significance of ashad month in hindi, traditions of ashad month, Start the day with Surya Puja, do charity along with chanting mantras | आषाढ़ मास की परंपराएं: सूर्य पूजा के साथ दिन की शुरुआत, ग्रंथों का करें पाठ और मंत्र जप के साथ करें दान-पुण्य

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36 मिनट पहले

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हिन्दी पंचांग का चौथा महीना आषाढ़ मास 21 जुलाई तक रहेगा। इस महीने में सूर्य देव की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस महीने से वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है, इस कारण इन दिनों में खानपान में लापरवाही करने से बचना चाहिए। धर्म-कर्म के नजरिए से इस महीने से जुड़ी कई परंपराएं हैं, जिनका पालन करने से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिल सकते हैं। जानिए आषाढ़ मास से जुड़ी परंपराएं…

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक आषाढ़ मास जुड़ी पंरपराओं का पालन करने से जीवन में सफलता, सुख-शांति और सेहत बनी रहती है। ऐसी मान्यता है।

सूर्य पूजा से करें दिन की शुरुआत

आषाढ़ महीने में रोज सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए और स्नान के बाद उगते सूर्य को अर्घ्य चढ़ाना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें, चावल और लाल फूल डालें। इसके बाद ऊँ सूर्याय नम: मंत्र जप करते हुए अर्घ्य अर्पित करें। चावल-फूल न हो तो सिर्फ जल भी चढ़ा सकते हैं।

पूजा में करें इष्टदेव के मंत्रों का जप

सूर्य पूजा के बाद घर के मंदिर में पूजा करें। सबसे पहले गणेश पूजन और फिर अन्य देवी-देवताओं की पूजा करें। पूजा में अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करना चाहिएं। जैसे ऊँ नम: शिवाय, ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय, ऊँ रामदूताय नम:, कृं कृष्णाय नम:, ऊँ रां रामाय नम: मंत्र का जप कर सकते हैं। मंत्र जप के साथ ही ध्यान भी जरूर करें। ऐसा करने से नकारात्मक विचार दूर होते हैं और सकारात्मकता के साथ ही ऊर्जा भी बढ़ती है।

ग्रंथों का करें पाठ

पूजन करने के बाद कुछ देर रामायण, शिव पुराण, श्रीमद् भगवद्गीता जैसे पवित्र ग्रंथों के कुछ अध्यायों या प्रसंगों का पाठ करें। ग्रंथों में बताई गई सीख को जीवन में उतारेंगे तो कई समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है।

दान-पुण्य जरूर करें

अभी वर्षा ऋतु शुरू हो गई है। इन दिनों में कई लोगों को काम नहीं मिल पाता है, ऐसे में उन्हें धन संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज के साथ ही कपड़े, छाते का दान भी करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट की जा सकती है। बच्चों की शिक्षा से जुड़ी चीजें भेंट में दे सकते हैं।

पौराणिक मंदिरों में दर्शन-पूजन करें

आषाढ़ मास को कामनाओं की पूर्ति करने वाला महीना कहते हैं। इस महीने में पौराणिक मंदिरों की यात्रा करनी चाहिए। पवित्र नदियों के जल से सावधानी पूर्वक स्नान करें। ऐसे करने से विचारों में ताजगी बनी रहती है और काम के लिए नई ऊर्जा मिलती है।

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