Satuvai Amavasya on 27 April, significance of satuwai amawasya in hindi, old traditions about amawasya, rituals about pinddan and dhoop dhyan | 27 अप्रैल को सतुवाई अमावस्या: रविवार और अमावस्या के योग में सूर्य पूजा के साथ पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का योग, इस दिन करें सत्तू का दान

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3 घंटे पहले

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रविवार, 27 अप्रैल को वैशाख मास की अमावस्या है, इसे सतुवाई अमावस्या कहा जाता है। इस तिथि पर पूजा-पाठ के साथ ही दान-पुण्य और पितरों के लिए धूप-ध्यान करने की परंपरा है। ज्योतिष में सूर्य को रविवार का कारक ग्रह माना जाता है। इसलिए रविवार और अमावस्या के योग में दिन की शुरुआत सूर्य पूजा के साथ करनी चाहिए। इस अमावस्या पर सत्तु का दान करने का विधान है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, अभी गर्मी का समय है, इसलिए वैशाख अमावस्या पर जरूरतमंद लोगों को जूते-चप्पल, जल, कपड़े, खाना और छाते का दान करना चाहिए। अमावस्या को भी पर्व की तरह माना जाता है। इस तिथि के स्वामी पितर देव माने जाते हैं।

कब और कैसे करें पितरों के लिए धूप-ध्यान?

पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का सबसे अच्छा समय दोपहर का होता है। सुबह-शाम देवी-देवताओं की पूजा के लिए सबसे अच्छा समय रहता है और दोपहर में करीब 12 बजे पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का समय बताया गया है। इस समय को कुतप काल कहते हैं। अमावस्या की दोपहर में गोबर के कंडे जलाएं और जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़ और घी से धूप अर्पित करें।

सतुवाई अमावस्या से जुड़ी खास बातें

  • इस अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करें और स्नान के बाद नदी किनारे दान-पुण्य जरूर करें।
  • इस अमावस्या पर किसी सार्वजनिक स्थान पर प्याऊ लगवाएं या किसी प्याऊ में मटके का और जल का दान भी कर सकते हैं।
  • जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं। मौसमी फल जैसे आम, तरबूज, खरबूजा का दान करें।
  • जूते-चप्पल, सूती वस्त्र, छाता भी दान कर सकते हैं। किसी गोशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें और गायों को हरी घास खिलाएं।
  • अमावस्या पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें। अर्घ्य चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करना चाहिए। सूर्य को पीले फूल चढ़ाएं। सूर्य देव के लिए गुड़ का दान करें। किसी मंदिर में पूजा-पाठ में काम आने वाले तांबे के बर्तन दान कर सकते हैं।
  • घर की छत पर या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें।
  • वैशाख मास की अमावस्या पर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए शिवलिंग पर ठंडा जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े का फूल, जनेऊ, चावल आदि पूजन सामग्री अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं, आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें। किसी मंदिर में शिवलिंग के लिए मिट्टी के कलश का दान करें, जिसकी मदद से शिवलिंग पर जल की धारा गिराई जाती है।

चावल से तृप्त होते हैं पितर देव

चावल से बने सत्तू का दान इस दिन पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध में चावल से बने पिंड का दान किया जाता है और चावल के ही आटे से बने सत्तू का दान किया जाता है। इससे पितृ खुश होते हैं। चावल को हविष्य अन्न कहा गया है यानी देवताओं का भोजन। चावल का उपयोग हर यज्ञ में किया जाता है। चावल पितरों को भी प्रिय है। चावल के बिना श्राद्ध और तर्पण नहीं किया जा सकता। इसलिए इस दिन चावल का विशेष इस्तेमाल करने से पितर संतुष्ट होते हैं।

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