Sarpanch-Secretary withdrew 45 lakhs, did not get the work done, more than 35 Anganwadi buildings are incomplete in Konta block alone | सरपंच-सचिव ने 45 लाख निकाले, काम नहीं कराया कोंटा ब्लॉक में ही 35 से ज्यादा आंगनबाड़ी भवन अधूरे – Sukma News

नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में आंगनबाड़ी भवन निर्माण में बड़ी आर्थिक अनियमितता हुई है। खराब और किराए के मकानों में संचालित केंद्रों का खुद का भवन हो, इसके लिए सरकार ने निर्माण की योजना बना बजट दिया। मनरेगा और आईसीडीएस विभाग के अभिसरण में प्रति केंद्र

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कोंटा ब्लॉक में योजना का बुरा हाल है। यहां 35 से ज्यादा आंगनबाड़ी भवन अधूरे हैं। पंचायत के सरपंच-सचिव ने बतौर एडवांस 45 लाख रुपए निकाल लिए हैं। राशि आहरण के 5 से 6 साल बीत जाने के बावजूद भवन निर्माण पूरा नहीं किया जा सका है। अधूरे भवन निर्माण का सबसे ज्यादा असर आदिवासी इलाकों के बच्चे और गर्भवती महिलाओं पर पड़ रहा है। सुकमा। उसकेवाया में पंचायत ने पूरा नहीं किया आंगनबाड़ी भवन। दरअसल केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित इलाकों में आंगनबाड़ी भवन निर्माण के लिए मनरेगा से 5 लाख व आईसीडीएस विभाग से 1.50 लाख की राशि अभिसरण के तहत स्वीकृत की थी। भवन निर्माण की जिम्मेदारी जनपद पंचायत से पंचायतों को दी गई, जिसके बाद ग्राम पंचायतों के जरिए भवन का निर्माण कराया जा रहा है।

अधिकांश भवन स्लैब और पोताई स्तर पर अधूरे छोड़ दिए गए हैं। वहीं एक दर्जन भवन ऐसे भी हैं, जिनकी नींव खोदने के बाद काम शुरू ही नहीं किया गया है। कोंटा ब्लॉक के कामाराम पंचायत में 2, बंडा पंचायत में 3, टेटराई पंचायत में 1, सिलगेर पंचायत में 6, बुर्कलंका पंचायत में 4, मुकरम पंचायत में 3, पालाचलमा पंचायत में 5, कुंदेड़ पंचायत में 3, गोलापल्ली में 3 और जगरगुंडा पंचायत में 5 आंगनबाड़ी भवन अधूरे पड़े हैं। परियोजना अधिकारी दीक्षा वैद्य ने कहा आंगनबाड़ी भवन अधूरे हैं। जनपद पंचायत कोंटा इसकी निर्माण एजेंसी है। पंचायत के जरिए काम हो रहे हैं। जहां भवन अधूरे हैं, वहां किराए के भवन में केंद्र लग रहे हैं।

कोंटा जपं सीईओ नारद मांझी ने बताया कि मनरेगा और आईसीडीएस के अभिसरण में आंगनबाड़ी भवनों का निर्माण किया जा रहा है। क्षेत्र की संवेदनशीलता के कारण कार्य में रुकावट आ गई थी, लेकिन बीते कुछ महीनों में कार्य में तेजी लाई गई है। पंचायत सचिवों अंतिम नोटिस जारी कर भवनों निर्माण को पूरा करने की चेतावनी दी गई है। जिला पंचायत और जनपद के अफसर पंचायत सचिवों के सामने लाचार नजर आ रहे हैं। नोटिस पर नोटिस दिए जाने के बावजूद सचिव इस मामले को लेकर निष्क्रिय बने हुए हैं। कहीं 5 साल तो कहीं 3 सालों से भवन अधूरे पड़े हैं। जिम्मेदार अफसर केवल नोटिस देकर खानापूर्ति कर रहे हैं।

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