युक्तियुक्तकरण के बाद भी प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पद खाली रह गए हैं। इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। अभी प्रदेशभर में शिक्षकों के 22,464 पद खाली हैं। यह स्थिति न केवल शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर रही है, बल्कि इससे ग्रामीण और दूरस्थ
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बिलासपुर जिले में प्राइमरी स्कूलों में 747, मिडिल स्कूलों में 523 और हाई व हायर सेकेंडरी स्कूलों में 272 पद रिक्त हैं। जिले के 431 स्कूलों के 748 शिक्षक युक्तियुक्तकरण से प्रभावित हुए हैं। लेकिन यह प्रक्रिया भी शिक्षकों की कमी को पूरी तरह दूर नहीं कर सकी। जिले के कई स्कूल आज भी सीमित स्टाफ के भरोसे चल रहे हैं। महमंद, मोपका और धनिया हायर सेकेंडरी स्कूलों में केवल 5-5 शिक्षक कार्यरत हैं। जबकि वहां कम से कम 10 शिक्षकों की आवश्यकता है।
खैरा डगनिया मिडिल स्कूल में स्थिति और भी बदतर है, यहां केवल 2 शिक्षक ही तैनात हैं, जबकि स्कूल में 4 शिक्षकों की जरूरत है। बिल्हा ब्लॉक के बरभाठा, कडरी, भिलमी, नवापारा गांवों के स्कूलों में युक्तियुक्तकरण के बाद भी शिक्षकों की संख्या कम है। शिक्षकों की कमी का सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। समय पर कक्षाएं नहीं हो पा रही हैं, अतिरिक्त गतिविधियां बंद हैं और परीक्षा की तैयारी भी बाधित हो रही है।
शिक्षा विभाग ने कहा- युक्तियुक्तकरण से बेहतर हो गई व्यवस्था शिक्षा विभाग का दावा है कि युक्तियुक्तकरण से व्यवस्था पहले से बेहतर हुई है। हालांकि विभाग ने यह भी माना है कि रिक्त पदों की भर्ती प्राथमिकता के आधार पर की जाएगी, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि जब तक इन पदों पर स्थायी भर्तियां नहीं होतीं, तब तक यह संकट बना रहेगा।

“शिक्षा व्यवस्था में पहले से सुधार आया है। युक्तियुक्तकरण के बाद जहां शिक्षकों की कमी थी, वहां पोस्टिंग हुई है। पूर्व की कांग्रेस सरकार में समस्याएं थी, भाजपा की सरकार में सुधार हुआ।”
-गजेंद्र यादव, मंत्री, स्कूल शिक्षा
