Supreme Court Calls for Revisiting India’s 2020 Electric Vehicle Policy, Suggests Pilot Projects in Metro Cities | सुप्रीम कोर्ट बोला- EV पॉलिसी पर पुनर्विचार करने की जरूरत:: बड़े शहरों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने की सलाह दी; एक महीने बाद अगली सुनवाई

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नई दिल्ली2 घंटे पहले

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) को बढ़ावा देने वाली पॉलिसी पर दायर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने मौखिक तौर पर सरकार से नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (NEMMP) 2020 को दोबारा रिव्यू करने की सलाह दी है।

इसके साथ ही कोर्ट ने मेट्रो शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु में पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का सुझाव दिया है। जस्टिस सूर्या कांत और जस्टिस ज्योमल्या बाघची की बेंच के सामने वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि सरकार की EV खरीद पर रिबेट और टैक्स छूट जैसी पॉलिसी को लागू करने की जरूरत है।

5 पॉइंट्स में समझें पूरा मामला

  • PIL का शुरूआत (2019): सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन, कॉमन कॉज और सीताराम जिंदल फाउंडेशन ने 2019 में PIL दायर की। मकसद था कि फॉसिल फ्यूल वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन को रोकना, जो एयर पॉल्यूशन और क्लाइमेट चेंज बढ़ा रहा है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सरकार की लापरवाही से नागरिकों के स्वास्थ्य और साफ पर्यावरण का अधिकार (आर्टिकल 14 और 21) का उल्लंघन हो रहा है। शहरों को ‘गैस चैंबर’ बनाने का आरोप लगाया गया।
  • मुख्य मांगें : याचिकाकर्ताओं ने मिनिस्ट्री ऑफ हेवी इंडस्ट्रीज की NEMMP 2012 और NITI आयोग की 2018 की ‘जीरो एमिशन व्हीकल्स’ रिपोर्ट लागू करने की मांग की। इसमें EV पर रिबेट, टैक्स छूट, सरकारी वाहनों को EV बनाने, चार्जिंग पॉइंट्स अनिवार्य करने और फीबेट सिस्टम (पॉल्यूटिंग वाहनों पर फीस, EV पर सब्सिडी) शामिल था। साथ ही, प्राइवेट चार्जिंग इंफ्रा को प्रोत्साहन, टोल/पार्किंग छूट और हाइड्रोजन वाहनों पर फोकस की बात कही गई।
  • कोर्ट की 2020 प्रतिक्रिया: 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा NCR ही नहीं, पूरे देश के पर्यावरण को प्रभावित करता है। कोर्ट ने पक्षकारों से सहायता मांगी: EV प्रोक्योरमेंट, चार्जिंग पोर्ट्स, फीबेट सिस्टम, हाइड्रोजन वाहन, अन्य पावर सोर्स और इंपोर्ट/पर्यावरण पर असर। कोर्ट ने माना कि सरकार की सिफारिशें लागू न होने से पॉल्यूशन बढ़ रहा है, लेकिन तुरंत फैसला नहीं दिया।
  • आज की सुनवाई: जस्टिस सूर्या कांत और जस्टिस ज्योमल्या बाघची की बेंच के सामने वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि EV की ऊंची कीमत कम करने के लिए इंसेंटिव और चार्जिंग पॉइंट्स जरूरी हैं। जस्टिस कांत ने मौजूदा पेट्रोल पंप/बस स्टेशन पर चार्जिंग शुरू करने का सुझाव दिया, लेकिन अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरामणी ने कहा कि पूरा ट्रांजिशन बड़ा पॉलिसी डिसीजन है। कोर्ट ने 5 साल बीतने पर NEMMP रिव्यू और मेट्रो शहरों (दिल्ली, मुंबई आदि) में पायलट प्रोजेक्ट की सलाह दी।
  • कोर्ट का आदेश और आगे की सुनवाई: कोर्ट ने मामले को 4 हफ्ते बाद लिस्ट किया। एनईएमएमपी पर काम अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कोर्ट को बताया कि EV प्रमोशन के लिए केंद्र की 13 मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं। कोर्ट ने एक महीने में सभी नोटिफिकेशन और प्रगति रिपोर्ट देने को कहा है।

नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान क्या है?

NEMMP 2020 भारत सरकार की एक योजना है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) और हाइब्रिड वाहनों को बढ़ावा देकर देश की ईंधन सुरक्षा सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखती है। यह 2012 में शुरू हुई थी और 2020 तक इसे मजबूत बनाने के लिए अपडेट किया गया।

यह प्लान EV की ऊंची कीमत को कम करने के लिए सब्सिडी, टैक्स छूट, सरकारी खरीद पर जोर, बैटरी और टेक्नोलॉजी पर रिसर्च, और चार्जिंग स्टेशन बनाने जैसे कदमों पर फोकस करता है।

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