RBI New Rule, Now you can repay floating rate loans before time without any fee, rule will be applicable on non-business loans from 2026 | अब समय से पहले लोन चुकाने पर नहीं लगेगा चार्ज: RBI का नया नियम 1 जनवरी 2026 से लागू होगा, जानें इससे जुड़ी जरूरी बातें

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नई दिल्ली18 मिनट पहले

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI ने लोन लेने वालों को राहत दी है। दरअसल, RBI ने फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट वाले लोन पर प्री-पेमेंट चार्ज खत्म करने का फैसला किया है। रिजर्व बैंक का यह नया नियम 1 जनवरी 2026 से लागू होगा।

अगर कोई व्यक्ति समय से पहले अपने लोन को थोड़ा या पूरा चुकाता है, तो बैंक ये चार्ज वसूलता था। नया नियम सभी बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) समेत रेगुलेटेड इंस्टीट्यूशंस के लिए अनिवार्य रहेगा। इससे करोड़ों लोन लेने वाले लोगों, खासकर होम लोन और MSE लोन लेने वालों को सीधा फायदा मिलेगा।

RBI के फैसले से किसे फायदा मिलेगा?

इस फैसले से उन व्यक्तियों को फायदा मिलेगा , जिन्होंने नॉन कॉमर्शियल काम के लिए फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है। भले ही किसी व्यक्ति ने अकेले लोन लिया हो या को-ऑब्लिगेंट के साथ लोन लिया हो। ऐसे सभी लोन पर कोई भी बैंक या NBFC प्री-पेमेंट चार्ज नहीं वसूल सकेगा।

इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति ने बिजनेस के लिए लोन लिया है या किसी माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (MSE) ने लोन लिया है, तब भी कॉमर्शियल बैंक प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लगाएंगे। हालांकि, यह छूट कुछ खास कैटेगरी के इंस्टीट्यूशंस पर लागू नहीं होगी।

किन इंस्टीट्यूशंस को नहीं मिलेगा लाभ?

  • स्मॉल फाइनेंस बैंक
  • रीजनल रूरल बैंक
  • लोकल एरिया बैंक
  • टियर-4 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक
  • NBFC–अपर लेयर (NBFC-UL)
  • ऑल इंडिया फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन

₹50 लाख तक के लोन पर भी राहत

अगर किसी व्यक्ति या MSE को ऊपर दिए गए इंस्टीट्यूशंस से ₹50 लाख तक का लोन मिला है, तो उस पर भी प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लगाया जा सकेगा। इसमें टियर-3 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक, स्टेट और सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक और NBFC–अपर लेयर (NBFC-ML) शामिल हैं।

RBI ने यह फैसला क्यों लिया?

RBI ने बताया कि जांच में यह बात सामने आई कि कई रेगुलेटेड इंस्टीट्यूशंस प्री-पेमेंट चार्ज को लेकर अलग-अलग पॉलिसी अपना रही थीं। इससे ग्राहकों में भ्रम और विवाद की स्थिति बन रही थी। इसके अलावा कुछ इंस्टीट्यूशंस लोन एग्रीमेंट में ऐसे रिस्ट्रिक्टिव क्लॉज शामिल कर रहे थे। जिससे ग्राहक कम ब्याज दर वाले ऑप्शन पर स्विच न कर सकें।

RBI ने कहा कि यह राहत लोन चुकाने के सोर्स पर निर्भर नहीं होगी। यानी चाहे लोन का पार्ट पेमेंट हो या पूरा लोन पेमेंट हो और फंड का सोर्स कोई भी हो, अब कोई चार्ज नहीं लगेगा। साथ ही किसी भी तरह का लॉक-इन पीरियड अनिवार्य नहीं होगा।

फिक्स्ड टर्म लोन पर क्या फायदा होगा?

नए नियमों के मुताबिक, फिक्स्ड टर्म लोन पर अगर प्री-पेमेंट चार्ज लगाया भी जाता है, तो वह सिर्फ प्री-पे की गई राशि पर बेस्ड होना चाहिए। वहीं, ओवरड्राफ्ट या कैश क्रेडिट के मामलों में नियम थोड़ा अलग है। अगर लोन लेने वाला समय से पहले रिन्यूएबल न करने की सूचना देता है और तय तारीख पर लोन खत्म कर देता है, तो कोई प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लगाया जाएगा।

की-फैक्ट्स स्टेटमेंट में पूरी डिटेल्स जरूरी

RBI ने यह भी निर्देश दिया है कि प्री-पेमेंट चार्ज से जुड़े सभी नियमों की जानकारी लोन एक्सेप्टेंस लेटर, कॉन्ट्रैक्ट और की-फैक्ट्स स्टेटमेंट (KFS) में दी जानी चाहिए। अगर KFS में कोई चार्ज पहले से मेंशन नहीं है, तो बाद में उसे वसूल नहीं किया जा सकता। यह फैसला ग्राहकों की ट्रांसपेरेंसी और कॉम्पिटेटिव बैंकिंग सर्विसेज की दिशा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है।

ग्राहकों के लिए RBI के फैसले का मतलब

RBI के इस फैसले का मतलब ये है कि अगर आपने फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर लोन (जैसे होम लोन) लिया है और आप उसे थोड़ा या पूरा तय समय से पहले चुकाना चाहते हैं, तो बैंक या फाइनेंशियल कंपनी आपसे कोई प्री-पेमेंट पेनल्टी नहीं वसूल पाएंगी। इसमें शर्त यह है कि लोन 1 जनवरी 2026 या उसके बाद मंजूर या रिन्यू हुआ हो।

बैंक या कंपनी ग्राहकों पर यह चार्ज इसलिए लगाते थे, ताकि ग्राहक किसी और बैंक के सस्ते लोन पर स्विच न कर सकें या प्री-पेमेंट न करें। इससे उन्हें पूरा ब्याज कमाने का मौका मिलता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

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