Shahid Kapoor Deva Movie Review; Pooja Hegde Pavail Gulatie | Pravessh Rana | देवा मूवी रिव्यू: पूरी फिल्म शाहिद कपूर के कंधों पर, एक्टिंग जबरदस्त, लेकिन स्क्रीनप्ले स्लो; भटकती नजर आएगी स्टोरी

मुंबईकुछ ही क्षण पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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शाहिद कपूर और पूजा हेगड़े स्टारर फिल्म देवा रिलीज हो गई है। एक्शन-थ्रिलर जॉनर वाली इस फिल्म की लेंथ 2 घंटे, 36 मिनट है। दैनिक भास्कर ने फिल्म को 3 स्टार रेटिंग दी है।

फिल्म की कहानी क्या है? जब देव (शाहिद कपूर) गरजते हैं, ‘मुंबई किसी के बाप का नहीं, पुलिस का है’ तो यह डायलॉग दर्शकों के दिल में गूंजता है। लेकिन क्या यह गूंज पूरी फिल्म में कायम रहती है?

देव आंब्रे (शाहिद कपूर) एक बागी पुलिस अफसर है, जो अपने साथी अधिकारी और दोस्त रोशन डिसिल्वा (पवेल गुलाटी) की हत्या का बदला लेने के मिशन पर है। इस सफर में देव को अपने ही पुलिस डिपार्टमेंट के अंदर गहरी साजिशों का सामना करना पड़ता है।

देव खुलासा करने ही वाला होता है कि उसका एक्सीडेंट हो जाता है। फिर कहानी में ट्विस्ट आता है। अब क्या देव असली गुनहगार तक पहुंच पाता है या नहीं, फिल्म की कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है।

फिल्म आज यानी 31 जनवरी को थिएटर्स में रिलीज हुई है।

फिल्म आज यानी 31 जनवरी को थिएटर्स में रिलीज हुई है।

स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है? शाहिद कपूर ने देव के किरदार में जान डाल दी है। शाहिद ने अकेले अपने कंधों पर पूरी फिल्म संभाली है। उन्होंने रॉ इंटेंसिटी, भावनात्मक उतार चढ़ाव के साथ एक्शन और किरदार को बेहतरीन तरीके से देव के अंदर डालने की कोशिश की है।

अपने पिता के अपराधी अतीत का बोझ ढोना और एक ‘एंग्री यंग मैन’ के रूप में खड़ा होना शाहिद ने बखूबी निभाया है। वैसे यह फिल्म 2.5 स्टार रेटिंग लायक है, लेकिन शाहिद की एक्टिंग की वजह से हमने आधा स्टार ज्यादा दिया है।

प्रवेश राणा ने भी अपने रोल के साथ न्याय किया है। पूजा हेगड़े को बहुत ही कम स्क्रीन स्पेस मिला है जो निराश करता है। फिल्म में उनका किरदार एक इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट ‘दिया’ का है।

कैसा है डायरेक्शन? डायरेक्टर रोशन एंड्रूज ने एक इंटेंस थ्रिलर बनाने की कोशिश की है, लेकिन पहले हाफ में कहानी धीमी पड़ जाती है। हालांकि कुछ एक्शन सीक्वेंस ठीक लगते हैं लेकिन फिल्म का थ्रिल जिस तरह से दर्शकों को बांधकर रखना चाहिए उस लिहाज में असफल होता दिखता है।

स्क्रीनप्ले को और टाइट किया जा सकता था। हीरोइज्म और सिनेमैटिक लिबर्टी के चलते फिल्म कभी-कभी हकीकत से दूर लगती है।

कैसा है फिल्म का म्यूजिक? बैकग्राउंड म्यूजिक और पावरफुल हो सकता था। फिल्म की शुरुआत में ही एक गाना है जो कि पार्टी नंबर के लिहाज से ठीक लगता है।

देखें या ना देखें? अगर आप शाहिद कपूर के फैन हैं और एक इंटेंस पुलिसिया बैकग्राउंड पर बेस्ड थ्रिलर देखना चाहते हैं, तो फिल्म देवा देख सकते हैं। लेकिन धीमी रफ्तार और कमजोर स्क्रीनप्ले से समझौता करना पड़ेगा।

क्लाईमैक्स जरूर थोड़ा इंटरेस्ट पैदा कर सकता है। कहा जा रहा है कि यह मलयालम फिल्म मुंबई पुलिस ही रीमेक है, हालांकि इसे देखने के बाद ऐसा कुछ नहीं लगता। यह एक फ्रेश फिल्म है।

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