story of lord krishna and jarasandh, lesson of lord krishna, krishna ki seekh, motivational story of krishna, siginificance of agahan month, | अगहन मास में श्रीकृष्ण की कथाएं पढ़ने-सुनने की है परंपरा: श्रीकृष्ण की पांडवों को सीख : बड़ी सफलता चाहते हैं तो योजना बनाकर ही शुरू करें काम

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8 मिनट पहले

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अभी अगहन (मार्गशीर्ष) मास चल रहा है। इस महीने को श्रीकृष्ण को स्वरूप माना जाता है। इसलिए मार्गशीर्ष मास में श्रीकृष्ण की पूजा के साथ ही भगवान की कथाएं पढ़ने-सुनने की भी परंपरा है। श्रीकृष्ण की कथाओं की सीख को जीवन में उतार लेने से हमारी सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं। श्रीकृष्ण ने पांडवों को जरासंध वध से पहले सीख दी थी कि योजना सही हो तो बड़ी सफलता जरूर मिलती है। पढ़िए ये प्रसंग…

कंस वध के बाद से जरासंध (कंस का ससुर) श्रीकृष्ण को अपना शत्रु मानने लगा था। इसलिए जरासंध ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए कई बार प्रयत्न किए, लेकिन वह सफल नहीं हो सका। श्रीकृष्ण मथुरावासियों के जरासंध से बचाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने मथुरा से दूर द्वारिका में अपनी अलग नगरी बसा ली। दूसरी ओर पांडव अपने बड़े भाई युधिष्ठिर को चक्रवर्ती सम्राट बनाना चाहते थे।

एक दिन श्रीकृष्ण पांडवों के पास पहुंचे और उन्होंने युधिष्ठिर से कहा कि आप चक्रवर्ती सम्राट बनेंगे, तब भी जरासंध आपके अधीन नहीं होगा। जरासंध हमारे सभी विरोधी राजाओं का प्रमुख है। धर्म की स्थापना के लिए जरासंध का वध करना जरूरी है।

श्रीकृष्ण ने आगे कहा कि जरासंध ने शिशुपाल को अपना सेनापति बना दिया है। जरासंध के साथ हमारे कई विरोधी राजा भी हैं। श्रीकृष्ण ने पांडवों को जरासंध के सभी सहयोगी राजाओं के नाम बता दिए।

श्रीकृष्ण बोले कि हमें कूटनीति से जरासंध को मारना होगा। इतना कहकर श्रीकृष्ण ने पांडवों को जरासंध वध की योजना बताई। श्रीकृष्ण ने कहा कि अर्जुन और भीम के साथ वे खुद भी जरासंध के राज्य जाएंगे। इसके बाद सही अवसर पाकर भीम जरासंध का वध करेंगे। जरासंध के वध का एक खास तरीका है, वह मैं बाद में बता दूंगा।

श्रीकृष्ण की योजना सुनकर युधिष्ठिर ने कहा कि मैं आपसे बहुत प्रभावित हूं। आपने पूरी तैयारी के साथ हमें एक-एक बात बताई है। आपकी योजना एकदम सटीक है। बाद में श्रीकृष्ण की योजना के मुताबिक भीम ने जरासंध का वध कर दिया था।

श्रीकृष्ण की सीख

पांडवों के लिए जरासंध का वध करना आसान नहीं था, क्योंकि उसे मारने का एक खास तरीका था, जो सिर्फ श्रीकृष्ण जानते थे। दरअसल, जरासंध का जब जन्म हुआ तो वह दो हिस्सों में पैदा हुआ था। उसके माता-पिता ने उसके दोनों हिस्सों को किसी वन में छोड़ दिया था। उस समय वन में जरा नाम की एक मायावी राक्षसी आई, उस राक्षसी ने अपनी विद्या से बालक के दो हिस्सों को आपस में जोड़ दिया और बच्चा जीवित हो गया।

जरासंध को मारने के लिए श्रीकृष्ण ने भीम को इशारों में बताया था कि जरासंध के शरीर को दो हिस्सों में काटकर दोनों हिस्सों को विपरित दिशाओं में फेंकना होगा, तभी उसका वध हो सकेगा। भीम ने श्रीकृष्ण की नीति के अनुसार जरासंध का वध कर दिया था।

श्रीकृष्ण ने पांडवों के संदेश दिया है कि जब काम बड़ा हो तो उसके लिए सटीक योजना बनानी चाहिए, योजना सही होगी तो हमें बड़ी सफलता जरूर मिलेगी।

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