Shani torments through black deeds, not through black color: Black color maintains positive energy, hence the tradition of black thread and black tika | काले कर्मों से पीड़ा देते शनि, काले रंग से नहीं: काला रंग सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखता है, इसलिए काले धागे और काले टीके की परंपरा

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25 मिनट पहले

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काले रंग को शनि ग्रह से जोड़कर शुभ कामों में त्यागने की धारणा बना दी है जो सही नहीं है। शनि, न्याय के देवता हैं। वह सिर्फ काले कर्मों से कारण पीड़ा देते हैं। काले रंग की वजह से नहीं। विज्ञान के अनुसार काला रंग सबसे ज्यादा ऊर्जा सोखने वाला रंग है। वहीं, सफेद रंग सबसे ज्यादा ऊर्जा परिवर्तित करने वाला रंग होता है। किसी भी तरह की ऊर्जा को सबसे कम सोखता है।

इसी तरह हम नजर से बचने के लिए किसी देवालय से, साधु, संत और ऋषि द्वारा काला धागा बंधवाते हैं, क्योंकि उनकी सकारात्मक ऊर्जा ज्यादा समय तक काले रंग में रह सकती है। बच्चों के लिए मां ही भगवान होती हैं। सबसे ज्यादा वात्सल्य से भरी होती हैं, इसीलिए उनके हाथ का लगाया काला टीका बच्चों की रक्षा करता है। ये ही वजह है कि जब आप सत्संग, प्रवचन, देवदर्शन और किसी से शिक्षा प्राप्त करने जाए तो काली टोपी का इस्तेमाल करें तो आप वहां की सकारात्मक ऊर्जा को ज्यादा संचित कर पाते हैं और लंबे समय तक उपयोग कर पाते हैं।

जब हम किसी शोक सभा में जाते हैं तो सफेद कपड़े पहनकर जाते हैं। जिससे वहां की शोकाकुल भावनाएं हम में न आएं। डॉक्टर का एप्रीन भी सफेद रंग का होता है। जिससे बीमारियों के प्रभाव का उन पर कम हो। इसी तरह विमान और जहाज चलाने वाले ही सफेद कपड़े पहनते हैं। जिससे सूर्य के ताप का कम कम से कम अवशोषण हो।

इसी तरह जैन संत, साध्वियां, ईसाई धर्म में पादरी और नन, जो संसार से विरक्त होने के भाव से अपना जीवन जीना चाहते हैं। ऐसे लोगों को भी सफेद कपड़े पहनने का नियम होता है। जिससे संसार का मोह-माया, लोभ और लालच का उन पर प्रभाव न पड़े।

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