rbi new guidelines for emi rules and regulations | EMI से चूके तो खरीदा प्रोडक्ट इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे: RBI नया सिस्टम लाने की तैयारी में; मोबाइल में पहले से एप इंस्टॉल होगा, जो उसे बंद करेगा

मुंबई36 मिनट पहले

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RBI कुछ समय में EMI पर खरीदे जाने वाले प्रोडक्ट्स को लेकर नए नियम लाने की तैयारी में है। - Dainik Bhaskar

RBI कुछ समय में EMI पर खरीदे जाने वाले प्रोडक्ट्स को लेकर नए नियम लाने की तैयारी में है।

भारतीय रिजर्व बैंक ऐसी व्यवस्था बनाने की तैयारी कर रहा है, जिसमें उपभोक्ता अगर EMI नहीं चुकाए तो कर्ज पर खरीदा गया प्रोडक्ट और उसकी सेवाएं दूर से बंद की जा सकेगी। इसका उद्देश्य मोबाइल, टीवी, वॉशिंग मशीन जैसे प्रोडक्ट्स के लिए छोटे कर्जों की वसूली को आसान बनाना है। RBI ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों से इस विषय पर चर्चा की है।

फाइनेंस एक्सपर्ट आदिल शेट्टी बताते हैं कि रिजर्व बैंक को एक खास पहलू पर भी गौर करने की जरूरत होगी। फोन, लैपटॉप या इस तरह की अन्य चीजें खरीदने के लिए मिलने वाला कर्ज कोलेटरल-फ्री होता है। यानी इनके बदले ग्राहक की कोई संपत्ति गिरवी नहीं रखनी पड़ती। इसीलिए इनकी ब्याज दर ज्यादा यानी 14-16% होती है।

ऐसे में यदि नई व्यवस्था लागू होती है तो ये कर्ज सुरक्षित लोन (जैसे होम, ऑटो लीन) की कैटेगरी में आ आएंगे। ऐसे में बैंकों को ये अधिकार देने से पहले ऐसे लोन की कैटेगरी बदलनी होगी और ब्याज दरें भी घटानी होंगी।

5 पॉइंट्स में वो सबकुछ, जो आपके लिए जानना जरूरी है

अमेरिका समेत कई देशों में ऐसे सिस्टम हैं कि EMI न भरने पर कार स्टार्ट नहीं हो सकती।

1. यहां कैसे लागू किया जाएगा? RBI जिस व्यवस्था पर विचार कर रहा है, वह मुख्य रूप से छोटे उपभोक्ता लोन (जैसे मोबाइल, स्मार्ट टीवी, वॉशिंग मशीन, इलेक्ट्रॉनिक्स) पर लागू होगी। EMI पर खरीदे प्रोडक्ट में पहले से एप या सॉफ्टवेयर डालेंगे। ग्राहक किस्त नहीं चुकाता, तो उस सॉफ्टवेयर से वह प्रोडक्ट दूर से ही लॉक कर दिया जाएगा।

2. क्या निजी डेटा को खतरा है? नया नियम यह सुनिश्चित करेगा कि ग्राहक की पूर्व सहमति ली जाए और फोन लॉक होने पर भी उसका निजी डेटा सुरक्षित रहे। यानी यहां ‘सेवाएं बंद’ करने का मतलब है कि फोन (या डिवाइस) इस्तेमाल योग्य न रहे, जब तक बकाया चुकता न हो। यदि इन्हें लॉक करने की अनुमति बैंकों को दे दी जाती है तो उन्हें लाखों लोगों के डेटा का एक्सेस मिल जाएगा। ये डेटा वहां से लीक हो सकते हैं। इससे ब्लैकमेलिंग और फिरौती की घटनाएं बढ़ सकती हैं। RBI और बैंकों को इस पहलू पर गौर करना पड़ेगा।

3. क्या हर प्रोडक्ट में संभव है? डिजिटल और स्मार्ट डिवाइस पानी मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप, स्मार्ट टीवी आदि में यह आसानी से संभव है, क्योंकि इनका सॉफ्टवेयर दूर से नियंत्रित किया जा सकता है। वाहन (कार/बाइक) में कई देशों में पहले से ऐसा सिस्टम है, जिससे EMI न भरने पर गाड़ी स्टार्ट नहीं होती। घरेलू उपकरण (फ्रिज, वॉशिंग मशीन आदि) में यह संभव है, लेकिन भारत जैसे बाजार में अभी कम है। गैर-डिजिटल वस्तुओं (जैसे फर्नीचर, साधारण बाइक में यह उपाय नहीं चलता है। ऐसे में पारंपरिक रिकवरी एजेंट लीगल एक्शन रास्ता होता है।

4. कौन-से देश क्या कर रहे हैं? अमेरिकाः कार लोन में ‘किल स्विच तकनीक का इस्तेमाल होता है। EMI न चुकाने पर कर्जदाता कार को दूर से ही बंद कर सकता है।

कनाडाः कंपनियों स्टार्टर इंटरप्ट डिवाइस’ लगाती हैं, जो भुगतान न करने पर कार चालू नहीं होने देता।

आधीका (केन्या, नाइजीरिया आदि): यहां ‘पे-एज-यू-गो’ सोलर सिस्टम आम है। ईएमआई न भरने पर कंपनी रिमोटली सोलर पैनल या बैटरी को बंद कर देती है। जैसे ही किस्त भर दी जाती है। सिस्टम चालू हो जाता है।

5. इससे क्या फायदा-नुकसान?

फायदा: डिफॉल्ट केस घाट जाते हैं। कर्जदाताओं का भरोसा बढ़ता है और कमजोर क्रेडिट वाले लोगों को भी प्रोडक्ट खरीदने का मौका मिलता है।

नुकसान: उपभोक्ता अधिकार पर खतरा, जरूरत की सेवाएं (फोन/कार) बंद होने से रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य पर असर।

एक-तिहाई के ज्यादा लोग इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स EMI पर खरीदते हैं

देश में छोटे कर्ज का हिस्सा लगातार बड़ रहा है। होम क्रेडिट फाइनेंस की 2024 की स्टडी कहती है कि एक-तिहाई से अधिक उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, जैसे मोबाइल फोन, EMI पर खरीदे जाते हैं। देश में 1.16 अरब से ज्यादा मोबाइल कनेक्शन हैं। CRIF हाईमार्क के अनुसार, 1 लाख रु. से कम के लोन में डिफॉल्ट दर सबसे अधिक है। यह स्थिति सुधर सकती है।

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