24 मिनट पहले
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आज (बुधवार, 7 नवंबर) कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि है, आज सूर्य और छठी माता की भक्ति का महापर्व छठ पूजा है। आज शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और कल यानी गुरुवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ पूजा व्रत पूरा होगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, पौराणिक मान्यता है कि छठी माता सूर्य देव की बहन हैं। छठ पूजा व्रत सबसे कठिन व्रत माना जाता है, क्योंकि इसमें भक्त करीब 36 घंटे तक निर्जल रहते हैं यानी इतने समय तक पानी भी नहीं पीते हैं। ये व्रत एक कठोर तप है। व्रत पूरा होने के बाद लोग व्रत करने वाले लोगों के चरण स्पर्श करते हैं, उनका आशीर्वाद लेते हैं।
छठ पूजा व्रत से जुड़ी मान्यताएं
- संतान के सौभाग्य, लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना से किया जाता है। माना जाता है कि जो महिलाएं ये व्रत करती हैं, उनकी संतान के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। छठी माता की कृपा से घर-परिवार में आपसी प्रेम और तालमेल बना रहता है।
- मान्यता है कि पुराने समय में प्रकृति ने खुद को छह भागों में बांटा था। इनमें छठे भाग को मातृ देवी कहते हैं। यही देवी छठ माता के नाम से पूजी जाती हैं।
- एक अन्य मान्यता के मुताबिक छठ माता को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हैं।
- देवी दुर्गा के छठे स्वरूप यानी कात्यायनी को भी छठ माता कहते हैं।
- छठ माता सूर्य देव की बहन मानी गई हैं। इस वजह से भगवान सूर्य के साथ छठ माता की पूजा की जाती है।
- छठ माता संतान की रक्षा करने वाली देवी मानी जाती हैं। इस कारण संतान के सौभाग्य, लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना से छठ पूजा का व्रत किया जाता है।
- एक अन्य मान्यता है कि बिहार में देवी सीता, कुंती और द्रौपदी ने भी छठ पूजा का व्रत किया था और व्रत के प्रभाव से ही इनके जीवन के सभी कष्ट दूर हो गए थे।
आज शाम डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य
आमतौर पर उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है, लेकिन छठ पूजा व्रत में सूर्यास्त के समय अर्घ्य दिया जाता है। इस दौरान भक्त नदी, तालाब या पानी की किसी स्रोत में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इसके बाद अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि पर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। सप्तमी पर दिए गए अर्घ्य के बाद छठ पूजा व्रत पूरा होता है।
घर पर ही ऐसे कर सकते हैं सूर्य पूजा
जो लोग छठ पूजा व्रत नहीं कर रहे हैं और किसी नदी किनारे भी नहीं जा पा रहे हैं, वे घर पर ही सूर्य पूजा कर सकते हैं। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें और जल में कुमकुम, चावल, फूल की पत्तियां डालें और सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: बोलते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें।