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- Sarvapitri Moksha Amavasya On 21st September, Significance Of Sarvapitri Moksha Amavasya In Hindi, Shraddha Vidhi In Hindi
14 मिनट पहले
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21 सितंबर को पितृ पक्ष की अंतिम तिथि है, इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहते हैं। इसके बाद 22 तारीख से नवरात्रि शुरू हो जाएगी। पितृ पक्ष की अमावस्या पितरों के लिए धूप-ध्यान, पिंडदान, तर्पण आदि कर्म जरूर करना चाहिए। जानिए पितृ पक्ष के अंतिम दिन कैसे करें पितरों के लिए धूप-ध्यान, जानिए जरूरी चीजें, विधि और परंपराएं…
श्राद्ध के समय पितरों को जल और तिल आदि अर्पित करना चाहिए। पितृ पक्ष में और अमावस्या तिथि पर जरूरतमंद लोगों को भोजन कराना चाहिए। गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण आदि में श्राद्ध, पिंडदान, दान आदि के नियम और उनके महत्व के बारे में बताया गया है।
सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या से जुड़ी मान्यताएं
इस दिन किए गए श्राद्ध से सभी ज्ञात और अज्ञात पूर्वजों को तृप्ति मिलती है। यदि किसी पूर्वज की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, तो इस दिन श्राद्ध करने से उनकी आत्मा भी तृप्त हो जाती है।
माना जाता है कि पितृ पक्ष में पितर देवता अपने-अपने वंशजों के घर पहुंचते हैं और सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर अपने धाम पितृ लोक लौट जाते हैं।
पितृ पक्ष में किए गए धूप-ध्यान से पितर देवता तृप्त होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इनके आशीर्वाद से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है, ऐसी मान्यता है।
अमावस्या पर नदी स्नान करने की भी परंपरा है। अगर नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
इस तिथि पर सुबह जल्दी उठना चाहिए। घर की सफाई करें, घर में गौमूत्र का छिड़काव करें। घर के बाहर रंगोली बनाएं।
सुबह घर के मंदिर में देवी-देवताओं की पूजा करें। दोपहर में करीब 12 बजे पितरों के लिए धूप-ध्यान करें। इस समय को कुतुप काल कहते हैं और पितरों के लिए धर्म-कर्म करने के लिए ये सबसे अच्छा समय माना जाता है।
तर्पण करने के लिए जल में तिल, जौ, कुश डालना चाहिए। इसके बाद हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पूर्वजों को जल अर्पित करना चाहिए।
चावल, तिल और अन्य चीजों से पिंड तैयार करके पितरों को अर्पित किए जाते हैं, इसे पिंडदान करना कहते हैं।
इस दिन शुद्ध शाकाहारी, सात्विक भोजन बनाना चाहिए। मांस-मदिरा जैसी चीजों से परहेज करें।
घर में गुस्सा न करें। शांति बनाए रखें, क्लेश न करें। माना जाता है कि जिन घरों में क्लेश होता है, वहां पितर देवता तृप्त नहीं होते हैं। इसलिए घर में शांति बनाए रखें।

