8 मिनट पहले
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विक्रांत मैसी और मेधा शंकर की फिल्म ’12th फेल’ की सुप्रीम कोर्ट में 25 सितंबर को एक स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई थी। इस दौरान भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने फिल्म के डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा और फिल्म की पूरी टीम को शुभकामनाएं दीं।
फिल्म की इस स्पेशल स्क्रीनिंग में सीजेआई, न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के 600 से ज्यादा अधिकारी और उनके परिवार वालों के अलावा आईपीएस मनोज कुमार शर्मा और आईआरएस अधिकारी श्रद्धा भी शामिल हुए थे।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हम सभी को अपने जीवन में प्रेरणा की तलाश रहती है, हमारा समाज भी उम्मीद पर ही आगे बढ़ता है। हमे ऐसी कहानियों की जरूरत है, जो असल जिंदगी पर आधारित होती हैं। जिन्होंने हर परिस्थितियों का मुकाबला करते हुए समाज के सामने एक उदाहरण पेश किया हो, इसलिए जरूरी है कि ऐसी कहानियों को बड़े पैमाने पर दिखाना चाहिए।’
डी.वाई.चंद्रचूड़ ने कहा, ‘मुझे भरोसा है कि हमारे स्टाफ के परिवार का हर सदस्य अपने बेटों, बेटियों और दोस्तों को मोटिवेट करेगा और राष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए उन्हें मार्गदर्शन भी देगा।’
मुख्य न्यायाधीश ने फिल्म के निर्माता विधु विनोद चोपड़ा की तारीफ करते हुए कहा, ‘जिस तरह से वास्तविक जीवन की कहानी को पर्दे पर दिखाया गया है वह सराहनीय है। विक्रांत और मेधा दोनों ने शानदार काम किया है। उन्होंने अपने किरदारों को पूरी तरह से जिया है। फिल्म में ऐसे पल भी थे जब मेरी आंखें नम थीं। यह फिल्म उम्मीद का एक मजबूत संदेश देती है। पूरे स्टाफ और सुप्रीम कोर्ट में मेरे सहयोगियों की ओर से, मैं ’12th फेल’ की टीम को हमारे साथ शाम बिताने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।’
डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा ने कहा, ‘यह मेरे जीवन की सबसे खूबसूरत शामों में से एक थी, क्योंकि मैं एक ऐसे व्यक्ति के साथ बैठकर फिल्म देख रहा था, जो फिल्म में मेरे द्वारा कही गई हर बात को समझ रहे थे। आज मुझे ऐसा लग रहा है कि अगर मैंने इस फिल्म को अपनी जिंदगी के पांच साल दिए हैं, तो वो सफल हो गए। मैं सुप्रीम कोर्ट के सभी सम्मानित न्यायाधीशों और सदस्यों का आभारी हूं, जिन्होंने हमारे साथ जुड़ने के लिए समय निकाला।’
फिल्म की कहानी क्या है- यह फिल्म राइटर अनुराग पाठक की बुक ’12th फेल’ पर बेस्ड है। फिल्म का टाइटल भी सेम ही रखा गया है। फिल्म का मुख्य सार यही है कि हारा वही है जो लड़ा नहीं। विधु विनोद चोपड़ा की ये फिल्म वैसे तो आईपीएस मनोज कुमार शर्मा की असल जिंदगी से इंस्पायर्ड है, लेकिन इसमें देश के हर गांव और छोटे शहरों के युवाओं की कहानी है।