5 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
सलमान खान 1988 में रिलीज हुई फिल्म ‘बीवी हो तो ऐसी’ में पहली बार सपोर्टिंग कैरेक्टर में नजर आए थे। वहीं सूरज बड़जात्या की 1989 में रिलीज हुई फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ से उन्होंने बतौर लीड एक्टर अपने करियर की शुरुआत की। हाल ही में एक इंटरव्यू में जब सलमान से उनकी पसंदीदा फिल्म के बारे में पूछा गया तो उन्होंने तुरंत ही ‘मैंने प्यार किया’ का नाम लिया। उन्होंने फिल्म की शूटिंग का एक मजेदार किस्सा भी शेयर किया।
‘कबूतर जा जा’ गाने का किस्सा
हैलो, के साथ बातचीत में सलमान ने फेमस सॉन्ग ‘कबूतर जा जा’ की शूटिंग के एक पल को याद किया, जिससे उनकी आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा- उस वक्त मैं लगभग 18 साल का था, और ‘कबूतर जा जा’ गाने की शूटिंग के दौरान की एक बहुत मजेदार याद है।
सलमान ने बताया कि मुझे एकदम अचानक से पता चला कि ये कैरेक्टर मेरे लिए है। क्योंकि उससे पहले जब भी नरेशन होता था, तो मैं इस कैरेक्टर के लिए जैकी श्रॉफ या अनिल कपूर को ही इमेजिन करता था। लेकिन मैंने खुद को बड़ी फिल्म करने के लिए उस समय इमेजिन नहीं किया था। वही वो मोमेंट था जब मुझे लगा कि ‘हां’ मैं कर सकता हूं। उस वक्त मेरी आंखों में आंसू थे।
राजश्री द्वारा कई ऑडिशन के बाद सलमान को ‘मैंने प्यार किया’ में लीड रोल के लिए चुना गया था। इस फिल्म में उनके साथ एक्ट्रेस भाग्यश्री भी थीं। जहां सलमान फिल्म स्टार बने रहे और 1990 के दशक में कई हिट फिल्मों में दिखाई दिए, वहीं भाग्यश्री ने अपने परिवार पर ध्यान देने के लिए कुछ सालों के बाद फिल्मों से ब्रेक ले लिया।
मैंने प्यार किया की सक्सेस के बाद भी सलमान को अपनी अगली हिट के लिए कुछ साल इंतजार करना पड़ा। IIFA अवार्ड्स 2022 के दौरान, सलमान ने अपने जीवन के उस फेस के बारे में बात की। उन्होंने कहा- मैंने प्यार किया की रिलीज के बाद, भाग्यश्री ने फैसला किया कि वह अब काम नहीं करना चाहती, क्योंकि वह शादी करना चाहती थी। और वो पूरा क्रेडिट लेके चली गईं।
छह महीने तक मेरे पास कोई फिल्म नहीं थी। और तभी एक ‘देवता समान आदमी’, रमेश तौरानी, मेरे जीवन में आये। उस समय मेरे पिता ने मुझे 2,000 रुपये दिया और प्रोड्यूसर जीपी सिप्पी को फिल्म इंडस्ट्री की एक न्यूजपेपर में फर्जी अनाउंसमेंट करने के लिए राजी किया कि उन्होंने मुझे एक फिल्म के लिए साइन किया है। जीपी ने ऐसा किया लेकिन कोई तस्वीर नहीं थी। रमेश तौरानी सिप्पी के ऑफिस गए और फिल्म के गाने के लिए 5 लाख रुपये दिए। उन 5 लाख रुपये की वजह से ही मुझे आखिरकार 1991 में ‘पत्थर के फूल’ नाम की फिल्म मिली।