इंटरनेशनल डिसैबिलिटी डे पर विशेष परिचर्चा
केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड (सीयूजे) के अंग्रेजी अध्ययन विभाग और राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों के अंतरराष्ट्रीय दिवस के उपलक्ष्य में दो दिवसीय कार्यक्रम “हाशिये से केंद्र तक: दिव्यांगता और समावेशन की अनेक गूंज” का आयोजन क
.
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य दिव्यांगजनों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, समावेशन को बढ़ावा देना और पहुंच पर जोर देना था। यह कार्यक्रम भारत सरकार के कौशल विकास, पुनर्वास और दिव्यांगजन सशक्तिकरण हेतु समग्र क्षेत्रीय केंद्र (सीआरसी), रांची के सहयोग से आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. सुधांशु शेखर (अंग्रेजी विभाग, सीयूजे) द्वारा परिचय से हुई। पैनल चर्चा का संचालन सूर्यमणि प्रसाद, निदेशक, सीआरसी रांची ने किया। चर्चा में दस विशेषज्ञों ने दिव्यांगता, समावेशन और पहुंच के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। इस दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कानूनी अधिकार, और सरकारी संस्थाओं की जिम्मेदारियों पर भी चर्चा की गई।
वक्ताओं ने साझा किए अपने विचार
प्रोफेसर अनीता घई ने महिलाओं के आंदोलन में दिव्यांग महिलाओं की भागीदारी की कमी और लिंग, यौनिकता और दिव्यांगता के अंतर्संबंध पर विचार किया। प्रीति मोंगा ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए अपने एनजीओ ‘सिल्वर लाइंग्स’ की कार्यप्रणाली बताई। निधि गोयल ने जागरूकता और अनुभव आधारित वास्तविकताओं की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रो. संदीप सिंह ने जीवन लेखन और अनुभव आधारित कथाओं पर विस्तार से चर्चा की।
डॉ. सुभाष चंद्र वशिष्ठ ने यूनिवर्सल डिज़ाइन और कानूनी मामलों पर विचार किए। डॉ. अक्षांश गुप्ता ने दिव्यांगजनों के प्रति पूर्वाग्रह और रूढ़ियों के प्रभाव पर बात की। अजीत कुमार ने दिव्यांगजनों के हाशिए पर होने और स्थानीय समस्याओं पर चर्चा की। डॉ. जगदीश कुमार ने समावेशन के लिए रैडिकल दृष्टिकोण अपनाने की वकालत की, जबकि कुमार नीरपेन्द्र पाठक ने शिक्षा और रोजगार में दिव्यांगजनों को आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
सांकेतिक भाषा में हुआ आयोजन
कार्यक्रम में डॉ. रंजीत कुमार, रचित कुमार, डॉ. रंजीकांत पांडेय और डॉ. जगदीश सौरव सहित कई शिक्षकगण और स्वयंसेवक उपस्थित रहे। प्रश्नोत्तर सत्र में दर्शकों के साथ गहन संवाद हुआ। कार्यक्रम के अंत में मुकेश कुमार (सहायक प्रोफेसर, सीआरसी) ने धन्यवाद ज्ञापन किया। राम प्रकाश राय (सीआरसी रांची) ने पूरे कार्यक्रम को भारतीय सांकेतिक भाषा में प्रस्तुत किया।