Sunita Williams NASA Space Rescue Mission Delay Reason | Space Station | नासा ने फिर टाली एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स की वापसी: लौटने में 2 महीने और लगेंगे, 8 दिन का सफर 10 महीने में बदला


वॉशिंगटन41 मिनट पहले

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6 जून को स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद क्रू के साथ बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स। - Dainik Bhaskar

6 जून को स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद क्रू के साथ बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स।

भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स को धरती पर लौटने में और ज्यादा वक्त लग सकता है। नासा ने मंगलवार को कहा कि अब अंतरिक्ष यात्रियों को कम से कम मार्च 2025 के अंत का इंतजार करना होगा। यह तारीख अप्रैल की शुरुआत तक भी बढ़ सकती है।

नासा ने मुताबिक सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष से वापस लाने के लिए स्पेसएक्स को नया कैप्सूल बनाना है। इसे बनाने में स्पेसएक्स को वक्त लगेगा, जिस वजह से मिशन में देरी होगी। यह काम मार्च के अंत तक पूरा किया जा सकता है। इसके बाद ही स्पेस में फंसे एस्ट्रोनॉट्स को वापस लाया जा सकेगा।

सुनीता विलियम्स 5 जून को​​​​​​ बुच विल्मोर के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर गई थीं। उनकी ये यात्रा सिर्फ 8 दिनों की थी लेकिन स्पेसक्राफ्ट में खराबी आ जाने की वजह से वो धरती पर वापस नहीं आ सकीं। दोनों अंतरिक्ष यात्रियों के स्पेस में फंसे हुए छह महीने से ज्यादा हो चुके हैं।

इसके पहले नासा ने सुनीता और बुच विल्मोर को फरवरी 2025 में इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से वापस लाने की जानकारी दी थी।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर। तस्वीर 9 जुलाई 2024 को ली गई थी।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर। तस्वीर 9 जुलाई 2024 को ली गई थी।

इससे पहले नासा ने 17 दिसंबर को एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सुनीता और डॉन पेटिट की तस्वीर शेयर की थी। तस्वीर में दोनों एस्ट्रोनॉट्स क्रिसमस को लेकर उत्साहित दिख रहे थे औरने सैंटा की कैप लगाए हुए थे। नासा ने इस पोस्ट को “एक और दिन, एक और स्लेज” कैप्शन के साथ शेयर किया था।

सुनीता और विलमोर को स्पेस स्टेशन पर क्यों भेजा गया था

सुनीता और बुश विलमोर बोइंग और NASA के जॉइंट ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ पर गए थे। इसमें सुनीता, स्पेसक्राफ्ट की पायलट थीं। उनके साथ गए बुश विलमोर इस मिशन के कमांडर थे। दोनों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 8 दिन रुकने के बाद वापस पृथ्वी पर आना था।

लॉन्च के समय बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी के प्रेसिडेंट और CEO टेड कोलबर्ट ने इसे स्पेस रिसर्च के नए युग की शानदार शुरुआत बताया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाकर वापस लाने की क्षमता साबित करना था।

एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन पर 8 दिन में रिसर्च और कई एक्सपेरिमेंट भी करने थे। सुनीता और विलमोर पहले एस्ट्रोनॉट्स हैं जो एटलस-वी रॉकेट के जरिए स्पेस ट्रैवेल पर भेजे गए। इस मिशन के दौरान उन्हें स्पेसक्राफ्ट को मैन्युअली भी उड़ाना था। फ्लाइट टेस्ट से जुड़े कई तरह के ऑब्जेक्टिव भी पूरे करने थे।

सुनीता और विलमोर इतने लंबे समय तक स्पेस में कैसे फंस गए?

स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट के लॉन्च के समय से ही उसमें कई दिक्कतें थीं। इनके चलते 5 जून से पहले भी कई बार लॉन्च फेल हुआ था। लॉन्च के बाद भी स्पेसक्राफ्ट में दिक्कतों की खबर आई।

NASA ने बताया कि स्पेसक्राफ्ट के सर्विस मॉड्यूल के थ्रस्टर में एक छोटा सा हीलियम लीक है। एक स्पेसक्राफ्ट में कई थ्रस्टर होते हैं। इनकी मदद से स्पेसक्राफ्ट अपना रास्ता और स्पीड बदलता है। वहीं हीलियम गैस होने की वजह से रॉकेट पर दबाव बनता है। उसका ढांचा मजबूत बना रहता है, जिससे रॉकेट को अपनी फ्लाइट में मदद मिलती है।

लॉन्च के बाद 25 दिनों में स्पेसक्राफ्ट के कैप्सूल में 5 हीलियम लीक हुए। 5 थ्रस्टर्स काम करना बंद कर चुके थे। इसके अलावा एक प्रॉपेलेंट वॉल्व पूरी तरह बंद नहीं किया जा सका। स्पेस में मौजूद क्रू और अमेरिका के ह्यूस्टन में बैठे मिशन के मैनेजर मिलकर भी इसे ठीक नहीं कर पा रहे हैं।

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