RSS Chief Mohan Bhagwat said an organization like RSS could have been formed only in Nagpur | भागवत बोले-RSS जैसी संस्था केवल नागपुर में बन सकती थी: यहां पहले से त्याग-समाज सेवा की भावना; RSS का उद्देश्य अनुशासन और सामाजिक जिम्मेदारी बनाना

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नागपुरकुछ ही क्षण पहले

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मोहन भागवत शुक्रवार को नागपुर में महाराजा ऑफ नागपुर ट्रस्ट के कार्यक्रम में पहुंचे थे। - Dainik Bhaskar

मोहन भागवत शुक्रवार को नागपुर में महाराजा ऑफ नागपुर ट्रस्ट के कार्यक्रम में पहुंचे थे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) चीफ मोहन भागवत ने कहा, ‘देश में कई लोग हिंदुत्व पर गर्व करते थे और हिंदू एकता की बात करते थे, लेकिन RSS जैसी संस्था केवल नागपुर में ही बन सकती थी। यहां पहले से ही त्याग और समाज सेवा की भावना थी।’

उन्होंने कहा- RSS ने हाल ही में दशहरे पर अपने 100 साल पूरे किए। इसकी स्थापना साल 1925 में नागपुर में डॉ. हेडगेवार ने की थी। संगठन का उद्देश्य समाज में अनुशासन, सेवा, सांस्कृतिक जागरूकता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना पैदा करना था।

शुक्रवार को नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान भागवत ने कहा…

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छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज की स्थापना अपने लिए नहीं, बल्कि ईश्वर, धर्म और राष्ट्र के लिए की थी। उन्होंने लोगों को एक महान उद्देश्य के लिए जोड़ा। उनकी एकता की भावना ने समाज को ताकत दी। जब तक उनके आदर्श जीवित रहे, तब तक समाज में प्रगति और विकास होता रहा। उनके विचारों ने आगे चलकर 1857 के स्वतंत्रता संग्राम तक को प्रेरित किया।

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भागवत बोले- इतिहास से सीखें

RSS चीफ ने कहा कि ब्रिटिश शासन ने योजनाबद्ध तरीके से उन प्रतीकों और परंपराओं को खत्म करने की कोशिश की, जो भारतीयों को एकजुट करती थीं। इसलिए इतिहास से सीखें और उन लोगों की निस्वार्थ भावना को याद रखें, जिन्होंने समाज और देश के हित के लिए काम किया

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2 अक्टूबर: भागवत ने कहा था- निर्भरता मजबूरी न बने

2 अक्टूबर को विजयादशमी के मौके पर RSS के शताब्दी समारोह (100 men) पर मोहन भागवत ने कहा था कि पहलगाम हमले में आतंकियों ने धर्म पूछकर हिंदुओं की हत्या की। हमारी सरकार और सेना ने इसका जवाब दिया। इस घटना से हमें दोस्त और दुश्मन का पता चला।

उन्होंने कहा था कि हमें अंतरराष्ट्रीय संबंधों में समझ रखनी होगी। पहलगाम घटना हमें सिखा गई कि भले ही हम सभी के साथ दोस्ती का भाव रखते हैं और रखेंगे, लेकिन हमें अपनी सुरक्षा के प्रति और अधिक सजग, समर्थ रहना पड़ेगा।भागवत ने 41 मिनट के भाषण में समाज में आ रहे बदलाव, सरकारों का रवैया, लोगों में बेचैनी, पड़ोसी देशों में उथल-पुथल, अमेरिकी टैरिफ का जिक्र किया था। पूरी खबर पढ़ें…

शताब्दी समारोह: इस दशहरे से अगले दशहरे तक देश में ये कार्यक्रम होंगे

1. विजयादशमी उत्सव: मंडल और बस्ती स्तर पर गणवेश वाले स्वयंसेवक व उनके परिवारों की भागीदारी। देशभर में 2 अक्टूबर से, बंगाल में महालया से शुरुआत।

2. गृह संपर्क अभियान: हर घर जाकर 15 मिनट संघ की जानकारी दी जाएगी। कार्यक्रम तीन सप्ताह तक चलेगा।

3. जन गोष्ठियां: मजदूर यूनियन, ऑटो चालकों और प्रबुद्ध वर्ग के बीच संवाद।

4. हिंदू सम्मेलन: नगर और खंड स्तर पर सामाजिक वर्गों को जोड़ने वाले सम्मेलन। पहले 1989 और 2006 में हुए थे।

5. सद्भाव बैठकें: 1 माह प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता, संस्थाओं व संतों की सहभागिता।

6. युवा सम्मेलन: 15-40 वर्ष के युवाओं के लिए सम्मेलन, जिसमें खेल-कूद भी।

7. शाखा विस्तार: एक सप्ताह सुबह और शाम की शाखाओं का देशभर में विस्तार।

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27 सितंबर 1925, उस दिन विजयादशमी थी। हेडगेवार ने पांच लोगों के साथ अपने घर में एक बैठक बुलाई और कहा- आज से हम संघ शुरू कर रहे हैं। बैठक में हेडगेवार के साथ विनायक दामोदर सावरकर के भाई गणेश सावरकर, डॉ. बीएस मुंजे, एलवी परांजपे और बीबी थोलकर शामिल थे। 17 अप्रैल 1926 को हेडगेवार के संगठन का नामकरण हुआ- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS। पूरी खबर पढ़ें…

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