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- Shaniwar And Ekadashi Yoga On 14th September, Parivartini Ekadashi In Hindi, Significance Of Jaljhulni Ekadashi In Hindi
34 मिनट पहले
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अभी गणेश उत्सव चल रहा है और इस उत्सव के दिनों में आने वाली एकादशी का महत्व काफी अधिक है। शनिवार, 14 सितंबर को भाद्रपद शुक्ल की एकादशी है। इसका नाम जलझूलनी, परिवर्तिनी एकादशी है, इसे डोल ग्यारस भी कहते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, एकादशी व्रत भगवान विष्णु के लिए किया जाता है। इस बार शनिवार और गणेश उत्सव के योग में एकादशी पर भगवान विष्णु, गणेश जी के साथ ही शनिदेव की पूजा का शुभ योग बन रहा है।
स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य अध्याय में सालभर की सभी एकादशियों के बारे में बताया गया है। एकादशी पर विष्णु जी के लिए व्रत किया जाता है और विशेष पूजा की जाती है।
परिवर्तिनी एकादशी से जुड़ी मान्यता
अभी भगवान विष्णु के विश्राम का समय चल रहा है। पौराणिक मान्यता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर विष्णु जी करवट बदलते हैं, इस वजह से इस तिथि को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं।
ये है एकादशी व्रत की सरल विधि
एकादशी व्रत से पहले दशमी तिथि (13 सितंबर) की शाम सात्विक आहार लेना चाहिए। रात में जल्दी सोएं और अगले दिन एकादशी (14 सितंबर) की सुबह सूर्योदय से ठीक पहले जागें। स्नान के बाद उगते सूर्य को अर्घ्य चढ़ाएं।
घर के मंदिर में भगवान गणेश की पूजा के बाद विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक करें। दोनों देवी-देवता को दक्षिणावर्ती शंख में जल-दूध भरकर स्नान कराएं। हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। भगवान के सामने एकादशी व्रत करने का संकल्प लें।
एकादशी व्रत करने वाले लोगों को दिनभर अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। भूखे रहना संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं, दूध पी सकते हैं।
दिनभर भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करें। भगवान की कथाएं पढ़ें-सुनें। अगले दिन द्वादशी तिथि पर सुबह जल्दी उठें और भगवान गणेश के साथ विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करें। किसी जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं। इसके बाद खुद भोजन करें। इस तरह एकादशी व्रत पूरा होता है।
एकादशी और शनिवार के योग में शनिदेव की पूजा भी जरूर करें। शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक करें, भगवान को नीले फूल, काले तिल, काली उड़द चढ़ाएं। शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: का जप करें। जरूरतमंद लोगों को तेल, तिल का दान करें।