कतर के दोहा में होने वाले ISSF विश्व कप फाइनल 2025 में हरियाणा को इस बार झज्जर की मनु भाकर और सुरूचि फौगाट से डबल उम्मीदे हैं। वर्ल्ड कप के लिए भारतीय दल आज दोहा रवाना होगा।
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ISSF विश्व कप फाइनल में कतर के दोहा में 4 से 9 दिसंबर के बीच आयोजित होगा। भारतीय दल में हरियाणा की मनु भाकर एकमात्र ऐसी शूटर हैं, जिन्हें दो इवेंट में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा। वे 10 मीटर एयर पिस्टल और 25 मीटर पिस्टल में भाग लेंगी। भारत को उनसे डबल उम्मीदें हैं।

मोहाली में की मनु ने ट्रेनिंग
भारत की डबल ओलंपिक मेडलिस्ट मनु भाकर ने कहा कि मोहाली में उन्होंने ट्रेनिंग हासिल की है। उन्होंने मोहाली शूटिंग रेंज की तारीफ करते हुए कहा कि, यहां पर काफी अच्छा एनवायरमेंट और इक्विपमेंट फैसिलिटी उन्हें मिली है जिसकी वजह से उनकी ट्रेनिंग भी काफी अच्छे से हुई है। इसके साथ ही उन्होंने चंडीगढ़ के मौसम की भी तारीफ की है।
उन्होंने अपने अगले टारगेट के बारे में बताया कि आने वाले प्रतियोगिताओं को देखते हुए वह अपनी ट्रेनिंग को लेकर काफी सीरियस है और आने वाले कंपीटीशन को लक्ष्य बनाते हुए अपनी ट्रेनिंग को आगे बढ़ाया है।
ओलिंपिक में मेडल यादगार पल
मनु भाकर ने पिछले ओलिंपिक की उपलब्धि के बारे में बताते हुए कहा कि, वह पल केवल उनके लिए नहीं बल्कि उनकी पूरी टीम के लिए बेहद यादगार पल था। उन्होंने कहा कि उसे एक उपलब्धि के लिए बहुत सारे लोगों ने काफी मेहनत की थी और आखिरकार हमने वह अचीवमेंट हासिल की।
उन्होंने कहा कि, आगे भी उनकी लगातार यह कोशिश रहेगी कि देश के लिए इसी तरह से वह बेहतरीन प्रदर्शन करें और लगातार देश का नाम ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर ऊपर लेकर आए।

सुरूचि बन चुकी है नंबर वन शूटर
हरियाणा के झज्जर जिले के सासरोली गांव की बेटी सुरुचि फोगाट ने शूटिंग की दुनिया में नया इतिहास रच चुकी है। 19 वर्षीय सुरुचि ने Munich ISSF World Cup (2025) में महिला 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में स्वर्ण जीतकर तीन लगातार विश्व कप गोल्ड की हैट्रिक पूरी की। जिसके बाद वह दुनिया की नंबर वन शूटर बन चुकी है।
पहलवानी से शूटिंग की ओर
सुरुचि का जन्म 28 अप्रैल 2006 को झज्जर के सासरोली गांव में हुआ। पिता इंदर सिंह फोगाट आर्मी से रिटायर्ड हैं, चाहते थे कि उनकी बेटी पहलवानी करे, लेकिन 13 साल की उम्र में हुए कंधे के फ्रैक्चर ने उनकी दिशा बदल दी। यहीं से उन्होंने निशानेबाजी को अपनाया और गुरु द्रोणाचार्य शूटिंग अकादमी भिवानी में कोच सुरेश सिंह के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण शुरू किया।

मेडल दिखाते हुए सुरूचि फौगाट। फाइल
कुश्ती के दौरान टूट गई थी गले की हड्डी
इन्द्र फोगाट ने बताया कि जब सुरुचि का जन्म हुआ, तब कुछ दिन पहले ही डेप्थ ओलिंपिक में गांव के वीरेंद्र उर्फ गूंगा पहलवान गोल्ड मेडल जीतकर लौटे थे। तभी मन में ठान लिया कि बेटी को अच्छी पहलवान बनाना है।
उन्होंने बताया कि वह 2019 में आर्मी से हवलदार से रिटायर हो गए। उस समय बेटी 12 साल की थी और आते ही बेटी सुरुचि को पहलवानी के लिए गांव के ही अखाड़े में ले जाने लगे। बेटी को पहलवानी करते 5 महीने ही गुजरे थे कि एक कुश्ती ने उन्हें झकझोर दिया।

सुरूचि फौगाट।
13 साल की उम्र में शुरू की शूटिंग
उन्होंने कहा कि गांव में ही अखाड़े में कुश्ती हो रही थी, बेटी के जीतने की टकटकी लगाए देख रहा था। उस दौरान बेटी के गले की हड्डी टूट गई और सब स्तब्ध रह गए। फिर करीब 6 माह में सुरुचि की हड्डी जुड़ी, लेकिन उसे दोबारा डर के मारे अखाड़े में नहीं उतारा।
फिर कुछ समय बाद सुरुचि को स्पोर्ट्स में भेजने का मन में आया और 13 साल की उम्र में उसे शूटिंग करने भेजना शुरू किया। सुरुचि शूटिंग में रुचि लेने लगी और मन लगाकर शूटिंग करने लगी थी।
6 साल में ही बनी दुनिया की नंबर-1 शूटर
सुरुचि ने बताया कि उसके पिता का सपना था कि वह एक अच्छी पर्सन बने और देश दुनिया में नाम हो, उनकी इच्छा पूरी करने के लिए पूरा मन लगाकर शूटिंग किया और दो साल में मेहनत रंग लाई और नेशनल में मेडल जीता।
सुरुचि फोगाट ने बताया कि 2019 में उसने शूटिंग शुरू की थी और आज 6 साल में माता पिता के आशीर्वाद से वह देश और दुनिया में नंबर-1 शूटर बन गई हैं। सुरुचि ने कहा कि उसके माता पिता का जो सपना है, उसे पूरा करने के लिए वह जी जान से शूटिंग करती हैं और आगे भी तैयारी करती रहेंगी।

