन्वेस्टमेंट होल्डिंग और प्रमोटर है। टाटा संस की 66% इक्विटी शेयर कैपिटल टाटा के चैरिटेबल ट्रस्ट के पास हैं, जो एजुकेशन, हेल्थ, आर्ट एंड कल्चर और लाइवलीहुड जनरेशन के लिए काम करता है।
2023-24 में टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों का टोटल रेवेन्यू 13.86 लाख करोड़ रुपए था। यह 10 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देती है। इसके प्रोडक्ट्स सुबह से शाम तक हमारी जिंदगी में शामिल है। कंपनी चाय पत्ती से लेकर घड़ी, कार और एंटरटेनमेंट सर्विसेज देती है।

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