बीआरओ ने साढ़े तीन महीने बाद रास्ता खोला।
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने साढ़े तीन महीने बाद 16,580 फीट ऊंचे शिंकुला दर्रे को वाहनों की आवाजाही के लिए बहाल कर दिया है। बीआरओ की योजक परियोजना के तहत 13 बीआरटीएफ की 126 आरसीसी ने 35 से 40 फीट ऊंची बर्फ की दीवार को काटकर यह रास्ता खोला है।
.
दर्रे की बहाली के पहले दिन मंगलवार को करीब 40 वाहन लाहौल से जांस्कर की ओर रवाना हुए। जांस्कर से लाहौल की तरफ भी वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई है। इस दर्रे की बहाली से जांस्कर घाटी का शेष विश्व से संपर्क स्थापित हो गया है।
बीआरओ की योजक परियोजना के चीफ इंजीनियर राजेश राय ने बताया कि शिंकुला दर्रा जांस्कर घाटी के लिए जीवन रेखा है। अब जांस्कर के लोग लाहौल या देश के किसी भी हिस्से में आसानी से आ-जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि लेह मार्ग की बहाली का काम भी युद्ध स्तर पर चल रहा है।
बीआरओ अधिकारियों के अनुसार, अब लाहौल और लद्दाख प्रशासन को तय करना है कि वे पर्यटकों के लिए इसे कब आधिकारिक तौर पर खोलेंगे। इस अवसर पर 13 बीआरटीएफ के कमांडर योगेश तोमर और 126 आरसीसी के कमांडिंग ऑफिसर मेजर उत्कर्ष शुक्ला भी मौजूद थे।
गौरतलब है कि दिसंबर माह में शिंकुला दर्रे पर सामान्य वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई थी । जिसके चलते लद्दाख की जांस्कर घाटी के लोग शेष विश्व से पूरी तरह कट गए थे। लेकिन अब जांस्कर वासियों अपनी आवाजाही सुचारू कर पाएंगे।