Supreme Court Rejects Plea for 100% VVPAT Counting in Elections | सुप्रीम कोर्ट ने 100% VVPAT गिनती की याचिका खारिज की: कहा- पहले ही फैसला दिया जा चुका है, दोबारा सुनवाई नहीं होगी

नई दिल्ली14 मिनट पहले

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सुप्रीम कोर्ट दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। (फाइल फोटो) - Dainik Bhaskar

सुप्रीम कोर्ट दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनावों में 100% VVPAT(वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) पर्चियों की मैनुअल गिनती की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता हंसराज जैन की मांग थी कि ईवीएम के साथ-साथ सभी वीवीपैट पर्चियों की भी 100% मैनुअल गिनती होनी चाहिए। साथ ही वोटर को पर्ची की जांच का अधिकार मिलना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि पहले ही इस मुद्दे पर फैसला दिया जा चुका है, ऐसे में दोबारा सुनवाई की जरूरत नहीं है।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त 2024 को दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुनवाई की। इस फैसले में हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले का हवाला देते हुए याचिका खारिज कर दी थी। उस दौरान चुनाव आयोग ने भी हाईकोर्ट में बताया था कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही ईवीएम को सुरक्षित और पारदर्शी बता चुका है। सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और के वी विश्वनाथन की बेंच ने की।

याचिकाकर्ता ने कहा- VVPAT सिस्टम का उचित इस्तेमाल हो हंसराज जैन ने चुनाव आयोग को भविष्य में VVPAT सिस्टम के इस्तेमाल के निर्देश देने की भी मांग की थी। साथ ही कहा कि सिस्टम ऐसे हो जिसमें प्रिंटर खुला हो और प्रिंटेड पर्ची को वोटर खुद वेरीफाई कर सके। इसके अलावा वह पर्ची मतदान केंद्र छोड़ने से पहले प्रिसाइडिंग ऑफिसर को दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने EVM-VVPAT के 100% मिलान की मांग खारिज की थी

पिछले साल 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने बैलट पेपर से चुनाव कराने और इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (EVM) और VVPAT स्लिप की 100% क्रॉस-चेकिंग कराने से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दीं। लेकिन इस दौरान एक बड़ा फैसला भी दिया था। कोर्ट ने पहली बार कुछ शर्तों के साथ EVM की जांच का रास्ता खोल दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने EVM जांच के लिए क्या शर्त लगाई थी?

  • दूसरे या तीसरे नंबर पर आने वाले किसी कैंडिडेट को शक है तो वह रिजल्ट घोषित होने के 7 दिन के भीतर शिकायत कर सकता है।
  • शिकायत के बाद EVM बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर्स इसकी जांच करेंगे।
  • किसी भी लोकसभा क्षेत्र में शामिल विधानसभा क्षेत्रवार की टोटल EVM’s में से 5% मशीनों की जांच हो सकेगी। इन 5% EVM’s को शिकायत करने वाला प्रत्याशी या उसका प्रतिनिधि चुनेगा।
  • इस जांच का खर्च कैंडिडेट को ही उठाना होगा। चुनाव आयोग ने बताया- जांच की समय सीमा और खर्च को लेकर जल्द ही जानकारी शेयर की जाएगी।
  • जांच के बाद अगर ये साबित होता है कि EVM से छेड़छाड़ की गई है तो शिकायत करने वाले कैंडिडेट को जांच का पूरा खर्च लौटा दिया जाएगा।

​​​​​पहले भी सुप्रीम कोर्ट में कई बार उठा है मुद्दा 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले, 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने भी सभी EVM में से कम से कम 50 प्रतिशत VVPAT मशीनों की पर्चियों से वोटों के मिलान करने की मांग की थी। उस समय, चुनाव आयोग हर निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक EVM का VVPAT मशीन से मिलान करता था। 8 अप्रैल, 2019 को मिलान के लिए EVM की संख्या 1 से बढ़ाकर 5 कर दी थी।

इसके बाद मई 2019 कुछ टेक्नोक्रेट्स ने सभी EVM के VVPAT से वेरिफाई करने की मांग की याचिका लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

इसके अलावा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने भी जुलाई 2023 में वोटों के मिलान की याचिका लगाई थी। इसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- कभी-कभी हम चुनाव निष्पक्षता पर ज्यादा ही संदेह करने लगते हैं।

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