केरल10 मिनट पहले
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केरल हाईकोर्ट ने सबरीमाला मंदिर के द्वारपालक मूर्तियों से जुड़े सोना चोरी के मामले में कहा- उन्नीकृष्णन पोट्टी ने त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB) को ईमेल में बताया था कि उसके पास सोने का एक बड़ा हिस्सा है और वह इसे एक शादी में इस्तेमाल करना चाहता है।
अदालत ने कहा- यह खुलासा बेहद परेशान करने वाला है और बड़ी गड़बड़ी को उजागर करता है। इससे पता चलता है कि देवस्वोम बोर्ड के अधिकारियों ने पोट्टी के साथ मिलकर ये काम किया।
कोर्ट ने कहा कि जिम्मेदारी सिर्फ पोट्टी और स्मार्ट क्रिएशंस की नहीं है, बल्कि TDB के कुछ अधिकारियों की भी है। रिकॉर्ड से साफ पता चलता है कि बोर्ड अधिकारियों को लेन-देन और सोने के अवैध ट्रांसफर के बारे में पता था।
दरअसल सबरीमाला मंदिर में साल 2019 में 42 किलो सोने की परत कई मूर्तियों और दीवार पर चढ़ाई गई थी। इसका काम साल 2020 में पूरा हुआ था। इसके बाद कोविड के दौरान महामारी के नियमों के चलते सोने की परत उतारी गई थी। इसके TDB को सौंपा गया था।
इस गोल्ड को चेन्नई को कंपनी को फिर से पॉलिस के लिए सौंपा गया था। उसने बताया था कि परत का वजन 42 किलो की जगह 38 है। इसके बाद पोट्टी ने ही आरोप लगाया था कि मूर्तियों के पीठासन मंदिर से गायब हैं। बाद में केरल हाईकोर्ट के आदेश पर पीठासन की सर्चिंग जारी थी। अदालत ने कहा-

अदालत ने कहा कि 2019 में पोट्टी को सोने की परत चढ़ाने के लिए सौंपी गई मूर्तियां केवल तांबे की प्लेटें नहीं थीं, बल्कि 1999 में उन पर सोने की परत चढ़ाई गई थी। अदालत ने कहा- इस खुलासे से चोरी का केस बन गया है।
केरल के सबरीमाला मंदिर से गायब हुआ था 4 किलो सोना
केरल के सबरीमाला मंदिर से गायब हुआ 4 किलो सोना 27 सितंबर को बरामद हुआ। केरल हाईकोर्ट के निर्देश पर मंदिर का मैनेजमेंट संभालने वाले त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB) की विजिलेंस विंग ने इसकी बरामदगी वेनजारामूडु इलाके से की।
ये सोना मंदिर के द्वारपालकों की मूर्ति के पीठासन (तांबे के आसन) पर चढ़ाया गया था। जिस व्यक्ति ने इसके गुमने की शिकायत की थी, उसी ने ही सोना लगवाया था। 4 किलो गोल्ड परत भी उसी की बहन के घर बरामद हुआ। शख्स का नाम उन्नीकृष्णन पोटी है, वो बेंगलुरु का रहने वाला है।

इन्हीं द्वारपालक मूर्ति के नीचे लगी सोने की प्लेट हुई थी गायब।
क्या होता है पीडम…
पीडम (या पीठम) दक्षिण भारत में उस बेस को कहते हैं जिसपर किसी देवता या देवी की मूर्ति रखी होती है। ये किसी भी धातु की हो सकती है या इसपर सोने की परत चढ़ाई जाती है।

हाईकोर्ट ने TDB को फटकारा था
29 सितंबर को मामले में जस्टिस राजा विजयराघवन वी और जस्टिस के वी जयकुमार की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान TDB को फटकार लगाई। कहा कि बोर्ड ने मंदिर की कीमती सामान का सही रजिस्टर नहीं रखा, जिससे गड़बड़ियां छिपाने में मदद मिली।
अदालत ने कहा कि भक्तों के चढ़ाए आभूषण और सिक्कों का रिकॉर्ड रजिस्टर में रखा जाता है, जिसमें डिस्क्रिप्शन, तारीख, प्राप्ति और क्वालिटी लिखी जाती है, लेकिन कोडीमारम, द्वारपालक मूर्तियां, पीडम जैसी अन्य चीजों का कोई रिकॉर्ड नहीं है।
अदालत ने नोट किया कि इन सामानों को किसी को देने की भी कोई एंट्री नहीं है। द्वारपालक मूर्तियों को दोबारा लगाते समय उनका वजन भी रिकॉर्ड नहीं किया गया, जो जानबूझकर हुआ जिससे 4 किलो सोने की कमी सामने न आए।
छत पर सोने की परत चढ़ाने के रजिस्टर भी गायब
कोर्ट ने कहा कि 1999 में श्रीकोविल की छत पर सोने की परत चढ़ाने के काम का रजिस्टर भी गायब है। कारीगरों के अनुसार तब 30 किलो से ज्यादा सोना इस्तेमाल हुआ था, लेकिन कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है।
अदालत ने निर्देश दिया कि एक्सपर्ट की मदद से मंदिर की सभी कीमती चीजों की पूरी इन्वेंटरी और मूल्यांकन किया जाए। देवस्वम बोर्ड के अधिकारियों की लापरवाही की भी जांच की जाए। मामले की अगली सुनवाई अब अक्तूबर के अंत में होगी।
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