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- Shiva Puja; Mahamrityunjaya Mantra Gives Relief From Troubles, Savan Month 2025, Shiv Puja Vidhi, Significance Of Mahamrityunjay Mantra
2 घंटे पहले
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अभी सावन महीना चल रहा है और इस महीने में शिव पूजा करते समय महामृत्युंजय मंत्र का जप करने की परंपरा है। माना जाता है इस मंत्र के जप से भक्त की सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं और मुश्किल से मुश्किल काम सफल हो सकते हैं।
मान्यता: महामृत्युंजय मंत्र मृत्यु समान कष्टों को भी दूर कर सकता है
ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
मंत्र का अर्थ – भगवान शिव त्रिनेत्र धारी हैं। हम त्रिनेत्र वाले भगवान शिव का मन से स्मरण करते हैं। शिव जी हमारे जीवन को मधुर बनाते हैं, हमारा पालन-पोषण करते हैं। हे शिव जी, हमें ऐसा आशीर्वाद दीजिए कि हम जीवन और मृत्यु के बंधन से मुक्त होकर अमृत की ओर आगे बढ़ें।
भगवान शिव की आराधना करने वाला ये मंत्र व्यक्ति को न केवल मृत्यु के भय से मुक्त करता है, बल्कि उसे मानसिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है।
मंत्र जप के लाभ
- मन की शांति और सकारात्मक सोच मिलती है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- अनजाना भय समाप्त होता है।
- नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है।
- अकाल मृत्यु जैसे भय दूर होते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शिवलिंग पर जल अर्पण करते हुए इस मंत्र का जप करना चाहिए। ये मंत्र जप हमारे भीतर की शक्ति को शिव की कृपा से जोड़ता है।
कैसे हुई महामृत्युंजय मंत्र की रचना
महामृत्युंजय मंत्र की रचना मार्कंडेय ऋषि ने बालपन की उम्र में की थी। पौराणिक कथा है कि मृगशृंग ऋषि और सुव्रता की कोई संतान नहीं थी। तब उन्होंने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए तप किया और जब शिव जी प्रकट हुए तो उन्होंने ऋषि और सुव्रता को पुत्र प्राप्ति का वर दिया था। शिव जी ने कहा था कि आपके यहां संतान तो होगी, लेकिन ये संतान अल्पायु होगी, इसका जीवन 16 वर्ष का ही रहेगा।
कुछ समय बाद ऋषि के यहां पुत्र का जन्म हुआ। उसका नाम मार्कंडेय रखा गया। माता-पिता ने मार्कंडेय को ज्ञान प्राप्त करने के लिए दूसरे ऋषियों के आश्रम में भेज दिया। 15 वर्ष बीत गए। जब बालक मार्कंडेय अपने घर लौटकर आया तो उसके माता-पिता दुखी थे। माता-पिता ने मार्कंडेय को उसके अल्पायु होने की बात बताई।
मार्कंडेय ने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और मंत्र जप करते हुए शिव जी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करने लगा। इस तरह एक वर्ष बीत गया। मार्कंडेय की उम्र 16 वर्ष हो गई थी।
मार्कंडेय की उम्र पूरी होने पर यमराज उसके सामने प्रकट हुए तो मार्कंडेय ने शिवलिंग को पकड़ लिया। यमराज उसे ले जाना चाहते थे, तभी वहां शिव जी प्रकट हुए। शिव जी ने कहा कि इस बालक की तपस्या से हम प्रसन्न हैं और इसे अमरता का वरदान देते हैं।
इस तरह शिव जी की कृपा और महामृत्युंजय मंत्र के जप से मार्कंडेय अमर हो गए। शिव जी ने मार्कंडेय से कहा था कि जो भक्त महामृत्युंजय मंत्र का जप करेगा, उसकी सभी समस्याएं खत्म होंगी और वह अकाल मृत्यु के भय से बचा रहेगा।
कैसे करें मंत्र जप
प्रातःकाल स्नान के बाद शांत वातावरण में बैठें और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए कम से कम 108 बार मंत्र जप करें। जप के दौरान मन को शिव जी में लगाएं। नियमित साधना से इसका प्रभाव दिखता है। इस मंत्र का जप मानसिक तनाव दूर होता है और निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है। आध्यात्मिक संतुलन बना रहता है। आत्म-अनुशासन जीवन में बना रहता है।