8 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी
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इस बार की सक्सेस स्टोरी में कहानी फिल्ममेकर रोहित शेट्टी की है।
‘छोटा ही था कि तभी पिता का साया सिर से उठ गया। घर की हालत से वाकिफ था। इस वजह से परिवार की जिम्मेदारियां खुद के कंधों पर ले ली। दिन-रात मेहनत की। एक दिन में 3-3 शिफ्ट की, ताकि काम की कमी न रहे। लोगों को लगता है कि मैंने स्ट्रगल नहीं किया है। आम स्ट्रगलर्स की तरह मैंने भी धक्के खाए हैं, लेकिन कभी रुका नहीं। कई बार ठोकर लगने पर डर महसूस हुआ, फिर भी आगे बढ़ता गया।’
यह कहना है कि फिल्म इंडस्ट्री के सबसे फेमस डायरेक्टर में से एक रोहित शेट्टी का। रोहित को गोलमाल, ऑल द बेस्ट और सिंघम जैसी शानदार फिल्मों के लिए जाना जाता है। हालांकि एक वक्त ऐसा था जब उन्हें फीस के तौर पर महज 35 रुपए मिले थे। वहीं अब रोहित की हालिया रिलीज फिल्म सिंघन अगेन बॉक्स ऑफिस पर नए-नए रिकॉर्ड बना रही है।
रोहित के फर्श से अर्श तक की कहानी, उन्हीं की जुबानी…
पिता की मौत के बाद माली हालत बिगड़ी, तो कमाना शुरू किया रोहित ने बताया कि उन्होंने पिता को देखकर फिल्मों में आने का फैसला किया था। वे कहते हैं, ‘मेरा बचपन सामान्य बच्चों की तरह ही बीता। मेरे पिता फिल्मों में बतौर स्टंट डायरेक्टर काम करते थे। कुछ फिल्मों में उन्होंने एक्टिंग भी की थी। उस वक्त इंडस्ट्री में उनका बहुत नाम था। घर पर हमेशा फिल्मी माहौल रहता था। जब कभी उनके साथ बाहर जाता, तो वहां पर भी बस फिल्मों से जुड़ी बातें सुनने को मिलती थीं। यही वजह रही कि इस दुनिया के अलावा किसी दूसरी दुनिया से परिचय ही नहीं हुआ। मैंने बचपन में ही ठान लिया था कि पिता जो काम कर रहे हैं, वही मैं भी करूंगा।
हालांकि पिता की मौत के बाद सब कुछ बदल गया। मेरी उम्र कम थी, जब उनका निधन हुआ। वक्त के साथ परिवार की माली हालत भी खराब हो गई थी। इसी कारण मैंने बहुत जल्दी काम करना शुरू कर दिया। दूसरा, जुनून भी था कि फिल्मों की दुनिया में ही बेहतर काम करना है।’
पीले घेरे में दिख रहीं महिला रोहित की मां हैं। उन्होंने भी कई फिल्मों में काम किया था।
17 साल की उम्र में इंडस्ट्री में कदम रखा रोहित 17 साल के थे, जब उन्होंने इंडस्ट्री में कदम रखा था। भले ही फिल्मी दुनिया में रोहित के जानने वाले थे, लेकिन उन्हें भी काम पाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी थी। कई बार तो ऐसा हुआ कि उनके पास बिल्कुल पैसे नहीं रहते थे। इस कारण वो भीषण गर्मियों में भी कई किलोमीटर पैदल और लोकल ट्रेन से सफर करते थे। कभी-कभार खाने के लिए भी कॉम्प्रोमाइज करना पड़ता था।
इस बारे में उन्होंने कहा, ‘मैंने 17 साल की उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। शुरुआत में ही मन बना लिया था कि या तो एक्शन डायरेक्टर बनूंगा या डायरेक्टर। इतने लंबे सफर में आम स्ट्रगलर्स की तरह मुझे भी संघर्ष करना पड़ा। मुझे बाकियों के जैसे ही काम पाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े। पहली फिल्म बनाई, जो खास अच्छी नहीं चली। फिर गोलमाल बनाई, जिसने इतिहास रच दिया। मैंने अब तक 16 फिल्में बनाईं हैं। शायद कोविड न आता तो और भी बन जातीं (हंसते हुए)..।’
करियर की शुरुआत में स्टार्स के कपड़े भी प्रेस किए रोहित ने करियर की शुरुआत बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर की थी। उनकी पहली कमाई महज सिर्फ 35 रुपए थे। हालांकि इसके बाद भी रोहित ने स्ट्रगल और मेहनत करना नहीं छोड़ा। उन्हें दूसरे छोटे काम भी करने पड़े, जो उन्होंने किए भी। उन्होंने एक्ट्रेस की साड़ियों को प्रेस करने का काम किया। इतना ही नहीं, उन्होंने कुछ समय के लिए स्पॉटबॉय का भी काम किया।
इस बारे में उन्होंने कहा, ‘हां, यह सच है। देखिए क्या होता है कि असिस्टेंट डायरेक्टर को हर छोटे काम करने ही पड़ते हैं। दूसरा यह है कि उस समय किसी भी फिल्म का बजट बहुत ज्यादा नहीं होता था। यूनिट छोटी होती थी। इसी कारण हर एक असिस्टेंट को बहुत से काम करने पड़ते थे। सिर्फ मैंने ही नहीं, कइयों ने इस तरह का काम किया है।
उस वक्त किसी काम को कम करके नहीं आंका जाता था। एक्ट्रेस की साड़ी प्रेस करने से लेकर हर तरह के काम किए जाते थे।’
पहली फिल्म फ्लॉप होने पर डर थे रोहित, गोलमाल से बदली किस्मत अजय देवगन ने ‘दिल क्या करे’ और ‘राजू चाचा’ जैसी फिल्मों के साथ अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू किया था। रोहित भी अजय के साथ जुड़ गए थे और असिस्टेंट डायरेक्टर के बतौैर काम करने लगे। ‘राजू चाचा’ बड़े बजट की फिल्म थी, लेकिन ये फिल्म ज्यादा चल नहीं पाई। अजय देवगन को इससे काफी नुकसान हुआ। दो साल के लिए अजय और रोहित को प्रोडक्शन हाउस बंद करना पड़ा। उन्होंने सारे कर्ज लौटाने के बाद ‘जमीन’ में साथ मिलकर डायरेक्शन किया।
रोहित ने 2003 की फिल्म जमीन से डायरेक्टोरियल डेब्यू किया था। हालांकि यह फिल्म भी कुछ खास नहीं चली थी। लगातार फ्लॉप फिल्में देने की वजह से कई डायरेक्टर और एक्टर रोहित के साथ काम करने से कतराने लगे थे।
इसे बारे में रोहित ने कहा, ‘यह तो बहुत लाजमी है कि जब फिल्म नहीं चलती है तो बुरा तो लगता है। फिर दूसरी फिल्म बनाते वक्त मन में बहुत तरह के सवाल होते हैं। मन में यह भी दुविधा रहती है कि कोई प्रोड्यूसर-एक्टर आपके साथ काम करेगा या नहीं। सेल्फ डाउट भी रहता है।
पहली फिल्म जमीन की रिलीज के बाद एक-डेढ़ साल स्क्रिप्ट पर काम चला और 2005 में फिल्म गोलमाल पर काम करना शुरू किया। फिर 2006 में रिलीज हुई इस फिल्म ने मेरा पूरा करियर ही बदल कर रख दिया।
हालांकि इस दौरान कभी इंडस्ट्री छोड़ने का ख्याल नहीं आया, लेकिन हार महसूस होती रही। मैं करियर की शुरुआत में इंडस्ट्री में सेटल नहीं था। इस वजह से कुछ खोने को भी नहीं था। मेरा मकसद बस इतना था कि कम बजट की कॉमेडी फिल्मों जैसे गोलमाल, ऑल द बेस्ट से लोगों को जोड़ पाऊं।’
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के पहले फिल्ममेकर बने, जो यूनिवर्स जैसा कॉन्सेप्ट लेकर आए रोहित हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के पहले फिल्ममेकर हैं, जिन्होंने फिल्मों में यूनिवर्स का कॉन्सेप्ट ईजाद किया। हालांकि उन्होंने कभी इसकी प्लानिंग नहीं की थी। उन्होंने कहा, ‘पहले कभी ऐसा नहीं सोचा था। 2016 तक मेरे मन में इस तरह का कोई ख्याल नहीं था। सिंघम, सिंघम रिटर्न तक इसका ख्याल नहीं आया था, लेकिन फिल्म सिंबा बनाते वक्त यह ख्याल आया कि हम कॉप यूनिवर्स जैसा कुछ बना सकते हैं। खुशकिस्मती रही कि हमारी यह सोच कामयाब रही।
336 करोड़ है रोहित शेट्टी की कुल नेटवर्थ रोहित शेट्टी का नाम आज हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के बड़े डायरेक्टर में शामिल है। कभी 35 रुपए कमाने वाले रोहित की कुल नेटवर्थ करीब 336 करोड़ रुपए है। लाइफ स्टाइल एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उनके पास लेम्बोर्गिनी, मासेराटी ग्रैन टूरिज्मो, रेंज रोवर वो, BMW X6 स्पोर्ट और फोर्ड मस्टैंग जीटी जैसी महंगी गाड़ियां भी हैं।
इसके अलावा फिल्ममेकर के पास नवी मुंबई में एक आलीशान घर है, जिसे उन्होंने 2013 में खरीदा था। जुहू में भी उनके पास 10 मंजिला इमारत है।