राज्य के 11 जिलों के लगभग 2200 स्कूलों में पढ़ने वाले 5 लाख छात्र दूषित पानी पी रहे हैं। इसकी वजह सबमर्सिबल बोरिंग में मानकों की अनदेखी है। सबर्सिबल लगाने के लिए 270 से 300 फीट गहरी बोरिंग का निर्देश था, लेकिन अधिकांश स्कूलों में 100 फीट ही बोरिंग की
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इस संबंध में शिक्षा विभाग ने पूर्वी चंपारण, जहानाबाद, भोजपुर, लखीसराय, भागलपुर, जमुई, वैशाली, दरभंगा, गया, खगड़िया और शेखपुरा के जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही मुंगेर, गया, नालंदा, भागलपुर, बांका, पटना के दियारा क्षेत्र, मुजफ्फरपुर के ग्रामीण क्षेत्र में दूषित पानी की सप्लाई की शिकायत के बाद विस्तृत जांच कराई जा रही है।
71 हजार स्कूलों में लगना है, 13 हजार में अब तक लगा
राज्य के 71 हजार स्कूलों में पेयजल आपूर्ति के लिए सबमर्सिबल पंप लगने हैं। पहले चरण में उन स्कूलों में ही लगे हैं, जहां पर सबसे अधिक जरूरत है। अभी तक 13 हजार स्कूलों में ये पंप लगाए जा चुके हैं। इन पर लगभग 351 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। प्रत्येक स्कूल में सबमर्सिबलके लिए सरकार की ओर से 2.70 लाख रुपए दिए जा रहे है। इससे पानी की टंकी, मोटर, टोटी भी लगाई जानी है।
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1 नवंबर में भागलपुर के सुल्तानगंज स्थित प्राथमिक विद्यालय आजाद नगर पनसल्ला में चापाकल खराब था। नई बोरिंग के बाद भी गंदा पानी आ रहा था। जिसके पीने से कई बच्चे बीमार हो गए। पीएचईडी विभाग ने पानी का सैंपल लिया है। सुल्तानगंज के साथ ही पीरपैंती, जगदीशपुर, कहलगांव, नवगछिया में भी दिक्कत हो रही है।
2 सितंबर में नालंदा में स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में दूषित पानी पीने से 9 छात्र बीमार पड़ गए। हालांकि, छात्राओं ने आरओ का पानी पिया था। पेयजल की गड़बड़ी की वजह से दिक्कत हुई है। तत्कालिक डीएम ने पानी का सैंपल जांच के लिए भेजा था। जिसमें पानी के दूषित होने की जानकारी मिली थी।
3 फरवरी में भोजपुर के बड़ौरा पंचायत के उर्दू प्राथमिक विद्यालय चइयाचक शिवपुर में चापाकल का दूषित पानी पीने से एक दर्जन बच्चे बीमार हो गए। जिन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। ये छात्राएं पानी पीने के बाद स्कूल के प्रार्थना में खड़ी हो गई थी, जिसके बाद वह उल्टी करने लगी। कुछ जमीन पर गिर गईं।
दोषियों पर कार्रवाई होगी
स्कूलों में स्वच्छ पेयजल के लिए विभाग की ओर से व्यवस्था की जा रही है। पानी की गुणवत्ता की जांच हो रही है। जांच में सबमर्सिबल लगाने में यदि अनियमितता की रिपोर्ट मिलती है, तो ठेकेदार और दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होगी। -सुनील कुमार, शिक्षा मंत्री, बिहार
पेयजल की जांच हो रही है
स्कूलों में पेयजल की जांच की जा रही है। जिन जिलों के स्कूलों में सबमर्सिबल संबंधित शिकायत मिली है, वहां पर डीईओ से लिखित जानकारी मांगी गई है। बोरिंग की गहराई सहित अन्य जानकारी देनी है। यदि अनियमितता मिली तो दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। -सुबोध कुमार चौधरी, निदेशक प्रशासन, शिक्षा विभाग
पीएचईडी करेगा जांच
बिहार के 71 हजार स्कूलों में पेयजल की जांच हो रही है। जांच पीएचईडी विभाग कर रहा है। इसमें स्त्रोत, पानी की गुणवत्ता, टंकी की सफाई, पाइपलाइन की स्थिति, पानी में मिनरल की मात्रा आदि की जांच की जाएगी। अब टंकी सफाई की तिथि भी लिखनी होगी। दूषित पेयजल की वजह से स्कूलों में मिड डे मील आसपास के घरों के पानी से बनता है।
सतही बोरिंग से नुकसान
200 फीट और उससे नीचे की बोरिंग में आर्सेनिक और आयरन नहीं मिलते। इसलिए चापाकल हो या फिर सबमर्सिबल पंप, दोनों के लिए गहरी बोरिंग, एक पैमाना मान लिया गया है। 100 फीट या उससे कम की बोरिंग का पानी आरओ से भी फिल्टर नहीं होता।