Shani Jayanti on 6th June, Vat Savitri fast on 6 June, significance of shani jayanti and vat savitri vrat, shani puja vidhi | 6 जून को शनि जयंती और वट सावित्री व्रत: काले तिल और तेल का करें दान, दोपहर में पितरों के लिए करें धूप-ध्यान

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40 मिनट पहले

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गुरुवार, 6 जून को ज्येष्ठ मास की अमावस्या है। इस दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है। ज्येष्ठ अमावस्या पर वट सावित्री व्रत भी किया जाता है। जानिए 6 जून को कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, गुरुवार को ज्येष्ठ अमावस्या होने से इस दिन शनि देव के साथ ही गुरु ग्रह की पूजा का भी शुभ योग बन रहा है। ज्येष्ठ मास में गर्मी अधिक रहती है और इन दिनों में किए गए व्रत-उपवास तप की तरह माने जाते हैं। नौ ग्रहों में न्यायाधीश शनि देव की जयंती ज्येष्ठ अमावस्या पर मनाई जाती है। शनि के पिता सूर्य देव और माता छाया हैं। यमराज और यमुना जी इनके भाई-बहन हैं। शनि मकर और कुंभ राशि का स्वामी है।

  • शनि जयंती पर शनि देव की विशेष पूजा करें। पूजा में शनि देव का तेल से अभिषेक करें। काले तिल, तिल से बने व्यंजन, काले-नीले वस्त्र, नीले फूल शनि देव को चढ़ाएं। इनके साथ शमी के पत्ते भी जरूर चढ़ाना चाहिए। शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: का जप कम से कम 108 बार करें।
  • ज्येष्ठ अमावस्या पर जरूरतमंद लोगों को काले तिल, सरसों का तेल, जूते-चप्पल, कपड़े, अनाज, खाना दान करना चाहिए।
  • ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि पूजा के बाद पितरों के लिए भी धूप-ध्यान जरूर करें। पितरों के लिए धूप-ध्यान दोपहर में करना चाहिए। घर-परिवार के मृत सदस्यों को पितर देव माना जाता है। गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़-घी अर्पित करें और पितरों का ध्यान करें। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को जल चढ़ाएं।
  • कुंडली के शनि ग्रह से जुड़े दोष दूर करने के लिए हनुमान जी की भी पूजा की जाती है। शनि जयंती पर भी श्रीराम के भक्त हनुमान जी की पूजा जरूर करें। हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • गुरुवार और अमावस्या के योग में देवगुरु बृहस्पति की भी पूजा करें। गुरु ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। इसलिए शिवलिंग पर केसर मिश्रित जल चढ़ाएं। दूध, पंचामृत अर्पित करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल चढ़ाएं। चंदन का लेप करें। पीले फूल चढ़ाएं। बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
  • इस दिन वट सावित्री व्रत करने वाली महिलाएं बरगद की पूजा करेंगी। पूजा में सावित्री और सत्यवान की कथा पढ़ी-सुनी जाती है। ये व्रत पति के सौभाग्य, अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना से किया जाता है।

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