उज्जैन में दशहरा पर्व के दूसरे दिन भी रावण दहन हुए। हालांकि बारिश ने शहर के शास्त्री नगर, सिद्ध वट, डालडा फैक्ट्री ग्राउंड, अंकपात पर हुए आयोजन में खलल डाला। शास्त्री नगर में रावण के पुतले को समय से पहले पहले पैर में आग लगाई गई। धड़ व सिर को जमीन पर
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नानाखेड़ा स्टेडियम : रविवार सुबह से देर शाम तक चली बारिश ने रावण दहन के कार्यक्रमों में बाधा डाली। नानाखेड़ा स्टेडियम में नानाखेड़ा दशहरा महोत्सव समिति की ओर से 101 फीट ऊंचा रावण का पुतला बनाया गया है। रविवार को दिन भर हुई बारिश के बाद समिति के सदस्यों के बीच चर्चा के बाद मंगलवार को दहन करने पर सहमति बनी है।
शास्त्री नगर मैदान : शास्त्री नगर दशहरा उत्सव समिति की ओर से 101 फीट ऊंचा रावण का पुतला बनाया था। 30 वर्ष से यह परंपरा जारी है। तय हुआ था कि रात 8.30 बजे दहन किया जाएगा। आयोजक विजय सिंह दरबार के अनुसार मौसम को देखते हुए निर्णय लिया कि इसे शाम 6 बजे ही जलाएंगे। तब तक बड़ी संख्या में लोग एकत्र होने लगे थे। शाम 6 बजे पहले पुतले के पैरों में आग लगाई गई। भीगने से वह पूरा नहीं जला। इसके बाद धड़ को जमीन पर गिराया। दो कलाकार पुतले के लिए बनाए ढांचे पर चढ़े और सिर को जमीन पर गिरा दिया। इसके बाद जमकर आतिशबाजी की
अंकपात : अंकपात रावण दहन समिति ने 51 फीट ऊंचे रावण के पुतले का निर्माण किया। समिति के अध्यक्ष महंत महेश महाराज ने बताया कि श्रीराम जी की झांकी निर्मोही अखाड़े से निकली गई। सहसचिव विशाल पांचाल ने बताया कि बारिश के कारण समिति सदस्यों ने देर शाम को पुतले में पटाखे रखे फिर रात 9.30 बजे दहन किया।
डालडा फैक्ट्री मैदान : दशहरा उत्सव समिति ने 101 फीट ऊंचा रावण का पुतला बनाया। आयोजक उमेश सिंह सेंगर के अनुसार पुतले को इस तरह बनाया था कि जलाने के पहले वह तीन भागों में बंट गया। रंगारंग आतिशबाजी के बीच रात 10 बजे दहन हुआ।
सिद्धवट मैदान : श्री सिद्धवट युवा मंच की ओर से 101 फीट ऊंचे पुतले को सुबह ही मैदान में स्थापित कर दिया था। बारिश में भीगे नहीं, इसके लिए उसे वाटरप्रूफ बनाया गया। आयोजन समिति के सदस्यों के अनुसार 150 साल से यह परंपरा जारी है। रात 9.30 बजे पुतले का दहन किया गया।