Solar eclipse on 2nd October, significance of pitru paksha amawasya in hindi, story of rahu ketu in hindi | 2 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण: भारत में नहीं दिखेगा ग्रहण, इस कारण यहां नहीं रहेगा सूतक, जानिए राहु-केतु से जुड़ी ग्रहण की कथा

18 मिनट पहले

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पितृ पक्ष की अमावस्या तिथि (2 अक्टूबर) पर सूर्य ग्रहण होगा, लेकिन ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इस कारण देश में ग्रहण का सूतक नहीं रहेगा। भारतीय समय के अनुसार सूर्य ग्रहण रात 9.13 बजे शुरू होगा और रात में 3.17 बजे खत्म होगा। ग्रहण, अर्जेंटिना, अमेरिका, ब्राजिल, मेक्सिको, न्यूजीलेंड, पेरू, सहित कई देशों में दिखाई देगा। भारत के आसपास के देशों में ग्रहण के समय रात रहेगी, यहां सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ग्रहण से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं आधुनिक विज्ञान से एकदम अलग है। धार्मिक मान्यता है कि सूर्य और चंद्र ग्रहण राहु-केतु की वजह से होते हैं। जानिए ये कथा…

  • समुद्र मंथन से जुड़ी कथा है। पुराने समय में देवताओं का सुख-ऐश्वर्य खत्म हो गया था। तब सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे थे, ताकि स्वर्ग का खोया हुआ सुख-ऐश्वर्य वापस आ सके।
  • भगवान विष्णु ने देवताओं को सलाह दी थी कि आपको असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करना चाहिए। इस मंथन से कई दिव्य रत्न निकलेंगे और अंत अमृत निकलेगा, जिसे पीकर सभी देवता अमर हो जाएंगे।
  • देवताओं ने भगवान विष्णु की आज्ञा के अनुसार असुरों से बात की और सभी असुर भी अमृत के लालच में समुद्र मंथन करने के लिए तैयार हो गए।
  • समुद्र मंथन में 14 रत्न निकले थे। समुद्र मंथन में जब अमृत निकला तो इसके लिए देवताओं और दानवों के बीच युद्ध होने लगा। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और देवताओं को अमृतपान करवाने लगे।
  • जब सभी देवता अमृत पी रहे थे, उस समय राहु नाम का असुर देवताओं का वेश धारण करके वहां पहुंच गया था। राहु ने देवताओं के बीच बैठकर धोखे से अमृत पान कर लिया था।
  • चंद्र और सूर्य ने देवताओं के बीच बैठे राहु को पहचान लिया था। चंद्र-सूर्य ने भगवान विष्णु को इसकी जानकारी दे दी। विष्णु जी ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, क्योंकि राहु ने भी अमृत पी लिया था, इस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई। राहु का सिर धड़ से अलग हो गया। उसका सिर राहु और धड़ केतु बन गया।
  • चंद्र और सूर्य ने राहु का भेद खोल दिया था, इसलिए राहु चंद्र-सूर्य को अपना शत्रु मानता है और समय-समय पर इन दोनों ग्रहों को ग्रसता है। शास्त्रों में इसी घटना को सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कहा जाता है।

अब जानिए विज्ञान के अनुसार कैसे होता है ग्रहण

सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब पृथ्वी पर चंद्र की छाया पड़ती है, तब सूर्य ग्रहण होता है। इस दौरान सूर्य, चंद्र और पृथ्वी तीनों ग्रह एक लाइन में आ जाते हैं। पृथ्वी के जिन क्षेत्रों में चंद्र की छाया पड़ती है, वहां सूर्य दिखाई नहीं देता है, इसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या पर करें ये शुभ काम

सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इस कारण यहां सूतक भी नहीं रहेगा। इसलिए पूरे दिन पितृ पक्ष की अमावस्या से जुड़े सभी शुभ काम किए जा सकेंगे। सुबह देवी-देवताओं की पूजा करें, दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान करें और शाम को भी पूजा-पाठ करें। भगवान विष्णु के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें।

जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, जूते-चप्पल और कपड़ों का दान करें। गाय, कुत्ते, कौए के लिए घर के बाहर खाना रखें।

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