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- Reliance | Top 10 Companies Market Cap July 2025 List; LIC TCS HDFC Bank
6 घंटे पहले
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मार्केट वैल्यूएशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 6 की वैल्यू इस हफ्ते के कारोबार में 70,326 करोड़ रुपए कम हुई है। इस दौरान HDFC बैंक टॉप लूजर रहा। प्राइवेट सेक्टर के सबसे बैंक का मार्केट कैप बीते हफ्ते ₹19,285 करोड़ कम होकर 15.25 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।
ICICI बैंक का मार्केट कैप इस दौरान ₹13,567 करोड़ कम होकर, ₹10.29 लाख करोड़ रह गया है। वहीं, बजाज फाइनेंस में ₹13,236 करोड़ , LIC में ₹10,246 करोड़ , TCS में ₹8,032 करोड़ और एयरटेल की वैल्यूएशन में ₹5,959 करोड़ की गिरावट हुई है।
वहीं, देश की सबसे बड़ी प्राइवेट सेक्टर कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की वैल्यू ₹15,359 करोड़ रुपए बढ़कर ₹20.67 लाख करोड़ पर पहुंच गई है। पिछले हफ्ते इंफोसिस ने अपनी वैल्यूएशन में ₹13,128 करोड़ जोड़ा है। अब कंपनी की वैल्यू ₹6.81 लाख करोड़ पर पहुंच गई है।



मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, उनकी वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को उनकी कीमत से गुणा करके किया जाता है।
इसे एक उदाहरण से समझें…
मान लीजिए… कंपनी ‘A’ के 1 करोड़ शेयर मार्केट में लोगों ने खरीद रखे हैं। अगर एक शेयर की कीमत 20 रुपए है, तो कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 करोड़ x 20 यानी 20 करोड़ रुपए होगी।
कंपनियों की मार्केट वैल्यू शेयर की कीमतों के बढ़ने या घटने के चलते बढ़ता-घटता है। इसके और कई कारण हैं…
1. मार्केट कैप के बढ़ने का क्या मतलब है?
- शेयर की कीमत- बाजार में शेयरों का मांग बढ़ने से कॉम्पिटिशन होता है, इसके चलते कीमतें बढ़ती है।
- मजबूत वित्तीय प्रदर्शन: कंपनी की कमाई, रेवेन्यू, मुनाफा जैसी चीजों में बढ़ोतरी निवेशकों को अट्रैक्ट करती है।
- पॉजिटीव न्यूज या इवेंट- प्रोडक्ट लॉन्च, अधिग्रहण, नया कॉन्ट्रैक्ट या रेगुलेटरी अप्रूवल से शेयरों की डिमांड बढ़ती है।
- मार्केट सेंटिमेंट- बुलिश मार्केट ट्रेंड या सेक्टर स्पेसिफिक उम्मीद जैसे IT सेक्टर में तेजी का अनुमान निवेशकों के आकर्षित करता है।
- हाई प्राइस पर शेयर जारी करना: यदि कोई कंपनी हाई प्राइस पर नए शेयर जारी करती है, तो वैल्यू में कमी आए बिना मार्केट कैप बढ़ जाता है।
2. मार्केट कैप के घटने का क्या मतलब है?
- शेयर प्राइस में गिरावट- मांग में कमी के चलते शेयरों की प्राइस गिरती है, इसका सीधा असर मार्केट कैप पर होता है।
- खराब नतीजे- किसी वित्त वर्ष या तिमाही में कमाई-रेवेन्यू घटने, कर्ज बढ़ने या घाटा होने से निवेशक शेयर बेचते हैं।
- नेगेटिव न्यूज- स्कैंडल, कानूनी कार्रवाई, प्रोडक्ट फेल्योर या लीडरशिप से जुड़ी कोई भी नकारात्मक खबर निवेश को कम करता है।
- इकोनॉमी या मार्केट में गिरावट- मंदी, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और बेयरिश यानी नीचे जाता मार्केट शेयरों को गिरा सकता है।
- शेयर बायबैक या डीलिस्टिंग: यदि कोई कंपनी शेयरों को वापस खरीदती है या प्राइवेट हो जाती है, तो आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या कम हो जाती है।
- इंडस्ट्री चैलेंज: रेगुलेटरी चेंज, टेक्नोलॉजिकल डिसरप्शन या किसी सेक्टर की घटती डिमांड के चलते शेयरों की मांग घटती है।
3. मार्केट कैप के उतार-चढ़ाव का कंपनी और निवेशकों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
कंपनी पर असर : बड़ा मार्केट कैप कंपनी को मार्केट से फंड जुटाने, लोन लेने या अन्य कंपनी एक्वायर करने में मदद करता है। वहीं, छोटे या कम मार्केट कैप से कंपनी की फाइनेंशियल डिसीजन लेने की क्षमता कम हो जाती है।
निवेशकों पर असर : मार्केट कैप बढ़ने से निवेशकों को डायरेक्ट फायदा होता है। क्योंकि उनके शेयरों की कीमत बढ़ जाती है। वही, गिरावट से नुकसान हो सकता है, जिससे निवेशक शेयर बेचने का फैसला ले सकते हैं।
उदाहरण: अगर TCS का मार्केट कैप ₹12.43 लाख करोड़ से बढ़ता है, तो निवेशकों की संपत्ति बढ़ेगी, और कंपनी को भविष्य में निवेश के लिए ज्यादा पूंजी मिल सकती है। लेकिन अगर मार्केट कैप गिरता है तो इसका नुकसान हो सकता है।
4. मार्केट कैप कैसे काम आता है?
- मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
- किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
- कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
शुक्रवार को सेंसेक्स 193 अंक चढ़कर 83,433 पर बंद हुआ

हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार, 4 जुलाई को सेंसेक्स 193 अंक चढ़कर 83,433 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में करीब 56 अंक की तेजी रही, 25,461 पर बंद हुआ ।
सेंसेक्स के 30 में से 20 शेयरों में तेजी रही। ट्रेंट का शेयर 11% गिरा। टाटा स्टील और टेक महिंद्रा 1.6% तक गिरे। बजाज फाइनेंस, इंफोसिस और HUL 1.6% तक चढ़े।
निफ्टी के 50 शेयरों में से 31 में तेजी रही। NSE के फार्मा, रियल्टी, ऑयल एंड गैस और FMCG शेयर्स 1% तक चढ़कर बंद हुए। ऑटो और मेटल में मामूली गिरावट रही। वहीं पूरे हफ्ते में बाजार 626 अंक गिरा था।
