जयपुर में राजस्थान सहकारी शिक्षा एवं प्रबंध संस्थान में अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस पर शनिवार को राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया।
जयपुर में राजस्थान सहकारी शिक्षा एवं प्रबंध संस्थान में अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस पर शनिवार को राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में ‘सहकारिता : बेहतर विश्व के लिए समावेशी और टिकाऊ समाधान को आगे बढ़ाना’ विषय पर सेमिनार हुआ।
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अतिरिक्त रजिस्ट्रार शिल्पी पांडे ने सहकारिता के मूल मंत्र ‘एक सबके लिए, सब एक के लिए’ पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि परिवर्तन के इस दौर में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है।
अतिरिक्त रजिस्ट्रार संदीप खण्डेलवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सहकारिता को नई पहचान दे रहे हैं। राजस्थान सहकारिता योजनाओं में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। राज्य जल्द ही देश का मॉडल स्टेट बनेगा।
देश में 29 करोड़ लोग सहकारिता से जुड़े
‘सहकार से समृद्धि’ के नोडल अधिकारी भोमा राम ने कहा कि देश में 29 करोड़ लोग सहकारिता से जुड़े हैं। राज्य में हर पांचवां व्यक्ति इससे जुड़ा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में सहकारिता महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। ‘सहकार से समृद्धि’ के तहत डेटा बेस तैयार कर नई नीतियां बनाई जा रही हैं।

कार्यक्रम में ‘सहकारिता : बेहतर विश्व के लिए समावेशी और टिकाऊ समाधान को आगे बढ़ाना’ विषय पर सेमिनार हुआ।
राइसेम के निदेशक रणजीत सिंह चूड़ावत ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि ‘सहकार से समृद्धि’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना पर आधारित एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसमें 60 से अधिक पहलों के माध्यम से सहकारिता को सशक्त बनाया जा रहा है। इनमें लगभग 14 पहलें ग्राम सेवा सहकारी समितियों से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान में सहकारिता का 125 वर्ष पुराना गौरवशाली इतिहास है, इसे हमें और अधिक समृद्ध बनाना है।
ये रहें मौजूद
इस अवसर पर रजिस्ट्रार के तकनीकी सहायक कार्तिकेय मिश्र, अतिरिक्त रजिस्ट्रार (जयपुर खण्ड) मदनलाल गुर्जर, जयपुर केन्द्रीय सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक दिनेश कुमार शर्मा, संयुक्त रजिस्ट्रार (मार्केटिंग) सोनल माथुर, संयुक्त रजिस्ट्रार (आयोजना) अनिल कुमार, संयुक्त रजिस्ट्रार (प्रशासन) अभिलाषा पारीक, उप रजिस्ट्रार (जयपुर शहर) हरप्रीत कौर और सहायक रजिस्ट्रार (प्रोटोकॉल) राजीव थानवी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने पैक्स को अधिक सशक्त बनाने, मानव संसाधनों की कमी दूर करने, पुराने दस्तावेजों-परिपत्रों आदि को एकजाई कर सार्वजनिक करने, प्रशिक्षणों को अधिक गुणवत्तापूर्ण बनाने, सहकारिता विषय को पाठ्यक्रम में शामिल करने आदि पर जोर दिया। सहकारिता विभाग के अधिकारीगण इस अवसर पर उपस्थित रहे।