मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर बायो सीएनजी प्लांट लगाने की तैयारी कर रही है। मध्यप्रदेश में 10 कंप्रेस्ड बॉयो गैस ( सीबीजी) प्लांट बन रहे हैं। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, सतना और बालाघाट में 5 प्लांट का निर्माण तेजी से चल र
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दरअसल, मोहन सरकार ने 19 फरवरी को बॉयो फ्यूल पॉलिसी–2025 को मंजूरी दी है। बॉयो फ्यूल यूनिट लगाने पर सरकार की तरफ से कई तरह की रियायतें देने का ऐलान हुआ है। इसी के बाद से रिलायंस ने एमपी में नए प्लांट्स के विस्तार की तैयारियां शुरू कर दी है। अगले 5 साल में रिलायंस एमपी में बॉयो फ्यूल में बड़े इन्वेस्टमेंट की तैयारी कर रहा है।
24 और 25 फरवरी को भोपाल में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में रिलायंस की ओर से इस सेक्टर में बड़े निवेश का ऐलान हो सकता है।
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सबसे पहले जानिए बायो-सीएनजी क्या है, कैसे बनती है?
- बायो फ्यूल बनाने के लिए फसलों का कचरा, गोबर, फूड वेस्ट, सीवेज को एक बंद टैंक में प्रोसेस किया जाता है।
- इस टैंक में ऑक्सीजन नहीं होता। बैक्टीरिया जैविक कचरे को तोड़ते हैं और बायोगैस बनती है।
- इस बायोगैस में लगभग 50-60% मीथेन, 30-40% कार्बन डाइऑक्साइड और कुछ अशुद्धियां होती हैं।
- बायोगैस से कार्बन डाइऑक्साइड, पानी, हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी अशुद्धियां हटाई जाती हैं।
- जब गैस लगभग 95% मीथेन तक शुद्ध हो जाती है, तो यह बायो-सीएनजी बन जाती है।
- इस गैस को उच्च दबाव में कंप्रैस करके सिलेंडरों में भरा जाता है।
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कच्चे माल के लिए पराली-नेपियर घास का इस्तेमाल
रिलायंस इन प्लांट्स के लिए कच्चे माल के तौर पर धान की पराली, सोयाबीन वेस्ट, नेपियर ग्रास, इंडस्ट्री वेस्ट और शहरों से निकलने वाले सॉलिड वेस्ट के साथ गोबर का भी इस्तेमाल करेगा। प्लांट के आसपास की बंजर जमीन पर नेपियर घास उगाई जाएगी। इसका भी बायो मास के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।
वर्तमान में बन रहे फ्यूल प्लांट की क्षमता रोजाना 20 टन सीएनजी प्रोडक्शन की है। इसके लिए 7 से 10 गुना मटेरियल की जरूरत होगी। गैस बनने के बाद बचा हुआ मटेरियल फरमेंटेशन आर्गेनिक मैन्योर यानी जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल हो सकेगा। ऐसा दावा है कि इससे बंजर जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
एजीएम में मुकेश अंबानी ने की थी घोषणा
अंबानी ने अगस्त 2024 की रिलायंस की एजीएम में कहा था कि भारत लगभग 230 मिलियन टन नॉन कैटल फीड बायोमास का उत्पादन करता है। इसका अधिकांश हिस्सा जलाया जाता है। ये वायु प्रदूषण का बड़ा कारण है। रिलायंस ने उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में पहला वाणिज्यिक पैमाने का सीबीजी संयंत्र चालू कर दिया है।
अगस्त 2024 में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की एनुअल मीटिंग में मुकेश अंबानी ने 100 सीबीजी संयंत्र (CBG Plant) स्थापित करने की योजना की घोषणा की थी। इसमें 10 पर मध्यप्रदेश में काम तुरंत शुरू हो गया था। अब बदली हुई रणनीति में रिलायंस ने एमपी पर फोकस बढ़ा दिया है।
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एमपी में 35 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट, 34 हजार नौकरियां दी
रिलायंस इंडस्ट्रीज का दावा है कि बीते 10 सालों में कंपनी ने मध्यप्रदेश में 35 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया है। 16500 लोग सीधे तौर पर कंपनी के एम्पलाई हैं। जबकि 18 हजार से ज्यादा लोग अप्रत्यक्ष रूप से कंपनी से रोजगार हासिल कर रहे हैं।
बायो सीएनजी का कहां इस्तेमाल होता है
बायो-सीएनजी या सीबीजी का इस्तेमाल सीएनजी से चलने वाले वाहन, रसोई के लिए ईंधन के रूप में किया जा सकता है। साथ ही इसका इस्तेमाल सीमेंट और स्टील उद्योगों में और गैस से चलने वाले बिजली जनरेटरों, इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशन में भी किया जा सकता है।
रिसर्च बताती है कि सीबीजी के प्लांट, बढ़ती ऊर्जा जरूरतें, कचरे का निपटान और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने में समक्ष हो सकते हैं।
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रिलायंस की एमपी पर सबसे ज्यादा फोकस की 2 वजह
1. एमपी में 75 दिन में पराली जलाने की 16360 घटनाएं रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अगस्त 2024 की एनुअल मीटिंग में 100 सीबीजी (कंप्रेस्ड बायो गैस) संयंत्र लगाने की घोषणा की थी। इसके कुछ दिन बाद इनकी संख्या बढ़ाकर 106 कर दी गई। इसमें 50 प्लांट के लिए अगले महीने टेंडर हो गए थे। इसके बाद अक्टूबर–नवंबर में मध्यप्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं सामने आई। इससे इंडस्ट्री को मध्यप्रदेश में ज्यादा संभावनाएं नजर आने लगीं।
डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच धान की पराली में जलाने की सबसे ज्यादा 16,360 घटनाएं मध्य प्रदेश में दर्ज की गई हैं। छह राज्यों में 37,602 पराली की घटनाओं में 44 प्रतिशत हिस्सेदारी अकेले मध्य प्रदेश की है।
जबकि पराली जलाने के लिए बदनाम रहे पंजाब में 2024 में आग की कुल 10,909 घटनाएं दर्ज की गईं। 2024 में सबसे अधिक आग वाले 10 जिलों में 6 जिले मध्य प्रदेश के हैं। पहले स्थान पर मध्य प्रदेश का श्योपुर जिला है, जहां कुल 2,508 आग की घटनाएं रिकॉर्ड की गईं। श्योपुर के अलावा होशंगाबाद, दतिया, गुना, अशोकनगर, रायसेन और जबलपुर में सबसे ज्यादा पराली जलाने की घटनाएं दर्ज हुई हैं।
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2. प्लांट की सड़क, पाइपलाइन, बिजली का आधा खर्च सरकार उठाएगी मोहन सरकार ने 19 फरवरी को बायो फ्यूल योजना को मंजूरी दी है। इसमें इंडस्ट्री को प्रोत्साहन राशि के अलावा कई तरह की सुविधाएं ऑफर की गई हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि योजना के तहत बॉयो फ्यूल यूनिट को 200 करोड़ रुपए तक का बुनियादी निवेश प्रोत्साहन (बीआईपीए) उपलब्ध कराया जाएगा।
प्लांट तक बिजली, पानी, गैस पाइप लाइन, सड़क, जल निकासी, अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली (ईटीपी, एसटीपी, प्रदूषण नियंत्रण उपकरण) बनाने के लिए 50% राशि भी दी जाएगी। ये अधिकतम 5 करोड़ रुपए तक होगी। विद्युत शुल्क एवं ऊर्जा विकास उपकर में 10 साल तक की छूट दी जाएगी।
इसके अलावा औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग द्वारा 500 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश पर अनुकूलित पैकेज भी उपलब्ध कराया जाएगा।
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