संसार में तीन किस्म के लोग हैं, अविवाहित, विवाहित और कुंवारे। जरूरी नहीं कि जो अविवाहित हो, वह कुंवारा भी हो। आजकल ऐसे अविवाहितों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो कुंवारे नहीं हैं। लिव-इन रिलेशनशिप इसी सोच की देन है। इनसे पूछो तो कहते हैं, कि तुम्हें क
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मेरा मानना है कि राजनीतिक व्यक्ति को शादी नहीं करनी चाहिए। इस फील्ड के लिए यह न्यूनतम अर्हता हो, कि वह अविवाहित हो। प्राय: राजनीतिज्ञ कुंवारे तो होते नहीं हैं। हां अविवाहित हो सकते हैं। आदमी शादीशुदा हो तो पति-पत्नी के झगड़े में ही समय नष्ट हो जाता है। अगला, देश के झगड़ों पर ध्यान ही नहीं दे पाता। आटे-दाल के भाव व महंगाई जैसे सामान्य विषयों को पर्सनल लेने लगता है। अंतरराष्ट्रीय विषयों पर सोचने का होश ही नहीं रहता। घर के झगड़ों में वह लड़ने की इच्छाशक्ति खो बैठता है और शांत-सुस्त जीवन जीने का प्रयास करने लगता है। जीवनसाथी की खट-पट का गुस्सा वह जनता पर उतारता है।
पूर्व के एक बड़े लोकप्रिय नेता भी अविवाहित थे। कितना विनम्र आचरण था उनका। न बाजार से सब्जी लानी पड़ती थी, न बच्चों के स्कूल की फीस भरनी पड़ती थी। जब चाहे काम, जब चाहे आराम करो, कोई पूछने वाला नहीं था। ममता दीदी शादीशुदा होतीं तो सारा गुस्सा पति को सुधारने में लगा देतीं। अब वही गुस्सा देश को सुधारने के काम आ रहा है। शादीशुदा होतीं तो उनके गुस्से का देशहित में सदुपयोग नहीं हो पाता।
शादीशुदा नेताओं के उदाहरण ढूंढोगे तो हिटलर, मुसोलिनी व किम जोंग जैसे लोग मिलेंगे। अविवाहित की एक ही दिक्कत है कि समाज उस पर पूरी निगाह रखता है। लेकिन उसको यह सुख जरूर है कि वो चारपाई पर किसी भी ओर से उतर सकता है। देश में सारे महान काम अविवाहितों ने किए। ओशो महान विचारक बने। कलाम साहब राष्ट्रपति बने। विवेकानंद, मदर टेरेसा, जयललिता, मायावती, रतन टाटा, लता मंगेशकर… ये सभी अपने क्षेत्र में चरम पर रहे।
वर्तमान के एक ‘प्रधान’ नेता लगभग अविवाहित जीवन ही जी रहे हैं और उधर विपक्षी नेता भी अविवाहित ही हैं। जरा सोचो, यदि शादी हो गई होती तो क्या राहुल गांधी 4 हजार किमी की यात्रा कर पाते। हर समय पत्नी पूछती, कहां जा रहे हो, क्यों जा रहे हो, आपकी जगह दूसरे को भेज दो, हर जगह तुम ही क्यों जाते हो!
कल्पना करो, क्या दृश्य होता! राहुल भारत-जोड़ो यात्रा में हैं। हर दस कदम पर बीवी का फोन आता… साथ में ये औरत कौन है। कैसा आदमी पल्ले पड़ गया। कल ही पापा बोले, तू समझाती क्यों नहीं इसे, जब घर में गाड़ी है तो पैदल क्यों चल रहा है। इतनी बढ़िया शेविंग किट दिलवाई थी, फिर भी दाढ़ी बढ़ाकर घूमता है! चार हजार किमी तो दूर, चालीस कदम भी चलना मुश्किल हो जाता। तब समझ आता राहुल को कि देश की असली समस्याएं क्या हैं।
सरकार के पास विपक्ष के लिए एक परिवारवाद का ही तो मुद्दा बचा है, राहुल ने अविवाहित रहकर वह भी छीन लिया। देश से भ्रष्टाचार मिटाने के लिए राजनेता का अविवाहित होना बहुत ज़रूरी है। जब अकेला ही है तो किसके लिए खाएगा!