RBI Bonds Auction 2025; Government Securities Sale Amount Details | सरकार 32 हजार करोड़ रुपए के बॉन्ड्स बेच रही: नीलामी 31 अक्टूबर को होगी; निवेशकों के लिए सेफ इन्वेस्टमेंट का मौका

मुंबई57 मिनट पहले

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) चार सरकारी सिक्योरिटीज (बॉन्ड्स) की नीलामी यानी सेल (री-इश्यू) करने जा रही है। इनकी टोटल वैल्यू 32,000 करोड़ रुपए है। नीलामी 31 अक्टूबर (शुक्रवार) को होगी और इसका सेटलमेंट 3 नवंबर (सोमवार) को होगा।

सरकारी सिक्योरिटी केंद्र या राज्य सरकारों की ओर से जारी किए जाने वाले ट्रेडेबल डेट इंस्ट्रूमेंट्स हैं, जिनसे सरकार सार्वजनिक खर्चों के लिए फंड जुटाती है।

  • ये भारत सरकार की सॉवरेन गारंटी के कारण सबसे सुरक्षित निवेश माने जाते हैं।
  • G-Secs फिक्स्ड-इनकम इनवेस्टमेंट हैं, जो निवेशकों को नियमित ब्याज के जरिए आय देते हैं और मेच्योरिटी पर मूल राशि लौटाते हैं।
  • इन बॉन्ड्स से जुटाए फंड का इस्तेमाल सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, विकास कार्यक्रमों या अन्य सार्वजनिक खर्चों के लिए करती है।
  • निवेशकों को मेच्योरिटी तक फिक्स्ड ब्याज मिलता है, जिसके कारण जोखिम से बचने वाले निवेशकों के लिए G-Secs स्टेबल और सुरक्षित रिटर्न का एक पसंदीदा विकल्प हैं।

2000 करोड़ का एक्सट्रा सब्सक्रिप्शन रिजर्व

सरकार ने इसके लिए 2000 करोड़ रुपए का एक्स्ट्रा सब्सक्रिप्शन रख रही है, ताकि मार्केट डिमांड बढ़े तो कुल राशि को और बढ़ाया जा सकें। यह नीलामी मुंबई में RBI के दफ्तर में ‘मल्टीपल प्राइस मेथड’ के जरिए होगी। इसका मतलब है कि अलग-अलग बोली लगाने वालों को उनकी बोली की कीमत पर बॉन्ड्स मिलेंगे।

कैसे लगा सकते हैं बोली?

प्राइमरी डीलर्स नीलामी के दिन सुबह 9:00 से 9:30 बजे तक एडिशनल कॉम्पिटिटिव अंडरराइटिंग (ACU) के लिए बिड जमा कर सकते हैं। इसके अलावा, RBI ने बताया कि ये सिक्योरिटीज 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2025 तक “व्हेन इश्यूड” ट्रेडिंग के लिए अवेलेबल होंगी। इससे निवेशक सिक्योरिटीज के असल इश्यू से पहले ट्रेड कर सकते हैं, जिससे कीमत का जल्दी पता चलता है।

कॉम्पिटिटिव और नॉन-कॉम्पिटिटिव बिड्स क्या हैं?

कॉम्पिटिटिव और नॉन-कॉम्पिटिटिव बिड्स को RBI के कोर बैंकिंग सॉल्यूशन (e-Kuber सिस्टम) के जरिए इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जमा करना होगा। RBI ने कहा कि नीलामी के नतीजे उसी दिन घोषित होंगे और सफल बोली लगाने वालों को 3 नवंबर 2025 तक पेमेंट करना होगा।

  • कॉम्पिटिटिव बिड्स: ये आमतौर पर बड़े वित्तीय संस्थान जमा करते हैं, जो ये बताते हैं कि वो किस यील्ड या कीमत पर सिक्योरिटीज खरीदना चाहते हैं। इनका आवंटन नीलामी में तय कट-ऑफ यील्ड पर निर्भर करता है।
  • नॉन-कॉम्पिटिटिव बिड्स: ये छोटे निवेशकों और योग्य संस्थानों के लिए हैं। इन्हें यील्ड या कीमत बताने की जरूरत नहीं होती, इन्हें नीलामी में तय वेटेड एवरेज कीमत पर सिक्योरिटीज मिलती हैं।

अब तीन सवालों के जवाब…

सवाल 1: इससे आम आदमी को क्या फायदा होगा?

जवाब : सरकारी सिक्योरिटीज की नीलामी से सरकार को पैसे मिलते हैं, जो सड़कें, स्कूल, अस्पताल जैसी चीजों पर खर्च होते हैं। इससे रोजगार बढ़ता है, सुविधाएं बेहतर होती हैं और आखिर में आम आदमी को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्टचर मिलता है। साथ ही, ये सेफ निवेश का मौका भी देता है, जहां छोटे निवेशक भी थोड़े पैसे लगाकर फिक्स्ड ब्याज कमा सकते हैं।

सवाल 1: इससे महंगाई पर क्या असर पड़ेगा?

जवाब : RBI ऐसी नीलामी से बाजार में पैसे कंट्रोल करता है, जिससे महंगाई ज्यादा न बढ़े। अगर सरकार ज्यादा बॉन्ड बेचती है, तो बैंकिंग सिस्टम में अतिरिक्त पैसा कम होता है, जो महंगाई को कंट्रोल में मदद करता है। आमतौर पर इससे अर्थव्यवस्था स्थिर रहती है और चीजों के दामों पर कंट्रोल बना रहता है।

सवाल 1: छोटा निवेशक इससे कैसे फायदा उठा सकता है?

जवाब : छोटे लोग नॉन-कॉम्पिटिटिव बिड के जरिए भाग ले सकते हैं – बस RBI के ई-कूबेरसिस्टम या बैंक/पोस्ट ऑफिस के जरिए आवेदन कर सकते हैं। आपको औसत कीमत पर बॉन्ड मिलेंगे, जो सरकार की गारंटी से बिल्कुल सुरक्षित हैं। इससे नियमित ब्याज मिलता रहता है, जो FD से थोड़ा बेहतर रिटर्न दे सकता है।

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