Remittances from Indian diaspora hit record high | प्रवासी भारतीयों ने रिकॉर्ड 11.60 लाख करोड़ रुपए देश भेजे: यह राशि पिछले साल की तुलना में 14% ज्यादा, 8 साल में दोगुना हुआ रेमिटेंस

नई दिल्ली1 घंटे पहले

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जब कोई प्रवासी अपने मूल देश में पैसा भेजता है तो उसे रेमिटेंस कहते हैं। ये विदेशी मुद्रा अर्जित करने का एक जरिया है। - Dainik Bhaskar

जब कोई प्रवासी अपने मूल देश में पैसा भेजता है तो उसे रेमिटेंस कहते हैं। ये विदेशी मुद्रा अर्जित करने का एक जरिया है।

विदेशों में रहने वाले भारतीयों ने वित्त वर्ष 2024-25 में अपने देश में रिकॉर्ड 135.46 बिलियन डॉलर (लगभग 11.60 लाख करोड़ रुपए) भेजे। यह राशि पिछले साल की तुलना में 14% ज्यादा है और आठ साल पहले यानी 2016-17 के 61 बिलियन डॉलर (5.22 लाख करोड़ रुपए) से दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत लगातार एक दशक से ज्यादा समय से दुनिया में सबसे ज्यादा रेमिटेंस (प्रवासी भारतीयों द्वारा भेजा गया पैसा) पाने वाला देश बना हुआ है।

विकसित देशों से कुल रेमिटेंस का 45% हिस्सा आता है

RBI की एक रिसर्च के अनुसार, अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे विकसित देशों से कुल रेमिटेंस का 45% हिस्सा आता है। पहले जहां खाड़ी देशों (GCC – जैसे सऊदी अरब, UAE, कुवैत, कतर) से सबसे ज्यादा पैसा भारत आता था, अब उनकी हिस्सेदारी कम हो रही है।

इसका कारण है कि अब भारतीय स्किल्ड प्रोफेशनल्स की संख्या अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे देशों में तेजी से बढ़ रही है। ये लोग आईटी, इंजीनियरिंग, मेडिकल और मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में वहां अच्छी सैलरी वाली नौकरियां कर रहे हैं।

IDFC फर्स्ट बैंक की चीफ इकोनॉमिस्ट गौरा सेनगुप्ता के मुताबिक, “रेमिटेंस में यह तेजी तब भी बनी हुई है, जब कच्चे तेल की कीमतों में कमी आई है। इसका कारण है कि अब भारतीय लोग कम तेल-निर्भर अर्थव्यवस्थाओं जैसे अमेरिका और यूके में ज्यादा जा रहे हैं।”

  • पहले खाड़ी देशों में ज्यादातर ब्लू-कॉलर वर्कर्स (जैसे कंस्ट्रक्शन वर्कर, ड्राइवर, मजदूर) काम करते थे, लेकिन अब भारत के स्किल्ड प्रोफेशनल्स की डिमांड बढ़ रही है।
  • अमेरिका में भारतीयों की संख्या करीब 45 लाख है, जिनमें से ज्यादातर उच्च शिक्षा प्राप्त लोग हैं। इनमें से 43% के पास ग्रेजुएट डिग्री है, जो अमेरिकी नागरिकों (13%) की तुलना में काफी ज्यादा है।

रेमिटेंस का भारत की अर्थव्यवस्था पर असर

रेमिटेंस देश के व्यापार घाटे को कम करने में भी बड़ी भूमिका निभाता है। FY25 में भारत का माल व्यापार घाटा 287 बिलियन डॉलर था, और रेमिटेंस ने इसके लगभग 47% हिस्से को कवर किया। यानी, यह पैसा देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम योगदान दे रहा है।

रेमिटेंस का पैसा कहां-कहां जाता है?

भारत में रेमिटेंस का सबसे ज्यादा फायदा उन राज्यों को मिलता है, जहां से लोग विदेशों में जाकर काम करते हैं। केरल, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य इस मामले में सबसे आगे हैं। खासकर केरल में रेमिटेंस का असर इतना ज्यादा है कि यह वहां के नेट स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट (NSDP) का 36.3% हिस्सा है। यह पैसा परिवारों की जरूरतों, बच्चों की पढ़ाई, मकान बनाने और छोटे-मोटे बिजनेस शुरू करने में खर्च होता है।

रेमिटेंस क्या है?

जब कोई प्रवासी अपने मूल देश में पैसा भेजता है तो उसे रेमिटेंस कहते हैं। ये विदेशी मुद्रा अर्जित करने का एक जरिया है। रेमिटेंस निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए घरेलू आय का एक महत्वपूर्ण सोर्स भी है। भारत में रेमिटेंस के मामले में खाड़ी देशों में बसे भारतीयों का योगदान अधिक रहता है। इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे विकसित देशों से भी भारत में रेमिटेंस आता है।

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