नई दिल्ली3 घंटे पहले
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वांगचुक फिलहाल जोधपुर की जेल में हैं, उन्हें 24 सितंबर को लेह हिंसा भड़काने के आरोप में NSA के तहत 26 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।
वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने 2 अक्टूबर को आर्टिकल 32 के तहत कोर्ट में हेबियस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने पति की NSA के तहत गिरफ्तारी को चुनौती दी थी।
दरअसल, वांगचुक 19 दिनों से जोधपुर की जेल में हैं। उन्हें 24 सितंबर को लेह हिंसा भड़काने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत 26 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। हिंसा में 4 लोग मारे गए थे।

फोटो 8 अक्टूबर की है। जब वांगचुक की पत्नी उनसे मिलने जोधपुर जेल पहुंची थीं।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र को नोटिस भेजा था
इससे पहले 6 अगस्त की सुनवाई में केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके सोनम वांगचुक की पत्नी की याचिका पर जवाब मांगा था।
वांगचुक के वकील कपिल सिब्बल ने दलील में कहा था- सोनम वांगचुक को जिन कारणों से हिरासत में लिया गया, उसकी कॉपी परिवार को नहीं सौंपी गई है।
इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था- हिरासत के कारण हिरासत में लिए गए व्यक्ति (वांगचुक) को पहले ही दिए जा चुके हैं। इसकी कॉपी वांगचुक की पत्नी को देने पर विचार किया जाएगा।
2 अक्टूबर : गीतांजलि बोलीं- एक हफ्ता बीता, डिटेंशन ऑर्डर कॉपी नहीं मिली
गीतांजलि ने 2 अक्टूबर को X पोस्ट में लिखा था- 7 दिन बाद भी मुझे सोनम की सेहत, हालत और नजरबंदी के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। गीतांजलि ने वांगचुक के खिलाफ NSA लगाने के फैसले पर भी सवाल उठाया था।
अंगमो ने कहा था कि उन्हें अभी तक हिरासत आदेश की कॉपी नहीं मिली है, जो नियमों का उल्लंघन है। दरअसल, अंगमो ने वकील सर्वम ऋतम खरे के जरिए दायर याचिका में वांगचुक की हिरासत को चुनौती दी है।
अंगमो ने ANI को बताया था कि दिल्ली में हर जगह मेरा पीछा किया जा रहा है। मैं जहां भी जाती हूं, एक कार मेरा पीछा करती है। हमारे साथ मिलकर काम करने वाले एक कर्मचारी को हिरासत में लिया गया है। उसे पीटा जा रहा है और मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।

अब जानिए क्या होती है हैबियस कार्पस ?
हैबियस कार्पस लैटिन भाषा का शब्द है, इसका मतलब होता है- शरीर सामने लाओ। यानी किसी व्यक्ति को गैर-कानूनी ढंग से गिरफ्तार किया है, हिरासत में रखा है, तो अदालत उस व्यक्ति को तुरंत कोर्ट के सामने पेश करने का आदेश दे सकती है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 और 226 के तहत यह अधिकार हर नागरिक को मिला है। कोई भी व्यक्ति, उसका परिवार/दोस्त हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कॉर्पस रिट दायर कर सकता है। आदेश के बाद पुलिस को पूरी जानकारी कोर्ट के सामने रखनी होती है।

26 सितंबर: सोनम वांगचुक को लद्दाख से गिरफ्तार करके राजस्थान की जोधपुर जेल लाया गया था।
अंगमो ने PM, प्रेसिडेंट और गृह मंत्री को लेटर लिखा
अंगमो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गृह मंत्री अमित शाह, लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लेह जिला कलेक्टर को लेटर लिखा था। जिसकी कॉपी उन्होंने X पर शेयर की थी।
अंगमो का आरोप है कि वांगचुक को शांत कराने के लिए पिछले महीने से विच हंट शुरू किया गया है। अंगमो ने कहा था कि वांगचुक कभी भी किसी के लिए खतरा नहीं हो सकते, अपने राष्ट्र की तो बात ही छोड़ दें।
वांगचुक की मांग– लेह हिंसा की न्यायिक जांच हो
सोनम वांगचुक ने लेह हिंसा के दौरान हुई 4 लोगों की मौत की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने जोधपुर सेंट्रल जेल से एक पत्र लिखा है, जो रविवार को जारी किया गया। वांगचुक ने लिखा-

जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई, उनके परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। मैं घायलों और गिरफ्तार लोगों के लिए प्रार्थना करता हूं। 4 लोगों की मौत की जांच एक स्वतंत्र न्यायिक आयोग से होनी चाहिए, जब तक ऐसा नहीं होता, मैं जेल में ही रहूंगा।
यह लेटर एडवोकेट मुस्तफा हाजी ने साझा किया है, जो लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के कानूनी सलाहकार हैं। उन्होंने और वांगचुक के भाई भाई त्सेतन दोरजे ले ने 4 अक्टूबर को जेल में वांगचुक से मुलाकात की थी। पूरी खबर पढ़ें…

सोनम की गिरफ्तारी के बाद पत्नी के 3 रिएक्शन…
- 2 अक्टूबर: X पर लिखा- क्या भारत सचमुच आजाद है। 1857 में 24,000 अंग्रेजों ने महारानी के आदेश पर 30 करोड़ भारतीयों पर अत्याचार करने के लिए 1.35 लाख भारतीय सिपाहियों का इस्तेमाल किया था। आज, गृह मंत्रालय के आदेश पर, एक दर्जन प्रशासक 2400 लद्दाखी पुलिस का दुरुपयोग करके 3 लाख लद्दाखियों पर अत्याचार और अत्याचार कर रहे हैं।
- 1 अक्टूबर: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेटर लिखा। राष्ट्रपति एक आदिवासी होने के चलते लद्दाख के लोगों की भावनाओं को समझें। यह लेटर PM नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी भेजा। अंगमो ने सोनम वांगचुक की बिना शर्त रिहाई की मांग की।
- 28 सितंबर: न्यूज एजेंसी PTI से कहा था- वांगचुक ने हमेशा गांधीवादी तरीके से प्रदर्शन किया है। 24 सितंबर की हिंसा के लिए CRPF जिम्मेदार हैं। सोनम की पाकिस्तान की यात्राएं जलवायु परिवर्तन से जुड़ी थीं। हम संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में गए थे। हिमालय के ग्लेशियर के पानी में हम भारत-पाकिस्तान नहीं देखते।
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उद्धव बोले- पाकिस्तान जाने पर वांगचुक देशद्रोही फिर मोदी क्या: न्याय के लिए लड़ना अब देशद्रोह हो गया

शिवसेना (UBT) चीफ उद्धव ठाकरे ने सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर केंद्र सरकार की आलोचना की। दादर वेस्ट में दशहरा मेला में ठाकरे ने कहा- देश में अधिकारों और न्याय के लिए लड़ना अब देशद्रोह हो गया है। पढ़ें पूरी खबर…