Route of Saint Premanand Maharaj’s journey changed | संत प्रेमानंद महाराज की यात्रा का बदला रास्ता: अब पदयात्रा नहीं कार से जा रहे आश्रम,पदयात्रा रोकने के पीछे स्वास्थ्य कारणों का दिया हवाला – Mathura News

आध्यात्मिक धर्म गुरु संत प्रेमानंद महाराज की होने वाली रात्रि पदयात्रा रुकी तो उनके दर्शनों की आस में खड़े रहने वाले भक्त मायूस हो गए। संत प्रेमानंद महाराज पदयात्रा कर नहीं बल्कि कार से आश्रम जा रहे हैं

संत प्रेमानंद महाराज की रात में निकलने वाली पदयात्रा रुकी तो उनके दर्शनों की आस में खड़े रहने वाले भक्त मायूस हो गए। लेकिन प्रेमानंद महाराज अब पैदल नहीं बल्कि कार से आश्रम जा रहे हैं। आश्रम प्रबंधन ने पदयात्रा स्थगित करने के पीछे प्रेमानंद महाराज के स

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हालांकि, यह भी बात कही जा रही है कि 2 दिन पहले सोसाइटी की महिलाओं ने प्रेमानंद महाराज के रात्रि दर्शन को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। इसकी प्रशासन से शिकायत की थी।

पदयात्रा क्यों रोकी गयी इसके पीछे के कारणों को जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम वृंदावन पहुंची। सबसे पहले यह पता लगाने की कोशिश की कि जब संत प्रेमानंद महाराज ने पद यात्रा रोक दी है तो वह आश्रम कैसे जा रहे हैं।

रुट बदला पैदल की जगह कार से पहुंचे जानकारी करने पर पता चला संत प्रेमानंद महाराज गुरुवार की देर रात पदयात्रा करके नहीं बल्कि अपनी ऑडी कार से केली कुंज आश्रम पहुंचे। इतना ही नहीं उनके केली कुंज आश्रम पहुंचने का समय भी बदल गया था। वह जहां रात करीब 2 बजे निकलते थे वही गुरुवार की रात वह 4 बजे निकले थे। इसके साथ ही वह बदले रुट से केली कुञ्ज आश्रम पहुंचे।

इस रुट से पहुंचे आश्रम संत प्रेमानंद महाराज हर दिन श्री कृष्ण शरणम सोसाइटी से निकलकर प्रेम मंदिर के बराबर गली में होते हुए NRI ग्रीन सोसाइटी के सामने से रमणरेती चौराहा होते हुए केली कुंज आश्रम जाते थे। गुरुवार को वह श्री कृष्ण शरणम सोसाइटी से कार में बैठकर प्रेम मंदिर के सामने से रमण रेती पुलिस चौकी से होते हुए केली कुञ्ज आश्रम पहुंचे। इस रुट से केली कुंज आश्रम की दूरी करीब आधा किलोमीटर बढ़ गयी।

संत प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम सोसाइटी से कार में बैठकर प्रेम मंदिर के सामने से रमण रेती पुलिस चौकी से होते हुए केलि कुञ्ज आश्रम पहुंचे

संत प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम सोसाइटी से कार में बैठकर प्रेम मंदिर के सामने से रमण रेती पुलिस चौकी से होते हुए केलि कुञ्ज आश्रम पहुंचे

20 साल से किडनी की समस्या केलि कुंज आश्रम के संत नवल नागरी दास महाराज ने बताया- महाराज जी को करीब 20 साल से किडनी की समस्या है। पहले हफ्ते में 3 बार डायलिसिस होती थी। लेकिन अब उनको समस्या बढ़ गयी तो हफ्ते में 4 से 5 बार डायलिसिस की जा रही है। स्वास्थ्य संबंधी समस्या दूर होने के बाद वह फिर से पैदल यात्रा करेंगे।

संत नवल नागरी दास महाराज ने बताया महाराज जी को करीब 20 वर्ष से किडनी की समस्या है।

संत नवल नागरी दास महाराज ने बताया महाराज जी को करीब 20 वर्ष से किडनी की समस्या है।

सोसाइटी में ही होती है डायलिसिस संत प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम सोसाइटी में रहते हैं। इस सोसाइटी में उनके 2 फ्लैट हैं। HR 1 ब्लॉक के फ्लैट नंबर 209 और 212 उनके पास हैं। 2 BHK इन फ्लैट में से एक में वह रहते हैं जबकि दूसरे फ्लैट में डायलिसिस का इंतजाम किया हुआ है। इसी फ्लैट में उनका हफ्ते में 4 से 5 बार डायलिसिस की जा रही है।

संत प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम सोसाइटी में रहते हैं। इस सोसाइटी में उनके 2 फ्लैट हैं

संत प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम सोसाइटी में रहते हैं। इस सोसाइटी में उनके 2 फ्लैट हैं

महाराज जी जल्द स्वस्थ हों संत प्रेमानंद महाराज के पदयात्रा न करने से भक्त मायूस हैं। केली कुंज आश्रम के बहार देर शाम से ही भक्तों का जमावड़ा होना शुरू हो जाता है। भीलवाड़ा से आईं महिला भक्त ने कहा वह दर्शन करने आई थी लेकिन जब पता चला कि महाराज जी पदयात्रा नहीं कर रहे तो मायूस हैं। लेकिन महाराज जी जल्द स्वस्थ हों दर्शन बाद में भी कर लेंगे।

आश्रम के बहार कंठी माला और संत प्रेमानंद महाराज के तस्वीर बेचने वाले एक दुकानदार ने बिना कैमरे पर आये बताया कि इस समय उसकी एसी हालत है जैसे पिता के अस्वस्थ होने पर बेटा की होती है।

संत प्रेमानंद महाराज के पदयात्रा न करने से भक्त मायूस हैं। केलि कुञ्ज आश्रम के बहार देर शाम से ही भक्तों का जमावड़ा होना शुरू हो जाता है

संत प्रेमानंद महाराज के पदयात्रा न करने से भक्त मायूस हैं। केलि कुञ्ज आश्रम के बहार देर शाम से ही भक्तों का जमावड़ा होना शुरू हो जाता है

नहीं कर रहे संत प्रेमानंद महाराज का विरोध इसके बाद दैनिक भास्कर की टीम NRI ग्रीन सोसाइटी पहुंची। यहां हमने उन महिलाओं से बात करने का प्रयास किया जिन्होंने विरोध किया था। लेकिन इनमें से कोई भी महिला तो छोड़िए निवासी भी बात करने को तैयार नहीं हुए। लेकिन कुछ देर बाद सोसाइटी के अध्यक्ष आशु शर्मा हमसे बात करने के लिए तैयार हुए।

आशु शर्मा ने बताया कि वह संत प्रेमानंद महाराज के विरोधी नहीं है। वह उस शोर शराबा का विरोध कर रहे थे जिसकी वजह से उनकी नींद ख़राब हो रही थी। केली कुंज आश्रम से जुड़े लोगों ने सोसाइटी के लोगों की भावना को समझा इसके लिए उन सभी का आभार है। अब इस संबंध में कोई शिकायत नहीं है। वहीं केली कुंज आश्रम के संत नवल नागरी महाराज ने बताया कि बिना वजह के मामले को तूल दिया गया था।

आशु शर्मा ने बताया कि वह संत प्रेमानंद महाराज के विरोधी नहीं है। वह शोर शराबा का विरोध कर रहे थे

आशु शर्मा ने बताया कि वह संत प्रेमानंद महाराज के विरोधी नहीं है। वह शोर शराबा का विरोध कर रहे थे

प्रतिदिन आते हैं 20 हजार से ज्यादा भक्त संत प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए रात को हजारों की संख्या में भक्त उमड़ते हैं। आम दिनों में यह संख्या करीब 20 हजार के करीब होती हैं। वहीँ वीकेंड पर दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या में कई गुना बढ़ जाती है और लाखों में पहुंच जाती है। जो बड़े पर्वों पर 3 लाख से ज्यादा हो जाती है।

अब प्रेमानंद जी के बचपन से लेकर प्रसिद्ध कथावाचक और संत बनने की कहानी…

13 साल की उम्र में प्रेमानंद जी महाराज ने घर छोड़ दिया था प्रेमानंद महाराज का कानपुर के अखरी गांव में जन्म और पालन-पोषण हुआ। यहीं से निकलकर वो इस देश के करोड़ों लोगों के मन में बस गए। उनके बड़े भाई गणेश दत्त पांडे बताते हैं- मेरे पिता शंभू नारायण पांडे और मां रामा देवी हैं। हम 3 भाई हैं, प्रेमानंद मंझले हैं। प्रेमानंद हमेशा से प्रेमानंद महाराज नहीं थे। बचपन में मां-पिता ने बड़े प्यार से उनका नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे रखा था।

हर पीढ़ी में कोई न कोई एक बड़ा साधु-संत निकला गणेश पांडे बताते हैं- हमारे पिताजी पुरोहित का काम करते थे। मेरे घर की हर पीढ़ी में कोई न कोई बड़ा साधु-संत होकर निकलता है। पीढ़ी दर पीढ़ी अध्यात्म की ओर झुकाव होने के चलते अनिरुद्ध भी बचपन से ही आध्यात्मिक रहे। बचपन में पूरा परिवार रोजाना एक साथ बैठकर पूजा-पाठ करता था। अनिरुद्ध यह सब बड़े ध्यान से सभी देखा-सुना करता था।

शिव मंदिर में चबूतरा बनाने से रोका, तो घर छोड़ दिया बचपन में अनिरुद्ध ने अपनी सखा टोली के साथ शिव मंदिर के लिए एक चबूतरा बनाना चाहा। इसका निर्माण भी शुरू करवाया, लेकिन कुछ लोगों ने रोक दिया। इससे वह मायूस हो गए। उनका मन इस कदर टूटा कि घर छोड़ दिया।

घरवालों ने उनकी खोजबीन शुरू की। काफी मशक्कत के बाद पता चला कि वो सरसौल में नंदेश्वर मंदिर पर रुके हैं। घरवालों ने उन्हें घर लाने का हर जतन किया, लेकिन अनिरुद्ध नहीं माने। फिर कुछ दिनों बाद बची-खुची मोह माया भी छोड़कर वह सरसौल से भी चले गए।

काशी में प्रवास के दिनों में प्रेमानंद महाराज। संन्यासी जीवन की दिनचर्या में प्रेमानंद महाराज ने कई दिन बिना कुछ खाए बिताया।

काशी में प्रवास के दिनों में प्रेमानंद महाराज। संन्यासी जीवन की दिनचर्या में प्रेमानंद महाराज ने कई दिन बिना कुछ खाए बिताया।

नंदेश्वर से महराजपुर, कानपुर और फिर काशी पहुंचे आज जिन प्रेमानंद महाराज के भक्तों में आम आदमी से लेकर सेलिब्रिटी तक शुमार हैं, उनकी पढ़ाई-लिखाई सिर्फ 8वीं कक्षा तक हुई है। 9वीं में भास्करानंद विद्यालय में एडमिशन दिलाया गया था, लेकिन 4 महीने में ही स्कूल छोड़ दिया।

इसके बाद वह भगवान की भक्ति में लीन हो गए। सरसौल नंदेश्वर मंदिर से जाने के बाद वह महराजपुर के सैमसी स्थित एक मंदिर में कुछ दिन रुके। फिर कानपुर के बिठूर में रहे। बिठूर के बाद काशी चले गए।

संन्यासी जीवन में कई दिन भूखे रहे काशी में उन्होंने करीब 15 महीने बिताए। उन्होंने गुरु गौरी शरण जी महाराज से गुरुदीक्षा ली। वाराणसी में संन्यासी जीवन के दौरान वो रोज गंगा में तीन बार स्नान करते। तुलसी घाट पर भगवान शिव और माता गंगा का ध्यान-पूजन करते।

दिन में केवल एक बार भोजन करते। प्रेमानंद महाराज भिक्षा मांगने की जगह भोजन प्राप्ति की इच्छा से 10-15 मिनट बैठते थे। अगर इतने समय में भोजन मिला तो उसे ग्रहण करते, नहीं तो सिर्फ गंगाजल पीकर रह जाते। संन्यासी जीवन की दिनचर्या में प्रेमानंद महाराज ने कई दिन बिना कुछ खाए-पीए बिताया।

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