Reliance Power SECI Tender Ban; Anil Ambani | Fake Bank Guarantee | रिलायंस पावर किसी टेंडर के लिए बोली नहीं लगा सकेगी: 3 साल तक के लिए SECI ने रोक लगाई, फर्जी बैंक गारंटी देने पर कार्रवाई

मुंबई15 मिनट पहले

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सोलर एनर्जी कारपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने अनिल अंबानी की रिलायंस पावर और उसकी सब्सिडियरी कंपनियों को आने वाले किसी भी टेंडर के लिए बोली लगाने से 3 साल के लिए बैन कर दिया है। अनिल अंबानी की कंपनियों ने टेंडर के लिए फर्जी बैंक गारंटी जमा कराई थी, जिसके कारण न्यू और रिन्युएबल एनर्जी मिनिस्ट्री की कंपनी SECI ने यह कार्रवाई की है।

SECI ने बयान जारी कर कहा- कंपनी की ओर से बोली (बिडिंग) के आखिरी राउंड में फर्जी बैंक गारंटी दी गई, जिसके बाद इन कंपनियों को बैन किया गया है। इसके साथ ही SECI ने रिलायंस पावर की सब्सिडियरी कंपनी की ओर से बैंक गारंटी में गड़बड़ियां मिलने पर आखिरी राउंड की बोली को रद्द कर दिया था।

पैरेंट कंपनी की ओर से हुए थे स्ट्रैटेजिक फैसले

SECI ने कहा कि रिलायंस NU BESS लिमिटेड (पहले बिडर महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड) ने टेंडर के लिए जरूरी जो बैंक गारंटी दी थी, वह फर्जी थी। यह गड़बड़ी ई-रिवर्स नीलामी के बाद पाई गई थी, इसलिए SECI को टेंडर की प्रक्रिया को कैसिंल करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

टेंडर की शर्तों के मुताबिक, नकली डॉक्यूमेंट पेश करने की वजह से बिडर SECI की भविष्य में आने वाले टेंडर के लिए बोली नहीं लगा सकता है। बिडर कंपनी रिलायंस पावर की सब्सिडियरी कंपनी है, इसने पैरेंट कंपनी की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए फाइनेंशियल एलिजिबिलिटी रिक्वायरमेंट को पूरा किया था।

SECI ने जांच में पाया कि बिडर कंपनी की ओर से किए गए सभी कॉमर्शियल और स्ट्रैटेजिक फैसले पैरेंट कंपनी की ओर से हुए थे। इसी को आधार बनाते हुए SECI ने एक्शन लिया।

2 महीने पहले SEBI ने भी अनिल अंबानी पर की थी कार्रवाई

2 महीने पहले मार्केट रेगुलेटर SEBI ने फंड की हेराफेरी के मामले में इंडस्ट्रियलिस्ट अनिल अंबानी को सिक्योरिटी मार्केट (शेयर बाजार, डेट, डेरिवेटिव) से 5 साल के लिए बैन कर दिया है। अंबानी पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। उनके किसी भी लिस्टेड कंपनी में डायरेक्टर रहने पर भी पाबंदी ला दी थी। पढ़ें पूरी खबर…

अनिल 1983 में रिलायंस से जुड़े थे, बंटवारा जून 2005 में हुआ था

  • मुकेश अंबानी 1981 और अनिल अंबानी 1983 में रिलायंस से जुड़े थे। जुलाई 2002 में धीरूभाई अंबानी का निधन हो गया। वो वसीयत लिख कर नहीं गए थे। मुकेश अंबानी रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन और अनिल अंबानी मैनेजिंग डायरेक्टर बने।
  • नवंबर 2004 में पहली बार दोनों भाई मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी का झगड़ा सामने आया था। परिवार में चल रहे इस विवाद से धीरूभाई अंबानी की पत्नी कोकिलाबेन परेशान थीं, जिसके बाद बिजनेस का बंटवारा किया गया था।
  • ये बंटवारा जून 2005 में हुआ था, लेकिन किस भाई को कौन सी कंपनी मिलेगी इसका फैसला 2006 तक चला। इस बंटवारे में ICICI बैंक के तत्कालीन चेयरमैन वीके कामत को भी हस्‍तक्षेप करना पड़ा था।
  • बंटवारे के बाद मुकेश अंबानी के हिस्से में पैट्रोकैमिकल्स के कारोबार, रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडियन पेट्रोल कैमिकल्स कॉर्प लिमिटेड, रिलायंस पेट्रोलियम, रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड जैसी कंपनियां आईं।
  • छोटे भाई अनिल के पास आरकॉम, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस एनर्जी, रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज जैसी कंपनियां थीं। इसके बाद मुकेश की लीडरशिप वाली कंपनियां लगातार ग्रो कर रही हैं, जबकि अनिल के हिस्से आई कंपनियों की हालत खराब होती गई।

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