नई दिल्ली8 घंटे पहले
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SJ-100 एयरक्राफ्ट के लिए भारत और रूस की कंपनियों ने समझौते पर दस्तखत किए हैं।
रूस के SJ-100 सिविल कम्यूटर एयरक्राफ्ट अब भारत में भी बनेंगे। इसके लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन के साथ एक MoU साइन किया है। ये छोटे शहरों को हवाई कनेक्टिविटी देने वाली UDAN स्कीम के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है।
ये MoU 28 अक्टूबर को मॉस्को में साइन हुआ है। HAL के प्रभात रंजन और PJSC-UAC के ओलेग बोगोमोलोव ने इसे साइन किया। HAL के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर डीके सुनील और PJSC-UAC के डायरेक्टर जनरल वादिम बदेका की मौजूदगी में ये हुआ।
आखिरी बार भारत में पूरा पैसेंजर एयरक्राफ्ट बनाने का प्रोजेक्ट 1961 से 1988 तक चला था। HAL के इस प्रोजेक्ट का नाम AVRO HS748 था। उसके बाद हम विमानों को इम्पोर्ट करने लगे। अब रूस के साथ ये टाईअप भारत की इम्पोर्ट पर निर्भरता को कम कर सकता है।

HAL और PJSC-UAC का बैकग्राउंड
- HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड): ये भारत की सरकारी कंपनी है, जो ज्यादातर मिलिट्री एयरक्राफ्ट बनाती है– जैसे तेजस फाइटर जेट, लेकिन अब ये सिविल एविएशन में एंट्री ले रही है। HAL का कहना है कि ये MoU उनके ‘डाइवर्सिफिकेशन’ का हिस्सा है।
- PJSC-UAC (पब्लिक जॉइंट स्टॉक कंपनी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन): रूस की सरकारी एयरोस्पेस जॉइंट मिलिट्री और सिविल प्लेन्स बनाती है। इनके पास SJ-100 की पूरी टेक्नोलॉजी और एक्सपीरियंस है। UAC ने 200+ SJ-100 प्लेन्स बनाए हैं, जो 16+ कॉमर्शियल एयरलाइंस ऑपरेटर्स के पास उड़ान भर रहे हैं।
ये पार्टनरशिप रूस-भारत के लॉन्ग-स्टैंडिंग डिफेंस टाई-अप को सिविल सेक्टर में ले जाती है। HAL को SJ-100 बनाने के “राइट्स” मिलेंगे। यानी भारत में लोकल प्रोडक्शन शुरू हो सकेगा।
SJ-100 एयरक्राफ्ट: दो इंजन, नैरो-बॉडी कम्यूटर प्लेन
ये प्लेन छोटे रूट्स के लिए परफेक्ट है जो 75-100 पैसेंजर्स कैरी कर सकता है। इसे 100-500 किमी की यात्रा के लिए डिजाइन किया गया है। रूस में ये कामयाब हैं।

SJ-100- UDAN स्कीम के लिए गेमचेंजर, जानें भारत के लिए 4 फायदे
HAL का कहना है, ‘SJ-100 का भारत में बनना UDAN स्कीम के लिए गेम-चेंजर साबित होगा। ये प्लेन फ्यूल एफिशिएंट है और लोकल प्रोडक्शन से कॉस्ट कम होगी।
UDAN यानी ‘उड़े देश का आम नागरिक’ स्कीम के तहत छोटे शहरों जैसे गोरखपुर, देवघर या पोर्ट ब्लेयर को कनेक्ट किया जा रहा है।
- रीजनल कनेक्टिविटी: अगले 10 साल में भारत को 200+ ऐसे जेट्स की जरूरत है। UDAN स्कीम के तहत 100+ नए एयरपोर्ट्स बन रहे हैं। SJ-100 इनकी लाइफलाइन बनेगी।
- जॉब्स और स्किल्स: लोकल मैन्युफैक्चरिंग से हजारों जॉब्स क्रिएट होंगी। इंजीनियर्स, टेक्नीशियन, और सप्लाई चेन को बूस्ट मिलेगा।
- इम्पोर्ट पर निर्भरता कम: अभी भारत 90% प्लेन्स इंपोर्ट करता है। ये MoU सेल्फ-रिलायंस बढ़ाएगा। इसे “मेक इन इंडिया” का परफेक्ट एग्जांपल कह सकते हैं।
- इंटरनेशनल रीच: इंडियन ओशन रीजन के लिए 350+ एयरक्राफ्ट्स की डिमांड है। SJ-100 टूरिस्ट डेस्टिनेशंस जैसे मालदीव या श्रीलंका को कनेक्ट कर सकती है।
HAL के CMD डीके सुनील ने कहा, ‘ये MoU भारत की सिविल एविएशन को नई दिशा देगा।’ रूस के UAC DG वादिम बदेका ने इसे स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप बताया।

फाइनेंशियल और टेक्निकल डिटेल्स
अभी फाइनेंशियल डिटेल्स सामने नहीं आई है, लेकिन अनुमान है कि SJ-100 की प्रोडक्शन कॉस्ट 20-25 मिलियन डॉलर (करीब 170 से 200 करोड़ रुपए) प्रति यूनिट होगी। रूस HAL को डिजाइन, इंजन, और असेंबली के लिए सपोर्ट देगा।
प्रोडक्शन का रोडमैप
- शॉर्ट-टर्म: MoU के बाद जॉइंट वर्किंग ग्रुप बनेगा। प्रोटोटाइप टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन 1-2 साल में हो सकता है।
- लॉन्ग-टर्म: अगले 10 साल में 200+ SJ-100 प्रोड्यूस करने का टारगेट है। ये न सिर्फ भारत, बल्कि एशिया-अफ्रीका मार्केट्स के लिए एक्सपोर्ट हो सकते हैं।
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