6 मिनट पहले
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आज (रविवार, 13 अक्टूबर) आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है, इसका नाम पापांकुशा है। इस दिन किए गए व्रत-उपवास से पितरों को तृप्ति मिलती है। रविवार और एकादशी के योग में सूर्य पूजा के साथ दिन की शुरुआत करें, भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक करें, शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, एकादशी व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए किया जाता है। इस व्रत से घर-परिवार में सुख-समृद्धि, शांति और सफलता बनी रहती है। पापांकुशा एकादशी व्रत से जाने-अनजाने में हुए पाप कर्मों के अशुभ फल नष्ट होते हैं।
ये है एकादशी व्रत की विधि
जो लोग एकादशी व्रत करना चाहते हैं, उन्हें एकादशी पर स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। इसके बाद घर के मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा करें और पूजा में एकादशी व्रत करने का संकल्प लें। विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा करें। इसके बाद दिनभर निराहार रहें।
एकादशी व्रत में भूखे रहना संभव न हो तो फलाहार यानी फल और फलों के रस का सेवन कर सकते हैं। शाम को फिर से विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करें। भगवान की कथाएं पढ़ें-सुनें। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर फिर से विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करें। पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं और फिर खुद भोजन करें।
ऐसे कर सकते हैं विष्णु जी की पूजा
भगवान विष्णु की पूजा महालक्ष्मी के साथ करना चाहिए। विष्णु-लक्ष्मी की प्रतिमा पर पंचामृत चढ़ाएं। दक्षिणावर्ती शंख में जल-दूध भरकर अभिषेक करें। लाल-पीले चमकीले वस्त्र और पूजन सामग्री देवी-देवता को अर्पित करें। हार-फूल से श्रृंगार करें। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा के अंत में भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा मांगें। प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
ऐसे चढ़ाएं सूर्य को जल
तांबे के लोटे में जल भरें, लाल फूल और चावल जल में डालें, इसके बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। सूर्य की प्रतिमा की भी पूजा करें। इस दिन गुड़ का दान करें।
एकादशी पर जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, जूते-चप्पल, खाना, कपड़े दान करें। किसी गोशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।
भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। बाल गोपाल को माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं।
शिवलिंग पर जल, दूध और फिर जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र, हार-फूल से श्रृंगार करें। चंदन का लेप शिवलिंग पर करें। जनेऊ, अबीर, गुलाल आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें।
शाम को सूर्यास्त को तुलसी के पास दीपक जलाएं। तुलसी को चुनरी ओढ़ाएं और परिक्रमा करें। तुलसी को विष्णु प्रिया कहा जाता है, इसलिए एकादशी पर तुलसी की भी विशेष पूजा करनी चाहिए।