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- Reliance | Top 10 Companies Market Cap 25 July 2025 List; LIC TCS HDFC Bank SBI
मुंबई3 घंटे पहले
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हफ्ते के शुरुआती 3 दिन में बाजार में तेजी रही लेकिन आखिर को दो दिन में यह 1,264 अंक गिरा। ऐसे में यह लगातार चौथा हफ्ता है जब बाजार में नेट गिरावट रही है।
इस हफ्ते के कारोबार में देश की सबसे वैल्युएबल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की मार्केट वैल्यू ₹1,14,688 करोड़ रुपए (₹1.15 लाख करोड़) कम हो गई है। अब कंपनी की वैल्यू ₹18.84 लाख करोड़ रुपए रह गई है। पिछले हफ्ते यह ₹19.99 लाख करोड़ थी।
मार्केट कैप के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 6 की कंबाइंड वैल्यूएशन 2.22 लाख करोड़ रुपए कम हो गई है। इसमें रिलायंस के अलावा, इंफोसिस की वैल्यू ₹29,475 करोड़, LIC की वैल्यू ₹23,086 करोड़ और TCS की ₹20,080 करोड़ गिरी है।
बैंकिंग शेयरों में खरीदारी रही
इस हफ्ते बैंकिंग शेयरों में ज्यादा ग्रोथ रहा। जिसके चलते देश के टॉप-3 बैंकों की वैल्यू ₹82,661 करोड़ रुपए बढ़ी है। इस दौरान टेलीकॉम कंपनी एयरटेल के शेयरों की भी खरीदारी रही। इस दौरान एयरटेल की वैल्यू ₹20,841 करोड़ रुपए बढ़कर ₹11.05 लाख करोड़ रुपए हो गई है।



मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, उनकी वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को उनकी कीमत से गुणा करके किया जाता है।
इसे एक उदाहरण से समझें…
मान लीजिए… कंपनी ‘A’ के 1 करोड़ शेयर मार्केट में लोगों ने खरीद रखे हैं। अगर एक शेयर की कीमत 20 रुपए है, तो कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 करोड़ x 20 यानी 20 करोड़ रुपए होगी।
कंपनियों की मार्केट वैल्यू शेयर की कीमतों के बढ़ने या घटने के चलते बढ़ता-घटता है। इसके और कई कारण हैं…
1. मार्केट कैप के बढ़ने का क्या मतलब है?
- शेयर की कीमत- बाजार में शेयरों का मांग बढ़ने से कॉम्पिटिशन होता है, इसके चलते कीमतें बढ़ती है।
- मजबूत वित्तीय प्रदर्शन: कंपनी की कमाई, रेवेन्यू, मुनाफा जैसी चीजों में बढ़ोतरी निवेशकों को अट्रैक्ट करती है।
- पॉजिटीव न्यूज या इवेंट- प्रोडक्ट लॉन्च, अधिग्रहण, नया कॉन्ट्रैक्ट या रेगुलेटरी अप्रूवल से शेयरों की डिमांड बढ़ती है।
- मार्केट सेंटिमेंट- बुलिश मार्केट ट्रेंड या सेक्टर स्पेसिफिक उम्मीद जैसे IT सेक्टर में तेजी का अनुमान निवेशकों के आकर्षित करता है।
- हाई प्राइस पर शेयर जारी करना: यदि कोई कंपनी हाई प्राइस पर नए शेयर जारी करती है, तो वैल्यू में कमी आए बिना मार्केट कैप बढ़ जाता है।
2. मार्केट कैप के घटने का क्या मतलब है?
- शेयर प्राइस में गिरावट- मांग में कमी के चलते शेयरों की प्राइस गिरती है, इसका सीधा असर मार्केट कैप पर होता है।
- खराब नतीजे- किसी वित्त वर्ष या तिमाही में कमाई-रेवेन्यू घटने, कर्ज बढ़ने या घाटा होने से निवेशक शेयर बेचते हैं।
- नेगेटिव न्यूज- स्कैंडल, कानूनी कार्रवाई, प्रोडक्ट फेल्योर या लीडरशिप से जुड़ी कोई भी नकारात्मक खबर निवेश को कम करता है।
- इकोनॉमी या मार्केट में गिरावट- मंदी, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और बेयरिश यानी नीचे जाता मार्केट शेयरों को गिरा सकता है।
- शेयर बायबैक या डीलिस्टिंग: यदि कोई कंपनी शेयरों को वापस खरीदती है या प्राइवेट हो जाती है, तो आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या कम हो जाती है।
- इंडस्ट्री चैलेंज: रेगुलेटरी चेंज, टेक्नोलॉजिकल डिसरप्शन या किसी सेक्टर की घटती डिमांड के चलते शेयरों की मांग घटती है।
3. मार्केट कैप के उतार-चढ़ाव का कंपनी और निवेशकों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
कंपनी पर असर : बड़ा मार्केट कैप कंपनी को मार्केट से फंड जुटाने, लोन लेने या अन्य कंपनी एक्वायर करने में मदद करता है। वहीं, छोटे या कम मार्केट कैप से कंपनी की फाइनेंशियल डिसीजन लेने की क्षमता कम हो जाती है।
निवेशकों पर असर : मार्केट कैप बढ़ने से निवेशकों को डायरेक्ट फायदा होता है। क्योंकि उनके शेयरों की कीमत बढ़ जाती है। वही, गिरावट से नुकसान हो सकता है, जिससे निवेशक शेयर बेचने का फैसला ले सकते हैं।
उदाहरण: अगर TCS का मार्केट कैप ₹12.43 लाख करोड़ से बढ़ता है, तो निवेशकों की संपत्ति बढ़ेगी, और कंपनी को भविष्य में निवेश के लिए ज्यादा पूंजी मिल सकती है। लेकिन अगर मार्केट कैप गिरता है तो इसका नुकसान हो सकता है।
4. मार्केट कैप कैसे काम आता है?
- मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
- किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
- कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
शुक्रवार को 721 अंक गिरकर बंद हुआ था सेंसेक्स
हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार (25 जुलाई) को सेंसेक्स 721 अंक गिरकर 81,463 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में 225 अंक की गिरावट रही, ये 24,837 के स्तर पर बंद हुआ।
बजाज फाइनेंस का शेयर 4.78% गिरा। पावर ग्रिड, टेक महिंद्रा और बजाज फिनसर्व समेत 15 शेयरों में 1% से 2.6% तक की गिरावट रही। वहीं, NSE के मीडिया इंडेक्स में सबसे ज्यादा 2.61%, सरकारी बैंकिंग में 1.70%, मेटल में 1.64%, IT में 1.42% और ऑटो में 1.27% की गिरावट रही। फार्मा 0.54% ऊपर बंद हुआ।
