टाइगर रिजर्व सरिस्का में टाइग्रेस ST-17 ने तीन शावकों को जन्म दिया है। अब सरिस्का में कुल 43 बाघ हो चुके हैं। साल 2005 में 19 साल पहले एक वक्त था जब सरिस्का बिना बाघों के हो गया था। करीब 3 साल बाद 2008 में बिना बाघ के रहने के बाद यहां रणथम्भौर से
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3 साल बाघ विहीन रहने के पीछे के मामले की जब पड़ताल की गई तो सामने आया कि सरिस्का में इन बाघों के अंगों की तस्करी की जा रही थी। इसके बाद शिकारियों को गिरफ्तार किया गया था।
![1978-79 में सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 44 के करीब थी।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/06/11/lion1676460641-11692736181_1718121213.gif)
1978-79 में सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 44 के करीब थी।
पढ़िए कैसे उजड़ा था बाघों का घर
वन्यजीव प्रेमी अनिल जैन के अनुसार, सरिस्का टाइगर रिजर्व 1978-79 में घोषित हुआ था। उस समय यहां बाघों की संख्या करीब 40 से 44 थी। धीरे-धीरे ये संख्या घटती गई।
2005 में यहां एक भी टाइगर नहीं बचा। इसके बाद सरिस्का में शिकार करने के आरोप में संसारचन्द्र नाम के शिकारी को गिरफ्तार किया गया।
जब उससे पूछताछ हुई तो पता चला कि इनके अंगों की तस्करी हुई और चीन व ताइवान तक टाइगर के अंग बेचे गए थे। इससे पहले जब मई 2004 में सरिस्का में टाइगर की गणना की गई तो 6 से 7 टाइगर बताए गए। लेकिन, ये भी अगले 5 से 6 महीने में खत्म हो गए थे।
इस गणना को लेकर सवाल उठने लगे। आखिर 2004 तत्कालीन डीएफओ आरएस शेखावत ने जब दोबारा गणना करवाई तो सामने आया कि आंकड़ों में जो 30 टाइगर बताए जा रहे थे, वे 5 ही माने। इसी के बाद 2005 में सरिस्का को बिना बाघ का घोषित कर दिया गया।
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बाघों को बसाने के लिए 1400 से अधिक लोगों ने छोड़ा घर
वन्यजीव प्रेमी अनिल जैन बताते हैं- 2005 से 2008 तक सरिस्का टाइगर रिजर्व वीरान रहा। लेकिन, इस बीच इसे दोबारा बसाने की कवायद शुरू हुई। लेकिन, सबसे बड़ा चैलेंज था कि कैसे इसे पूरी प्लानिंग के साथ बसाया जाए ताकि शिकारी इन तक नहीं पहुंचे।
सबसे पहले टाइगर 2008 में रणथम्भौर से एसटी 1 लेकर आए थे। लेकिन, इससे पहले तय किया गया कि यहां जंगल से सटे गांवों को शिफ्ट करने का प्लान तैयार किया।
इसके तहत 29 गांव आए, जिसमें से अभी केवल 7 गांव शिफ्ट किए गए। अभी नाथूसर गांव को तिजारा में शिफ्ट किया जा रहा है। इसके अलावा देवरी, हरीपुरा, क्रासका, कांकवाड़ी, सुकौला गांवों के विस्थापन के प्रोसेस को शुरू कर दिया है।
पहली बार में शिफ्ट हुए 7 गांव के करीब 1471 परिवार थे, जिन्होंने बाघों को बसाने के लिए अपना घर छोड़ दिया था।
![जब यहां सरिस्का में 2005 के बाद बाघों को बसाने का प्रोजेक्ट शुरू हुआ तो आसपास के इलाकों में बाघ शिकार करने पहुंचने लगे थे।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/06/11/tiger1674790162_1718121226.gif)
जब यहां सरिस्का में 2005 के बाद बाघों को बसाने का प्रोजेक्ट शुरू हुआ तो आसपास के इलाकों में बाघ शिकार करने पहुंचने लगे थे।
और, फिर इस तरह से बसा सरिस्का
DFO महेंद्र शर्मा ने बताया- सरिस्का जंगल का एरिया 882 वर्ग किलोमीटर है। जबकि रणथम्भौर का एरिया केवल 392 वर्ग किलोमीटर में है। करीब तीन गुना सरिस्का का जंगल है। सरिस्का का जंगल भी घना है। अब पिछले करीब 10 सालों से सरिस्का में बाघों की संख्या में वृद्धि तेजी से हुई है। अब यहां टहला, ताल वृक्ष व सदर एरिया के बराबर टाइगर हैं। यहां बफर जोन को सिक्योरिटी के हिसाब से डेवलप किया गया। वहीं इनकी टेरिटरी को आबादी एरिया से दूर रखा गया। इसके अलावा इनकी मॉनिटरिंग को लेकर सख्त नियम बनाए गए।
![अपने 3 शावकों के साथ ST- 12](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/06/11/whatsapp-image-2024-03-13-at-1346431710318202_1718121237.jpeg)
अपने 3 शावकों के साथ ST- 12
एसटी-1 के बाद यहां 2022 तक कुल 11 टाइगर को शिफ्ट किया गया। इनमें ST- 1 से ST- 6 तक, ST- 9 , ST- 10, ST- 16, ST- 29- 30 को रणथम्भौर से यहां लाया गया। इनमें 5 टाइग्रेस और 6 टाइगर थे।
इनकी मॉनिटरिंग के लिए भी सख्त नियम बनाए गए हैं। 25 टाइगर के साथ 15 टीम है। 10 की टीम रात में रहती है। एक टीम में 2 वनकर्मी रहते हैं। साल में दो बार कैमरा ट्रैप व लाइन ट्रांजिट का एनालिसिस करते हैं। इसमें पगमार्क और टाइगर संबंधित अन्य जानकारी ली जाती है।
![वन विभाग ने बाघों की मॉनिटरिंग के लिए टीमों का गठन किया है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/06/11/whatsapp-image-2023-03-23-at-1111111679552661_1718121249.jpeg)
वन विभाग ने बाघों की मॉनिटरिंग के लिए टीमों का गठन किया है।
3 महीने में ये 10 नए शावक
- मई 2024 में एसटी 22 के 4 शावक,
- मार्च 2024 में एसटी 12 के 4,
- मई 2023 में ST- 27 के 2 शावक पैदा हुए
इस तरह 3 महीने में 10 नए शावक केवल 3 टाइग्रेस ने पैदा किए हैं। खास बात यह है कि तालवृक्ष रेंज में टाइग्रेस ने 4-4 शावक एक बार में दिए हैं। इसी कारण टाइग्रेस के नए शावक से सरिस्का आबाद होता नजर आ रहा है।
![बाघों के बढ़ने से अब सरिस्का में आने वाले पर्यटकों को भी इनकी साइटिंग बढ़ने के आसार ज्यादा हो जाएंगे।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/06/11/whatsapp-image-2024-06-11-at-211540_1718121268.jpeg)
बाघों के बढ़ने से अब सरिस्का में आने वाले पर्यटकों को भी इनकी साइटिंग बढ़ने के आसार ज्यादा हो जाएंगे।
रणथंभौर में कुल 78 टाइगर व टाइग्रेस
DFO महेंद्र शर्मा ने बताया- रणथंभौर में कुल 78 टाइगर हैं। जिनमें 25 बाघ, 25 बाघिन व 28 शावक हैं। टी-84 ने तीन शावकों को जन्म दिया था। रणथंभौर में अंतिम बार बाघिन टी-107 सुल्ताना ने तीन शावकों को 25 अगस्त 2023 को जन्म दिया था। मतलब करीब 10 महीने से सरिस्का में एक भी शावक नहीं आया है। टी-84 ने 25 जुलाई 2023 शावक हैं।
वन मंत्री संजय शर्मा ने बताया- यह अच्छी बात है कि सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ा है। यह राजस्थान के टूरिज्म के लिए अच्छी खबर है। साथ ही, बाघों को संरक्षण देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसी दिशा में आगे काम किया जा रहा है।
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ये हैं 3 बाघिन, जिनके कारण चर्चा में सरिस्का
बाघिन एसटी-27 पहली बार मां
DFO महेंद्र शर्मा ने बताया- बाघिन एसटी-27 पहली बार मां बनी है। बाघिन पानी में नहाते हुए के 28 मई को कैमरा ट्रैप के फोटो सामने आए थे। इसमें बाघिन केसामने दो शावक दिखे। इस कारण माना गया कि बाघिन ने दो शावक जन्में हैं। बाघिन वाटर हॉल में थी और शावक पानी के बाहर दिखे। ये करीब 2 महीने के शावक हैं। एसटी-27 बाघिन ST-14 की बेटी है और 4 साल की है।
बाघिन एसटी-22 दिखी 4 शावकों के साथ
DFO महेंद्र शर्मा ने बताया- एसटी-22 दूसरी बार सबसे ज्यादा शावक देने वाली बाघिन बन गई है। यह 4 शावकों के साथ 30 मई को कैमरा ट्रैप में नजर आई। यह एसटी 10 की बेटी है। दोनों बाघिनों का क्षेत्र सरिस्का टाइगर रिजर्व के तालवृक्ष रेंज में है।
बाघिन 12 ने 4 शावक दिए
DFO महेंद्र शर्मा ने बताया- मार्च 2024 में बाघिन एसटी- 12 ने चार शावकों को जन्म दिया था। पहले बाघिन मार्च माह में 3 शावकों के साथ दिखी थी। अब चाैथा शावक भी नजर आया। मतलब एसटी 12 ने भी मार्च में 4 शावक दिए हैं। इस तरह 3 महीने में 3 बाघिन ने 10 शावक पैदा किए हैं।