नई दिल्ली53 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे आठ हफ्तों में अदालत को बताएं कि छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और आत्महत्या की घटनाओं से निपटने के लिए बनाए गए दिशा-निर्देशों को कैसे लागू किया गया है।
जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने केंद्र सरकार को 8 हफ्तों में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। इसमें इन दिशानिर्देशों के पालन के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने की बात कही है।
सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई 25 जुलाई को दिए गए उस फैसले से जुड़ी थी, जिसमें न्यायालय ने कहा था कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश दो महीने के भीतर निजी कोचिंग सेंटर्स के लिए पंजीकरण, छात्रों की सुरक्षा और शिकायत निवारण के नियम बनाएं।
सोमवार की सुनवाई में अदालत ने कहा कि अब सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्षकार बनाया जाए और वे अपनी रिपोर्ट आठ हफ्ते में जमा करें। अगली सुनवाई जनवरी 2026 में होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए पूरे भारत के लिए 15 दिशा-निर्देश जारी किए थे। अदालत ने कहा था कि देश में इस विषय पर अभी एक समान कानूनी या नियामक ढांचा नहीं है, जिसे जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए।
इन दिशा-निर्देशों के तहत सभी शैक्षणिक संस्थानों को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी एक समान नीति अपनाने और लागू करने के लिए कहा गया है। यह नीति ‘उम्मीद’ ड्राफ्ट गाइडलाइंस, ‘मनोदर्पण’ पहल और राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति से प्रेरित होनी चाहिए। इसे हर साल अपडेट करके संस्थान की वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर सार्वजनिक करना अनिवार्य होगा।
केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि 2023 में शिक्षा मंत्रालय ने ‘उम्मीद’ दिशा-निर्देश जारी किए थे जिनका उद्देश्य छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को समझना, प्रेरित करना और सशक्त बनाना है। इसके अलावा, कोविड-19 के दौरान छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य सुधार के लिए ‘मनोदर्पण’ कार्यक्रम भी शुरू किया गया था।
यह मामला आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के एक फैसले से जुड़ा था, जिसमें एक 17 वर्षीय नीट छात्रा की आत्महत्या के मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की याचिका खारिज की गई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी, जिसके बाद यह व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए गए।

