.
हनुमान गेट स्थित दिव्य ज्योति जागृति संस्थान आश्रम में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। साध्वी मीना भारती नेकहा कि परमात्मा ने मानव का सृजन करते हुए उसके भीतर मन, चित्त एवं बुद्धि को समाहित किया ताकि वह विवेकशील होकर सृष्टि का सिरमौर होने का कर्तव्य पूर्ण रूप से निभा पाए।
सकारात्मक दिशा के अभाव में मनुष्य स्वयं के ही पतन का कारण बनता जा रहा है, जैसे बिना जल के वृक्ष सूख जाता है। इसी प्रकार बिना अध्यात्म और सकारात्मक विचारों के मनुष्य का मन, चित्त एवं बुद्धि शुष्क एवं नकारात्मक हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य के मन की चिंता एवं चित्त का अवसाद ही उसके जीवन की पीड़ा दुख का कारण बनते हैं। हमारे संत महापुरुष समझाते हैं कि यदि जीवन में प्रभु का चिंतन रहेगा तो चिंता स्वयं ही समाप्त हो जाएगी। संसार का चिंतन एवं स्वयं को ही करता मान लेना ही चिंता का कारण है।
जब हम सर्वस्व प्रभु को सौंप कर अपना प्रत्येक कार्य पूर्ण निष्ठा व ईमानदारी से करते हैं तो उसका परिणाम सदैव सुखद ही होता है। परमात्मा हम सभी को जीवन में कई अवसर देता है जब हम अपने जीवन को सकारात्मक दिशा की ओर अग्रसर कर सकते हैं। गुरु सत्संग या भक्त का मिलना ही वे स्वर्णिम अवसर हैं जब हम अपने अवसाद एवं चिंताग्रस्त जीवन को उत्कृष्टता की ओर अग्रसर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य करने के लिए प्रकाश की अति आवश्यकता है।
जीवन को परम लक्ष्य तक लेकर जाते हैं। हमारे जीवन का उत्थान तभी संभव है जब हम अपना अहंकार, ईर्ष्या और सुविचारों को त्याग कर पूर्ण ब्रह्मनिष्ठ गुरु की शरणागत होकर उनसे ब्रह्मज्ञान की दीक्षा प्राप्त करके परमात्मा के दिव्य प्रकाश से जुड़ें, ताकि हमारे अंधेरे जीवन में भी उस दिव्य प्रकाश का पदार्पण हो जो हमें सदा के लिए चिंता मुक्त बना देता है। चिंता से होने वाली स्ट्रेस एवं डिप्रेशन जैसी बीमारियों के निदान के लिए हम कई तरह की दवाओं का उपयोग करते हैं जो हमारे जीवन के लिए घातक सिद्ध होती हैं।भावी पीढ़ी को चिंता मुक्त देखना चाहते हैं तो हमें आज यह समझना होगा कि चिंतन ही चिंता का एकमात्र निदान है। मौके पर काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।