Stock Market Investment Strategies Explained | Sensex Nifty | शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव वाले दौर से न घबराएं: सुनी सुनाई बातों के बजाय फंडामेंटल पर ध्यान दें, अपनाएं ये 7 कारगर रणनीतियां

एनआरपी कैपिटल्स के फाउंडर सीए ऋषभ पारख49 मिनट पहले

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कुछ समय से शेयर बाजार में गिरावट के चलते ज्यादातर रिटेल निवेशकों के पोर्टफोलियो की वैल्यू कम हो गई है। ऐसे समय में घबराकर बाजार से निकलना या निवेश बंद करना समझदारी नहीं है। ऐतिहासिक आंकड़े बताते हैं कि जितना लंबे समय तक निवेशित रहेंगे, जोरदार रिटर्न की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी।

समझदार निवेशक बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान भी नियमित निवेश जारी रखते हैं। नियमित निवेश, SIP आदि जारी रखने का मतलब है कि जब बाजार गिर रहा हो तो आप शेयर या म्यूचुअल फंड की यूनिट खरीदने के लिए कम पैसे चुकाते हैं।

बाजार ऊपर जाने पर आपको इनकी ज्यादा वैल्यू मिलती है। जब तक आपको जीवन के जरूरी खर्च पूरा करने के लिए पैसे की सख्त जरूरत न हो, निवेश को घाटे में बेचना ठीक नहीं है।

आइए समझते हैं कि कुछ रणनीतियों के जरिए किस तरह भारी उतार-चढ़ाव के दौर में भी ज्यादा नुकसान से कैसे बच सकते हैं। सतर्क रहें, अनुशासित रहें और आज के अस्थिर परिदृश्य में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने के लिए आगे बताए गए सुझावों का लाभ उठाएं…

टिप 1: सुनी सुनाई बातों के बजाय फंडामेंटल पर ध्यान दें सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स या मार्केट की सुनी-सुनाई कहानियों से प्रेरित निवेश अक्सर निराश करते हैं।

क्या करें: हमेशा कंपनी के फंडामेंटल्स देखें। बिजनेस के कोर फाइनेंशियल और ऑपरेशनल पहलू होते हैं। इसमें कंपनी के फाइनेंशियल स्टेटमेंट, बिजनेस मॉडल, इंडस्ट्री की स्थिति, मैनेजमेंट और प्रतिस्पर्धा की स्थिति शामिल है। यदि ये अच्छे हों तो निवेश कर सकते हैं।

टिप 2: ‘किसी भी कीमत पर खरीदें’ के जाल से बचें वैल्युएशन अभी सही है या नहीं, ये जाने बिना कोई शेयर न खरीदें। एशियन पेंट्स (34.35% नीचे) और टाटा मोटर्स (42% नीचे) इसका स्पष्ट उदाहरण हैं। भले ही ऐसी कंपनियों ने ऐतिहासिक रूप से मजबूत रिटर्न दिया हो, पर इनमें निवेश से पहले पता करें कि वे अभी रिटर्न की उम्मीदें पूरी कर सकते हैं या नहीं।

ध्यान रखें: किसी शेयर या कंपनी का पिछला प्रदर्शन भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं देता है।

टिप 3: गिरावट में भी SIP बंद न करें बाजार गिरने के कारण SIP रोकना एक क्लासिक गलती है। इक्विटी म्यूचुअल फंड कैटेगरी (मिड-कैप, फ्लेक्सी-कैप) ने ऐतिहासिक रूप से ₹10,000 के अनुशासित मासिक निवेश पर 25 वर्षों में सालाना 20-23% रिटर्न दिया है, जो ₹7-10 करोड़ में बदल गया है।

टिप 4: डाइवर्सिफिकेशन सबसे महत्वपूर्ण रणनीति पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई में शेयर, म्यूचुअल फंड, सोना-चांदी, रियल एस्टेट जैसी अलग-अलग एसेट क्लास शामिल करें। तेजी के दौरान कुछ इस तरह:

  • इक्विटी (म्यूचुअल फंड और स्टॉक): 50-70%
  • डेट (पीपीएफ, एनपीएस, बॉन्ड): 20-40%
  • वैकल्पिक निवेश (सोना, रियल एस्टेट): 10-20%

टिप 5: गैर-जरूरी एसेट बेचकर पोर्टफोलियो रीबैलेंस करें लंबे समय से नुकसान में चल रहे या जल्द बढ़ने की संभावना न दिखाने वाली एसेट पोर्टफोलियो हटा दें। इस रकम का इस्तेमाल सुरक्षित निवेश में करें या एफडी या ओवरनाइट फंड में सुरक्षित रख दें।

टिप 6: धैर्य रखें, ये आपकी सबसे बड़ी संपत्ति बाजार में मंदी का दौर ज्यादा लंबा नहीं टिकता। डॉट-कॉम बबल (2000), 9/11 हमला, 2008 का वित्तीय संकट, कोविड क्रैश (2020) और रूस-यूक्रेन युद्ध (2022) इसके उदाहरण हैं। मतलब धैर्य रखकर अनुशासित निवेशक हमेशा अच्छा रिटर्न पाते हैं।

टिप 7: रियल एस्टेट से सीख लें, लंबी होल्डिंग रखें आप अपने घर या फ्लैट की कीमतों में रोजाना उतार-चढ़ाव ट्रैक नहीं करते। इसी तरह म्यूचुअल फंड और शेयरों में निवेश के लिए भी रियल एस्टेट जैसा धैर्य रखें और रोज-रोज प्राइस मॉनिटर करने से बचें।

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